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राजस्थान का रूप कंवर सती कांड, घटना का महिमा मंडन करने वाले 8 आरोपी बरी - RAJASTHAN SATI CASE

राजस्थान का रूप कंवर सती कांड. इस घटना ने देश को हिलाकर रख दिया था. घटना का महिमा मंडन करने वाले 8 आरोपी बरी.

Rajasthan Sati Case
परिवार के साथ माल सिंह और रूप कंवर (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 9, 2024, 6:26 PM IST

जयपुर: सती निवारण मामलों की विशेष अदालत ने सीकर के दिवराला में वर्ष 1987 में हुए रूप कंवर सती कांड के बाद घटना का महिमा मंडन के मामले में 8 आरोपियों महेन्द्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह, निहाल सिंह, जितेन्द्र सिंह, उदय सिंह, लक्ष्मण सिंह और भंवर सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. मामले में वर्ष 2004 में अदालत प्रताप सिंह, राजेन्द्र सिंह राठौड़ और रूप कंवर के भाई गोपाल सिंह राठौड़ सहित 25 लोगों को बरी कर चुकी है. जबकि मूल घटना के बाद गिरफ्तार किए गए 32 लोगों को सीकर की कोर्ट अक्टूबर, 1996 में बरी कर चुकी है.

बचाव पक्ष के वकील अमर सिंह राजावत ने बताया कि जयपुर निवासी रूप कंवर का विवाह दिवराला के माल सिंह के साथ हुआ था. विवाह के करीब सात माह बाद ही माल सिंह की बीमारी से मौत हो गई थी. वहीं, 4 सितंबर, 1987 को 18 वर्षीय रूप कंवर की माल सिंह की चिता के साथ जलने से मौत हो गई थी. इसके बाद 22 सितंबर, 1988 को समाज के लोगों ने दिवराला से अजीतगढ़ तक जुलूस निकाला, लेकिन बारिश के कारण जुलूस ज्यादा आगे नहीं चल पाया. वहीं, रात करीब 8 बजे 45 लोगों ने ट्रक में बैठकर जुलूस को फिर से शुरू किया. इसके चलते पुलिस ने इन 45 आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

पढ़ें : दहेज हत्या का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, मृतका के शव को कब्र से बाहर निकलवा करवाया था पोस्टमार्टम - Accused of Dowry murder arrested

गिरफ्तारी के महज चार दिन बाद ही पुलिस ने 26 सितंबर को इनके खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था. लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने इनमें से 25 लोगों को साल 2004 में बरी कर दिया था. मामले में 11 सितंबर, 2019 को आरोपी लक्ष्मण सिंह ने अदालत में समर्पण किया था. इन 45 लोगों में से करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है और इतने ही फरार चल रहे हैं.

यह है पूरा मामला : सीकर जिले के दिवराला गांव की रूप कंवर 4 सितंबर 1987 को पति की चिता के साथ जिंदा जल गई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के निर्देश पर पुलिस ने जांच करते हुए 45 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया था. दरअसल, रूप कंवर की शादी सीकर जिले के दिवराला निवासी माल सिंह शेखावत के साथ 1987 में हुई थी. शादी के 7 माह बाद गंभीर बीमारी से माल सिंह की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि पति के निधन के बाद रूप कंवर ने सती होने की इच्छा जताई और 4 सितंबर, 1987 को सती हो गईं. भारत में सती होने का यह आखिरी मामला था. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने रूप कंवर को सती मां का दर्जा दिया और वहां मंदिर बनवाया हुआ है. इस घटना के सार्वजनिक होने के बाद देशभर में काफी बवाल मचा था और राष्ट्रीय स्तर पर यह मुद्दा गरमाया था.

जयपुर: सती निवारण मामलों की विशेष अदालत ने सीकर के दिवराला में वर्ष 1987 में हुए रूप कंवर सती कांड के बाद घटना का महिमा मंडन के मामले में 8 आरोपियों महेन्द्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह, निहाल सिंह, जितेन्द्र सिंह, उदय सिंह, लक्ष्मण सिंह और भंवर सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. मामले में वर्ष 2004 में अदालत प्रताप सिंह, राजेन्द्र सिंह राठौड़ और रूप कंवर के भाई गोपाल सिंह राठौड़ सहित 25 लोगों को बरी कर चुकी है. जबकि मूल घटना के बाद गिरफ्तार किए गए 32 लोगों को सीकर की कोर्ट अक्टूबर, 1996 में बरी कर चुकी है.

बचाव पक्ष के वकील अमर सिंह राजावत ने बताया कि जयपुर निवासी रूप कंवर का विवाह दिवराला के माल सिंह के साथ हुआ था. विवाह के करीब सात माह बाद ही माल सिंह की बीमारी से मौत हो गई थी. वहीं, 4 सितंबर, 1987 को 18 वर्षीय रूप कंवर की माल सिंह की चिता के साथ जलने से मौत हो गई थी. इसके बाद 22 सितंबर, 1988 को समाज के लोगों ने दिवराला से अजीतगढ़ तक जुलूस निकाला, लेकिन बारिश के कारण जुलूस ज्यादा आगे नहीं चल पाया. वहीं, रात करीब 8 बजे 45 लोगों ने ट्रक में बैठकर जुलूस को फिर से शुरू किया. इसके चलते पुलिस ने इन 45 आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

पढ़ें : दहेज हत्या का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, मृतका के शव को कब्र से बाहर निकलवा करवाया था पोस्टमार्टम - Accused of Dowry murder arrested

गिरफ्तारी के महज चार दिन बाद ही पुलिस ने 26 सितंबर को इनके खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था. लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने इनमें से 25 लोगों को साल 2004 में बरी कर दिया था. मामले में 11 सितंबर, 2019 को आरोपी लक्ष्मण सिंह ने अदालत में समर्पण किया था. इन 45 लोगों में से करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है और इतने ही फरार चल रहे हैं.

यह है पूरा मामला : सीकर जिले के दिवराला गांव की रूप कंवर 4 सितंबर 1987 को पति की चिता के साथ जिंदा जल गई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के निर्देश पर पुलिस ने जांच करते हुए 45 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया था. दरअसल, रूप कंवर की शादी सीकर जिले के दिवराला निवासी माल सिंह शेखावत के साथ 1987 में हुई थी. शादी के 7 माह बाद गंभीर बीमारी से माल सिंह की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि पति के निधन के बाद रूप कंवर ने सती होने की इच्छा जताई और 4 सितंबर, 1987 को सती हो गईं. भारत में सती होने का यह आखिरी मामला था. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने रूप कंवर को सती मां का दर्जा दिया और वहां मंदिर बनवाया हुआ है. इस घटना के सार्वजनिक होने के बाद देशभर में काफी बवाल मचा था और राष्ट्रीय स्तर पर यह मुद्दा गरमाया था.

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