पटना : एससी-एसटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के द्वारा दिए गए निर्णय के बाद इस पर सियासत शुरू हो गई है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से सहमत नहीं है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान खुलकर कोर्ट केस निर्णय पर अपना आपत्ति जाता दिया हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला दलित समाज को बांटने वाला है. इस फैसले के खिलाफ वो सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाएंगे.
''मेरी पार्टी एससी-एसटी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करती है. मैं पुनर्विचार याचिका दाखिल करने जा रहा हूं, ये फैसला दलित समाज को बांटने वाला है.''- चिराग पासवान, केंद्रीय मंत्री सह अध्यक्ष, लोक जनशक्ति पार्टी
पुनर्विचार याचिका लगाएंगे चिराग : चिराग पासवान ने कहा कि दलित समाज के लोग कितने भी पैसे वाले हो जाएं, कितने भी बड़े पद पर चल जाएं, फिर भी समाज के लोग उनसे अच्छी भावना नहीं रखते हैं. यह बात आप समझ लीजिए जब छुआछूत को आधार बनाकर एससी एसटी आरक्षण लागू किया गया तो फिर उसको शैक्षणिक, आर्थिक स्तर से क्यों जोड़ा जा रहा है? हमारी पार्टी निश्चित तौर पर इसको लेकर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर करने जा रही है और हम सुप्रीम कोर्ट से फिर से फरियाद करेंगे कि इस मामले को लेकर वह पुनर्विचार करें.
चिराग को सुप्रीम फैसले से आपत्ति : सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के द्वारा SC-ST आरक्षण में कोटे में कोटा पर ऐतिहासिक फैसले को लोक जनशक्ति पार्टी ने पुनर्विचार करने की अपील की है. चिराग पासवान ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो ऑब्जर्वेशन आया है वो बिल्कुल ठीक नहीं है, उसमें बदलाव होने चाहिए. चिराग पासवान का कहना है कि आरक्षण का आधार आर्थिक न होकर छुआछूत है. इसको लेकर उनकी पार्टी की ओर से भी पुनर्विचार की बात की गई है.
''पार्टी के संस्थापक पद्म भूषण रामविलास पासवान भी इस बात की मांग करते आए हैं कि जब तक समझ में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा है, तब तक एससी एसटी श्रेणियां को सब कैटेगरी में आरक्षण एवं क्रीमीलेयर जैसे प्रावधान न हो. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह करती है कि फैसले का पुनर्विचार किया जाए ताकि एससी एसटी समाज में भेदभाव न उत्पन्न हो और समाज को कमजोर न किया जा सके.''- लोक जनशक्ति पार्टी
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिया है फैसला : देश की सर्वोच्च अदालत ने आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एससी और एसटी आरक्षण में सब कैटगरी बनाने को मंजूरी दी है जिसमें ओबीसी की तर्ज पर क्रीमी लेयर बनाकर आर्थिक और सामाजिक रूप से संपन्न लोगों को आरक्षण से बाहर करने की नीति का निर्देश सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिया गया है. चिराग की आपत्ति ये है कि आरक्षण का मूल आधार आर्थिक न होकर सामाजिक है. उन्होंने दलित समाज को बांटने वाला फैसला बताकर चर्चा और छेड़ दी है.
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