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24 वर्ष की उम्र से समाज सेवा के लिए समर्पित, अब इमामगंज में जन सुराज ने इस डॉक्टर पर लगाया दांव

जन सुराज पार्टी ने इमामगंज से डॉक्टर जितेंद्र पासवान को उम्मीदवार बनाया है. वह 24 वर्ष की उम्र से समाज सेवा के लिए समर्पित हैं.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 20, 2024, 11:38 AM IST

गया में जनसुराज के प्रत्याशी डॉक्टर जितेंद्र पासवान
गया में जनसुराज के प्रत्याशी डॉक्टर जितेंद्र पासवान (ETV bharat)

गया: बिहार विधानसभा की चार सीटों पर उपचुनाव होना है. प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने बिहार विधानसभा की इमामगंज और बेलागंज सीट पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए एक सीट पर डॉक्टर तो दूसरे पर गणित के प्रोफेसर को अपना उम्मीदवार बनाया है. किशोर ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इमामगंज सीट से पेशे से बाल चिकित्सक एवं समाजसेवी जितेंद्र पासवान को मैदान में उतारा है, जबकि बेलागंज सीट से गणित के प्रोफेसर रहे खिलाफत हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है.

पेशे से ग्रामीण चिकित्सक हैं जितेंद्र पासवान: बिहार विधानसभा उपचुनाव में इमामगंज विधानसभा सीट से जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार डा. जितेंद्र पासवान बने हैं. जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने प्रेस वार्ता कर इसकी घोषणा की. जन सुराज पार्टी से कई नेता टिकट पाने की रेस में थे, लेकिन आखिरकार प्रशांत किशोर की पार्टी ने बांके बाजार के रहने वाले डॉक्टर जितेंद्र पासवान को टिकट दिया है. डॉक्टर जितेंद्र पासवान ग्रामीण चिकित्सक हैं. 24 साल की उम्र से ही ग्रामीण चिकित्सक के पैसे से जुड़े हैं.

गया में जनसुराज के प्रत्याशी डॉक्टर जितेंद्र पासवान (ETV Bharat)

24 साल से कर रहे गरीब-मरीजों की मदद: जन सुराज पार्टी से टिकट पाने वाले डॉक्टर जितेंद्र पासवान ग्रामीण चिकित्सक हैं. वर्ष 2000 से ही यह चिकित्सा के पेशे से जुड़े हुए हैं. उनके पिता किसान हैं. हालांकि, ग्रामीण चिकित्सक के रूप में इन्होंने इस पेशे को कभी बिजनेस का आधार नहीं बनाया. सामाजिक भावना के तहत समाज सेवा के तौर पर डॉक्टरी करते रहे. गरीब, असहाय का निशुल्क इलाज किया. फीस तक छोड़ देते थे. वहीं कोरोना काल में भी उन्होंने गजब का साहस दिखाया था.

जिस मरीज के पास पैसे नहीं रहते तो मुफ्त इलाज करते थे: जन सुराज पार्टी के इमामगंज से उम्मीदवार डॉक्टर जितेंद्र पासवान बताते हैं कि वर्ष 2000 से बांकेबाजार में हॉस्पिटल चलाते हैं. यह हॉस्पिटल सामाजिक सेवा के तौर पर है. किसी के पास पैसे नहीं रहते हैं, तो उसका मुफ्त में इलाज करते हैं. भाड़ा तक देकर उसे घर तक पहुंचाते भी हैं. इमामगंज विधानसभा का कोई भी ऐसा नहीं है, जो हमारे हॉस्पिटल में नहीं आया. पेशे से ग्रामीण डॉक्टर हैं, लेकिन सामाजिक सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी है. यही वजह है, कि पिछले 24 सालों में उन्होंने सैकड़ो हजारों मरीजों का निशुल्क इलाज किया. दवा तक के पैसे नहीं लिए.

"हमारी सेवा भावना को प्रशांत किशोर जी ने समझा और हमें इमामगंज विधानसभा उपचुनाव के लिए टिकट दिया गया है. जनता एक बार भरोसा करें और जनसुराज को इमामगंज विधानसभा सीट से जीत दिलाएं. मौका मिला तो जनता के लिए काफी कुछ करूंगा."- डॉक्टर जितेंद्र पासवान, उम्मीदवार, इमामगंज विधानसभा, जनसुराज

पत्नी मुखिया रही, खुद मुखिया प्रतिनिधि: वहीं, डॉक्टर जितेंद्र पासवान बताते हैं कि 2011 से 2022 तक बांके बाजार के सैैफगंज पंचायत की मुखिया उनकी पत्नी रही है. वह खुद मुखिया प्रतिनिधि भी रहे हैं. बताया कि कोरोना जैसी महामारी में बड़े-बड़े अस्पताल वाले संस्थान को बंद करके भाग गए थे, तो उन्होंने आने वाले प्रवासियों के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर खोल रखा था. क्वॉरेंटाइन सेंटर में मरीज का न सिर्फ इलाज करते थे, बल्कि उन्हें सोशल डिस्टेंस का भी पालन करवाते थे. ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होने दी.

पहली बार जन सुराज चुनावी मैदान में: जन सुराज पहली बार मैदान में है और विधानसभा उपचुनाव में अपने प्रत्याशियों को उतारा है. ऐसे में पहले जहां चुनावी लड़ाई आसान होती थी, लेकिन पीके की पार्टी के आने से मामला रोचक होगा.

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गया: बिहार विधानसभा की चार सीटों पर उपचुनाव होना है. प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने बिहार विधानसभा की इमामगंज और बेलागंज सीट पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए एक सीट पर डॉक्टर तो दूसरे पर गणित के प्रोफेसर को अपना उम्मीदवार बनाया है. किशोर ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इमामगंज सीट से पेशे से बाल चिकित्सक एवं समाजसेवी जितेंद्र पासवान को मैदान में उतारा है, जबकि बेलागंज सीट से गणित के प्रोफेसर रहे खिलाफत हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है.

पेशे से ग्रामीण चिकित्सक हैं जितेंद्र पासवान: बिहार विधानसभा उपचुनाव में इमामगंज विधानसभा सीट से जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार डा. जितेंद्र पासवान बने हैं. जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने प्रेस वार्ता कर इसकी घोषणा की. जन सुराज पार्टी से कई नेता टिकट पाने की रेस में थे, लेकिन आखिरकार प्रशांत किशोर की पार्टी ने बांके बाजार के रहने वाले डॉक्टर जितेंद्र पासवान को टिकट दिया है. डॉक्टर जितेंद्र पासवान ग्रामीण चिकित्सक हैं. 24 साल की उम्र से ही ग्रामीण चिकित्सक के पैसे से जुड़े हैं.

गया में जनसुराज के प्रत्याशी डॉक्टर जितेंद्र पासवान (ETV Bharat)

24 साल से कर रहे गरीब-मरीजों की मदद: जन सुराज पार्टी से टिकट पाने वाले डॉक्टर जितेंद्र पासवान ग्रामीण चिकित्सक हैं. वर्ष 2000 से ही यह चिकित्सा के पेशे से जुड़े हुए हैं. उनके पिता किसान हैं. हालांकि, ग्रामीण चिकित्सक के रूप में इन्होंने इस पेशे को कभी बिजनेस का आधार नहीं बनाया. सामाजिक भावना के तहत समाज सेवा के तौर पर डॉक्टरी करते रहे. गरीब, असहाय का निशुल्क इलाज किया. फीस तक छोड़ देते थे. वहीं कोरोना काल में भी उन्होंने गजब का साहस दिखाया था.

जिस मरीज के पास पैसे नहीं रहते तो मुफ्त इलाज करते थे: जन सुराज पार्टी के इमामगंज से उम्मीदवार डॉक्टर जितेंद्र पासवान बताते हैं कि वर्ष 2000 से बांकेबाजार में हॉस्पिटल चलाते हैं. यह हॉस्पिटल सामाजिक सेवा के तौर पर है. किसी के पास पैसे नहीं रहते हैं, तो उसका मुफ्त में इलाज करते हैं. भाड़ा तक देकर उसे घर तक पहुंचाते भी हैं. इमामगंज विधानसभा का कोई भी ऐसा नहीं है, जो हमारे हॉस्पिटल में नहीं आया. पेशे से ग्रामीण डॉक्टर हैं, लेकिन सामाजिक सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी है. यही वजह है, कि पिछले 24 सालों में उन्होंने सैकड़ो हजारों मरीजों का निशुल्क इलाज किया. दवा तक के पैसे नहीं लिए.

"हमारी सेवा भावना को प्रशांत किशोर जी ने समझा और हमें इमामगंज विधानसभा उपचुनाव के लिए टिकट दिया गया है. जनता एक बार भरोसा करें और जनसुराज को इमामगंज विधानसभा सीट से जीत दिलाएं. मौका मिला तो जनता के लिए काफी कुछ करूंगा."- डॉक्टर जितेंद्र पासवान, उम्मीदवार, इमामगंज विधानसभा, जनसुराज

पत्नी मुखिया रही, खुद मुखिया प्रतिनिधि: वहीं, डॉक्टर जितेंद्र पासवान बताते हैं कि 2011 से 2022 तक बांके बाजार के सैैफगंज पंचायत की मुखिया उनकी पत्नी रही है. वह खुद मुखिया प्रतिनिधि भी रहे हैं. बताया कि कोरोना जैसी महामारी में बड़े-बड़े अस्पताल वाले संस्थान को बंद करके भाग गए थे, तो उन्होंने आने वाले प्रवासियों के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर खोल रखा था. क्वॉरेंटाइन सेंटर में मरीज का न सिर्फ इलाज करते थे, बल्कि उन्हें सोशल डिस्टेंस का भी पालन करवाते थे. ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होने दी.

पहली बार जन सुराज चुनावी मैदान में: जन सुराज पहली बार मैदान में है और विधानसभा उपचुनाव में अपने प्रत्याशियों को उतारा है. ऐसे में पहले जहां चुनावी लड़ाई आसान होती थी, लेकिन पीके की पार्टी के आने से मामला रोचक होगा.

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