देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने की उलटी गिनती शुरू हो गई है. आज यूसीसी नियमावली को धामी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू कर दिया जाएगा. यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से पहले पहले ईटीवी भारत आपको इसकी नियमवाली के मुख्य बिंदुओं से रूबरू करवाएगा.
क्या बोले सीएम धामी: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सीएम धामी ने कहा "राज्य में सभी के लिए समान नागरिक संहिता बनाई जा रही है. इससे पूरे देश को फायदा होगा. भाजपा उत्तराखंड का विकास कर इसे देश के शीर्ष राज्यों में शामिल करना चाहती है, जबकि कांग्रेस और अन्य दल उत्तराखंड के विकास के लिए प्रयास कर रहे हैं"
यूसीसी पोर्टल किया गया तैयार: यूसीसी पोर्टल पर नागरिकों को शिकायतों की सुविधा भी की गई है. इसके लिए उन्हें रजिस्ट्रेशन करना होगा. रजिस्ट्रेशन नंबर के जरिये शिकायत को ट्रैक भी किया जा सकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसके लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं.
लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर नियम: अब बात इसके जरूरी नियमों की कर लेते हैं. यूनिफॉर्म सिविल कोड में सबसे अधिक चर्चा लिव-इन रिलेशनशिप के नियमों को लेकर है. इसके मुताबित यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशन को रजिस्टर्ड करना होगा. इसके लिए यूसीसी पोर्टल पर प्रावधान हैं. लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स को अपने पार्टनर की पूरी जानकारी देनी होगी. इसके साथ ही अपना धर्म और नंबर भी यहां उपलब्ध करवाना होगा. इससे पहले लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कोई कानून नहीं था. यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड में शादी भी रजिस्टर्ड करनी जरूरी होगी.
शादी करानी होगी रजिस्टर्ड: इसके साथ ही यूसीसी लागू होने के बाद शादी को लेकर भी नियम बदल जाएंगे. यूसीसी लागू होने के बाद लड़कियों की शादी की उम्र भी बढ़ाई जाएगी. इससे साथ ही इससे जुड़ी सारी जानकारी भी रजिस्टर्ड करानी होगी. उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद मुस्लिम महिलाओं को बच्चे गोद लेने का अधिकार मिलेगा. इसकी प्रक्रिया में सरलीकरण किया जाएगा. इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर भी यूसीसी के जरिये रोक लग जाएगी.
प्रॉपर्टी को लेकर क्या कुछ नियम: यूसीसी लागू होने के बाद संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर का हिस्सा मिलेगा. यूसीसी के बाद मृतक के उस पत्नी या पति को प्रॉपर्टी नहीं मिलेगी जो संपत्ति मालिक के जीवित रहते किसी और से शादी कर लिए थे, उन्हें उत्तराधिकारी नहीं माना जाएगा.
उत्तराखंड यूसीसी नियमावली के मुख्य बिंदु
- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर लगेगी रोक.
- बहुविवाह पूर्ण तरीक़े से बैन केवल एक शादी होगी मान्य.
- लिव इन रिलेशनशिप के लिए डिक्लेरेशन होगा जरूरी.
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों की पूरी जानकारी देनी होगी.
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पुलिस के पास रजिस्ट्रेशन करना होगा.
- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर मिलेगा हिस्सा.
- एडॉप्शन सभी के लिए होगा मान्य.
- मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा गोद लेने का अधिकार.
- गोद लेने की प्रक्रिया का होगा सरलीकरण.
- मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर रोक लगेगी.
- शादी के बाद रजिस्ट्रेशन होगा अनिवार्य.
- हर शादी का गांव में ही रजिस्ट्रेशन होगा.
- बिना रजिस्ट्रेशन की शादी अमान्य मानी जाएगी.
- शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा.
- पति और पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे.
- तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा.
- नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी.
- अगर पत्नी पुनर्विवाह करती है, तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंनशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा.
- पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी.
- गार्जियनशिप, बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा.
- पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है.
- यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी हो सकता है प्रावधान.
- जनसंख्या नियंत्रण के लिए बच्चों की सीमा तय की जा सकती है
यूसीसी लागू होने के बाद क्या कुछ बदलेगा
- समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर लगाम लगेगी.
- किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून प्रभावित नहीं होंगे.
- बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा करेगा यूसीसी
- विवाह का पंजीकरण होगा अनिवार्य. पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं का नहीं मिलेगा लाभ.
- पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना होगा प्रतिबंधित.
- सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित.
- वैवाहिक दंपति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है, तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का होगा अधिकार.
- पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी, बच्चे के माता के पास ही रहेगी.
- सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार होगा.
- सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार.
- मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक लगेगी.
- संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा.
- नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना जाएगा.
- किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी और बच्चों को समान अधिकार मिलेगा.
- किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया जाएगा.
- लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा.
- लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा. उस बच्चे को जैविक संतान की तरह सभी अधिकार प्राप्त होंगे.