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सावन में भगवान शिव को ऐसे ही नारियल ना चढाएं, जाने सही तरीका जिससे भगवान होगें प्रसन्न - Coconut Offering Method

हिंदू धर्म में भगवान को नारियल चढ़ाए बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है. हर घर में पूजा पाठ में नारियल भगवान को अर्पित किया जाता है. यदि विधि विधान से नारियल भगवान को चढ़ाया जाए तो भरपूर फल मिलता है. भागवताचार्य पंडित आत्माराम शास्त्री से जानिए नारियल अर्पण का सही तरीका.

Coconut Offering Method
नारियल अर्पित करने का सही तरीका (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 21, 2024, 8:47 PM IST

Updated : Jul 22, 2024, 11:39 AM IST

Coconut Significance in Hinduism: सनातन धर्म में पूजा के दौरान भगवान को अलग-अलग वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. इनमें से एक श्रीफल यानि नारियल होता है जिसके बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है. नारियल को भी भगवान को चढ़ाने की एक अलग विधि है. अगर इस विधि से नारियल को चढ़ाएंगे तो पूजा के बाद भरपूर फल मिलेगा.

सूर्य को साक्षी मानकर होती है पूजा

गुरुकृपा ज्योतिष संस्थान छिंदवाड़ा के भागवताचार्य डॉ पंडित आत्माराम शास्त्री ने बताया कि "जब हम पूजा करने बैठते हैं तो हमारा मुंह पूर्व दिशा की ओर होता है क्योंकि पूर्व दिशा से भगवान सूर्य नारायण का उदय होता है. उस तरफ हमारे द्वारा स्थापित किए गए भगवान की प्रतिमा तस्वीर या प्रकृति होती है. लेकिन जरूरी नहीं है कि भगवान वहीं पर विराजित हों. हमारे पूजा करने का उद्देश्य सूर्य भगवान को समर्पण होता है. अदिति ही देव कहा जाता है यानि की सूर्य ही साक्षात भगवान हैं. सूर्य ही सब कुछ हैं हम सूर्य को ही साक्षी मानकर पूजा करते हैं. सूर्य नारायण ही जन्म देने वाले हैं और सूर्य नारायण ही नित्य रहने वाले हैं."

गीले नारियल में मिलता है ज्यादा फल

भागवताचार्य पंडित आत्माराम शास्त्री ने बताया कि "नारियल को हम बलि के रूप में अर्पित करते हैं. जैसे तामसी पूजन करने वाले लोग किसी जानवर की बलि देते हैं उसी तरीके से हम भगवान को बलिदान के रूप में नारियल अर्पित करते हैं. विशेष तौर पर भगवान को गीले नारियल अर्पित करने का विधान है, क्योंकि उसमें जीव रहते हैं और अंकुरण होने के बाद पौधे और पेड़ बन जाते हैं. सूखा नारियल अर्पित करना तो एक औपचारिकता रहती है. जूट वाला भाग भगवान की तरफ होना चाहिए और फिर पान के ऊपर दक्षिणा के साथ अर्पित करना चाहिए."

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दो प्रकार के होते हैं नारियल

भगवताचार्य डॉ पंडित आत्माराम शास्त्री ने बताया कि "नारियल दो प्रकार के होते हैं. एक नारियल सामान्य होता है तो दूसरा एकाक्षी होता है. सामान्य नारियल में दो आंखें और एक मुंह होता है, जो जूट के नीचे दबा होता है. एक नारियल एकाक्षी होता है जिसमें एक मुंह एक आंख होते हैं जो बहुत कम मात्रा में देखने को मिलते हैं. उन्होंने बताया कि यदि हम मंडलों की पूजा कर रहे हैं जिसमें तीन दिन, सात दिन, नौ दिन के लिए अनुष्ठान में कलश स्थापना की जाती है. उसमें कलश के ऊपर नारियल को ऊपर की तरफ जूट वाला भाग करके सीधा रखा जाता है ताकि सूर्य भगवान का प्रकाश इस नारियल के ऊपर पड़े और हमें उसका पूरा लाभ मिले."

Coconut Significance in Hinduism: सनातन धर्म में पूजा के दौरान भगवान को अलग-अलग वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. इनमें से एक श्रीफल यानि नारियल होता है जिसके बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है. नारियल को भी भगवान को चढ़ाने की एक अलग विधि है. अगर इस विधि से नारियल को चढ़ाएंगे तो पूजा के बाद भरपूर फल मिलेगा.

सूर्य को साक्षी मानकर होती है पूजा

गुरुकृपा ज्योतिष संस्थान छिंदवाड़ा के भागवताचार्य डॉ पंडित आत्माराम शास्त्री ने बताया कि "जब हम पूजा करने बैठते हैं तो हमारा मुंह पूर्व दिशा की ओर होता है क्योंकि पूर्व दिशा से भगवान सूर्य नारायण का उदय होता है. उस तरफ हमारे द्वारा स्थापित किए गए भगवान की प्रतिमा तस्वीर या प्रकृति होती है. लेकिन जरूरी नहीं है कि भगवान वहीं पर विराजित हों. हमारे पूजा करने का उद्देश्य सूर्य भगवान को समर्पण होता है. अदिति ही देव कहा जाता है यानि की सूर्य ही साक्षात भगवान हैं. सूर्य ही सब कुछ हैं हम सूर्य को ही साक्षी मानकर पूजा करते हैं. सूर्य नारायण ही जन्म देने वाले हैं और सूर्य नारायण ही नित्य रहने वाले हैं."

गीले नारियल में मिलता है ज्यादा फल

भागवताचार्य पंडित आत्माराम शास्त्री ने बताया कि "नारियल को हम बलि के रूप में अर्पित करते हैं. जैसे तामसी पूजन करने वाले लोग किसी जानवर की बलि देते हैं उसी तरीके से हम भगवान को बलिदान के रूप में नारियल अर्पित करते हैं. विशेष तौर पर भगवान को गीले नारियल अर्पित करने का विधान है, क्योंकि उसमें जीव रहते हैं और अंकुरण होने के बाद पौधे और पेड़ बन जाते हैं. सूखा नारियल अर्पित करना तो एक औपचारिकता रहती है. जूट वाला भाग भगवान की तरफ होना चाहिए और फिर पान के ऊपर दक्षिणा के साथ अर्पित करना चाहिए."

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दो प्रकार के होते हैं नारियल

भगवताचार्य डॉ पंडित आत्माराम शास्त्री ने बताया कि "नारियल दो प्रकार के होते हैं. एक नारियल सामान्य होता है तो दूसरा एकाक्षी होता है. सामान्य नारियल में दो आंखें और एक मुंह होता है, जो जूट के नीचे दबा होता है. एक नारियल एकाक्षी होता है जिसमें एक मुंह एक आंख होते हैं जो बहुत कम मात्रा में देखने को मिलते हैं. उन्होंने बताया कि यदि हम मंडलों की पूजा कर रहे हैं जिसमें तीन दिन, सात दिन, नौ दिन के लिए अनुष्ठान में कलश स्थापना की जाती है. उसमें कलश के ऊपर नारियल को ऊपर की तरफ जूट वाला भाग करके सीधा रखा जाता है ताकि सूर्य भगवान का प्रकाश इस नारियल के ऊपर पड़े और हमें उसका पूरा लाभ मिले."

Last Updated : Jul 22, 2024, 11:39 AM IST
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