प्रयागराज : एक पति की ओर से अपनी ही पत्नी पर यौन व्यापार में शामिल होने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं. मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में है. पति ने साक्ष्य के तौर पर सीडी/डीवीडी भी दाखिल की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकी फोरेंसिक जांच के निर्देश दिए हैं. पति तलाक के अपने मुकदमे और अपनी दो नाबालिग बेटियों की कस्टडी के लिए दायर मुकदमे के समर्थन में सीडी को बतौर साक्ष्य दर्ज कराना चाहता है.
याची शिव राम का कहना है कि उसकी पत्नी किसी सेक्स रैकेट में शामिल है. उसने आशंका जताई है कि उसकी दो नाबालिग बेटियों को भी इसका हिस्सा बनाया जा सकता है. उन्हें इसके लिए मजबूर किया जा सकता है. वह अपनी दो नाबालिग बेटियों की जान बचाना चाहता है. उन्हें अच्छी शिक्षा देना चाहता है जिससे वे अच्छी नागरिक बन सकें.
याचिका के समर्थन में दाखिल हलफनामे में लगाए गए आरोपों और उनकी पत्नी के खिलाफ की गई गंभीर शिकायतों व उन वेबसाइटों के विवरण जिन पर अश्लील दृश्य अपलोड किए गए थे, उसे देखते हुए जस्टिस अजीत कुमार ने कर्नाटक, बेंगलुरु स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा डीवीडी और सीडी की तकनीकी जांच के निर्देश दिए हैं. पारिवारिक न्यायालय ने वीडियो की फोरेंसिक जांच के लिए उसके आवेदन को खारिज कर दिया गया था.
याची ने फेमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी है. इससे पूर्व परिवार न्यायालय ने याची और उसकी पत्नी को आवाज का नमूना और सीडी को विधि-विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ भेजा था, मगर वहां से कोई नतीजा नहीं निकला. याची ने कहा कि साइंस लेबोरेटरी, यूपी लखनऊ डीवीडी की जांच करके रिपोर्ट नहीं भेज सकती है तो इसे किसी दूसरी एजेंसी को भेजा जाना चाहिए.
फैमिली कोर्ट ने जनवरी 2023 के आदेश के तहत इस आवेदन को खारिज कर दिया और इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. याची की दलीलें सुनने के बाद, कोर्ट ने अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया, पारिवारिक न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वे ऑडियो और वीडियो दोनों सीडी/डीवीडी की फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, बेंगलुरु द्वारा नए सिरे से जांच कराएं. न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि प्रयोगशाला को सीडी/डीवीडी प्राप्त होने की तारीख से एक महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.
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