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कान्हा के 48 बारहसिंघा को पसंद आया बांधवगढ़, टाइगर्स के गढ़ में 'स्वैंप डियर' का नया घर - Bandhvagarh Swamp deers

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 7, 2024, 3:08 PM IST

शहडोल संभाग के उमरिया जिले में बांधवगढ़ नेशनल पार्क है जो कि बाघों के लिए जाना जाता है. ये काफी घना जंगल है, और यहां काफी तादात में बाघ पाए जाते हैं. पिछले साल से ही बाघों के इस घर में बारहसिंघा को भी बसाने का प्रयास किया गया जो अब रंग ला रहा है. पिछले साल कुछ बारहसिंघा लाए गए थे, उनके क्या हाल हैं, कितने बारहसिंघा हैं, और कहां रखे गए हैं? आइए जानते हैं.

Bandhvagarh Swamp deers count
टाइगर्स के गढ़ में 'स्वैंप डियर' का नया घर (Etv Bharat)

शहडोल : बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक प्रकाश वर्मा बताते हैं कि बांधवगढ़ का जंगल 1536 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, और यहां पर टोटल तीन गेट हैं. रिजर्व क्षेत्र में गौर और बारहसिंघा का विस्थापन किया गया था, जिसके अच्छे परिणाम भी मिले हैं. अब गौर और बारहसिंघा दोनों की बांधवगढ़ में संख्या बढ़ रही है, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र के उपसंचालक पीके वर्मा कहते हैं, ''हमारे पास जो पिछले साल 48 बारहसिंघा आए थे, वो पिछले सीजन में आए थे, तब ब्रीडिंग सीजन खत्म होने को था, यहां आने के बाद दो बच्चे हुए थे, हमारे पास 50 बारहसिंघा हो गए हैं, बरसात के बाद इस बार जब ब्रीडिंग सीजन शुरू होगा, तो इस बार इनकी संख्या और बढ़ाने की संभावना है.''

deers in bandhavgarh tiger reserve
बांधवगढ़ में बाघों के साथ कर सकेंगे स्वैंप डियर्स का दीदार (Etv Bharat)

बारहसिंघा को कैसा क्षेत्र पसंद ?

आखिर बारहसिंघा को कैसा क्षेत्र पसंद होता है? इसे लेकर बांधवगढ़ के उपसंचालक पीके वर्मा कहते हैं, बारहसिंघा यानी स्वैंप डियर के लिए थोड़ी दलदली जगह होनी चाहिए. तालाबों की सीरीज हो, लगातार पानी हो, थोड़ा पानी हो, उथला पानी हो, वहां एक्वेटिक प्लांट्स भी हों, क्योंकि वो एक्वेटिक प्लांट्स को खाते हैं. इसके साथ ही बड़े-बड़े ग्राउंड होने चाहिए, जहां बड़ी घास हों क्योंकि हमने भी एक वैसा ही माहौल बना के रखा है.

बांधवगढ़ बन रहा नया आशियाना

बांधवगढ़ के उपसंचालक आगे कहते हैं, '' बांधवगढ़ में अभी सभी बारहसिंघा एंक्लोजर में रखे गए हैं, जहां हमने तालाबों की सीरीज बनाकर रखी है. बड़ी-बड़ी घास है, एक्वेटिक प्लांट्स भी हमने तालाब में डाल कर रखे हैं, क्योंकि एक्वेटिक प्लांट्स के अलावा घास भी हैं, बड़ी-बड़ी घास जहां होती हैं वहां ब्रीडिंग ग्राउंड्स बनाते हैं. हालांकि, हमारे बांधवगढ़ में 80 से 90% तक वो माहौल पहले से ही उपलब्ध थी, जो चीजों थोड़ी बहुत नहीं थीं, उनके लिए हैबिटेट हमने तैयार किया है. अभी वो एंक्लोजर में है तो सारी सुविधाएं हैं, लेकिन धीरे-धीरे जब उन्हें हम बाहर छोड़ेंगे तब देखना होगा कि क्या स्थिति बनती है लेकिन बांधवगढ़ में अब उसी तरह का माहौल है.''

Bandhvagarh Swamp deers
पिछले साल लाए गए स्वैंप डियर अब यहां ब्रीडिंग के लिए तैयार हैं (Etv Bharat)

कहां से लाए गए बारहसिंघा?

बांधवगढ़ में जो बारहसिंघा लाए गए हैं वो कान्हा किसली यानी कान्हा नेशनल पार्क से लाए गए हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इससे पहले बारहसिंघा नहीं थे, 1982 में बारहसिंघा को लाने का प्रयास किया गया था. उसमें विदेश के भी एक्सपर्ट थे, वन विभाग के भी एक्सपर्ट थे और बांधवगढ़ की साइट का चयन किया गया था, लेकिन उस समय इतनी एडवांस तकनीक नहीं थी, जिससे उन्हें पकड़ने में आसानी हो तो वो सफल नहीं हो सके थे, लेकिन अब एक बार फिर से प्रयास किए जा रहे हैं, और अब तक इसमें सफलता मिली है.

केंद्र सरकार ने दी अनुमति

केंद्र सरकार से कान्हा नेशनल पार्क में टोटल 100 बारहसिंघा लाने की अनुमति मिली है, जिसमें से 50 अभी बारहसिंघा और आने हैं, इनके लिए जो एंक्लोजर तैयार किया गया है, बताया जा रहा है कि जो एंक्लोजर बनाया गया वह 50 हेक्टेयर का विशेष बाड़ा बनाया गया है, जहां बारहसिंघा स्वतंत्र रूप से अपना जीवन यापन करेंगे, इन बारहसिंघा का आगमन बारहसिंगा पुनर्स्थापना परियोजना के तहत किया जा रहा है, इस योजना के अंतर्गत अलग-अलग स्थान से 100 बारहसिंघा बांधवगढ़ नेशनल पार्क में लाने की अनुमति मिली है.

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बाघों के घर पर हाथियों का कब्जा, रास आया बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, खास है ये वजह

दुनिया में ऐसे बारहसिंघा केवल कान्हा में

कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो बारहसिंघा बांधवगढ़ नेशनल पार्क में लाए गए हैं, वे विशिष्ट प्रजाति के हैं. दुनिया में केवल और केवल कान्हा नेशनल पार्क में ही ऐसे बारहसिंघा पाए जाते हैं. इनकी प्रजाति अब विलुप्ति की कगार पर है, इसलिए इन्हें संरक्षित करने के उद्देश्य से विभिन्न सघन वनों में भी इन्हें बसाने का प्रयास चल रहा है, जिससे पर्यावरण संतुलन में मदद मिल सके और इनकी प्रजाति बनी रहे. सबसे अच्छी बात ये है, कि जितने भी बारहसिंघा बांधवगढ़ में ले गए थे, सभी हेल्दी हैं, पिछले साल मार्च तक बारहसिंघा यहां लाए गए थे.

शहडोल : बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक प्रकाश वर्मा बताते हैं कि बांधवगढ़ का जंगल 1536 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, और यहां पर टोटल तीन गेट हैं. रिजर्व क्षेत्र में गौर और बारहसिंघा का विस्थापन किया गया था, जिसके अच्छे परिणाम भी मिले हैं. अब गौर और बारहसिंघा दोनों की बांधवगढ़ में संख्या बढ़ रही है, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र के उपसंचालक पीके वर्मा कहते हैं, ''हमारे पास जो पिछले साल 48 बारहसिंघा आए थे, वो पिछले सीजन में आए थे, तब ब्रीडिंग सीजन खत्म होने को था, यहां आने के बाद दो बच्चे हुए थे, हमारे पास 50 बारहसिंघा हो गए हैं, बरसात के बाद इस बार जब ब्रीडिंग सीजन शुरू होगा, तो इस बार इनकी संख्या और बढ़ाने की संभावना है.''

deers in bandhavgarh tiger reserve
बांधवगढ़ में बाघों के साथ कर सकेंगे स्वैंप डियर्स का दीदार (Etv Bharat)

बारहसिंघा को कैसा क्षेत्र पसंद ?

आखिर बारहसिंघा को कैसा क्षेत्र पसंद होता है? इसे लेकर बांधवगढ़ के उपसंचालक पीके वर्मा कहते हैं, बारहसिंघा यानी स्वैंप डियर के लिए थोड़ी दलदली जगह होनी चाहिए. तालाबों की सीरीज हो, लगातार पानी हो, थोड़ा पानी हो, उथला पानी हो, वहां एक्वेटिक प्लांट्स भी हों, क्योंकि वो एक्वेटिक प्लांट्स को खाते हैं. इसके साथ ही बड़े-बड़े ग्राउंड होने चाहिए, जहां बड़ी घास हों क्योंकि हमने भी एक वैसा ही माहौल बना के रखा है.

बांधवगढ़ बन रहा नया आशियाना

बांधवगढ़ के उपसंचालक आगे कहते हैं, '' बांधवगढ़ में अभी सभी बारहसिंघा एंक्लोजर में रखे गए हैं, जहां हमने तालाबों की सीरीज बनाकर रखी है. बड़ी-बड़ी घास है, एक्वेटिक प्लांट्स भी हमने तालाब में डाल कर रखे हैं, क्योंकि एक्वेटिक प्लांट्स के अलावा घास भी हैं, बड़ी-बड़ी घास जहां होती हैं वहां ब्रीडिंग ग्राउंड्स बनाते हैं. हालांकि, हमारे बांधवगढ़ में 80 से 90% तक वो माहौल पहले से ही उपलब्ध थी, जो चीजों थोड़ी बहुत नहीं थीं, उनके लिए हैबिटेट हमने तैयार किया है. अभी वो एंक्लोजर में है तो सारी सुविधाएं हैं, लेकिन धीरे-धीरे जब उन्हें हम बाहर छोड़ेंगे तब देखना होगा कि क्या स्थिति बनती है लेकिन बांधवगढ़ में अब उसी तरह का माहौल है.''

Bandhvagarh Swamp deers
पिछले साल लाए गए स्वैंप डियर अब यहां ब्रीडिंग के लिए तैयार हैं (Etv Bharat)

कहां से लाए गए बारहसिंघा?

बांधवगढ़ में जो बारहसिंघा लाए गए हैं वो कान्हा किसली यानी कान्हा नेशनल पार्क से लाए गए हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इससे पहले बारहसिंघा नहीं थे, 1982 में बारहसिंघा को लाने का प्रयास किया गया था. उसमें विदेश के भी एक्सपर्ट थे, वन विभाग के भी एक्सपर्ट थे और बांधवगढ़ की साइट का चयन किया गया था, लेकिन उस समय इतनी एडवांस तकनीक नहीं थी, जिससे उन्हें पकड़ने में आसानी हो तो वो सफल नहीं हो सके थे, लेकिन अब एक बार फिर से प्रयास किए जा रहे हैं, और अब तक इसमें सफलता मिली है.

केंद्र सरकार ने दी अनुमति

केंद्र सरकार से कान्हा नेशनल पार्क में टोटल 100 बारहसिंघा लाने की अनुमति मिली है, जिसमें से 50 अभी बारहसिंघा और आने हैं, इनके लिए जो एंक्लोजर तैयार किया गया है, बताया जा रहा है कि जो एंक्लोजर बनाया गया वह 50 हेक्टेयर का विशेष बाड़ा बनाया गया है, जहां बारहसिंघा स्वतंत्र रूप से अपना जीवन यापन करेंगे, इन बारहसिंघा का आगमन बारहसिंगा पुनर्स्थापना परियोजना के तहत किया जा रहा है, इस योजना के अंतर्गत अलग-अलग स्थान से 100 बारहसिंघा बांधवगढ़ नेशनल पार्क में लाने की अनुमति मिली है.

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दुनिया में ऐसे बारहसिंघा केवल कान्हा में

कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो बारहसिंघा बांधवगढ़ नेशनल पार्क में लाए गए हैं, वे विशिष्ट प्रजाति के हैं. दुनिया में केवल और केवल कान्हा नेशनल पार्क में ही ऐसे बारहसिंघा पाए जाते हैं. इनकी प्रजाति अब विलुप्ति की कगार पर है, इसलिए इन्हें संरक्षित करने के उद्देश्य से विभिन्न सघन वनों में भी इन्हें बसाने का प्रयास चल रहा है, जिससे पर्यावरण संतुलन में मदद मिल सके और इनकी प्रजाति बनी रहे. सबसे अच्छी बात ये है, कि जितने भी बारहसिंघा बांधवगढ़ में ले गए थे, सभी हेल्दी हैं, पिछले साल मार्च तक बारहसिंघा यहां लाए गए थे.

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