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आदित्य-एल1 पर लगे 'पेलोड' के उन्नत सेंसरों ने सीएमई के प्रभाव का पता लगाया

Aditya-L1 : भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल-1 पर लगे पेलोड के सेंसरों ने सूर्य से प्लाज्मा और चुंबकीय तत्वों के निकलने की घटना (सीएमई) के प्रभाव का पता लगाया है. यह जानकारी इसरो ने दी. पढ़िए पूरी खबर...

Aditya L1
आदित्य एल1
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By PTI

Published : Feb 23, 2024, 2:55 PM IST

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 पर लगे ‘पेलोड’ के उन्नत सेंसरों ने कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के प्रभाव का सफलतापूर्वक पता लगाया है. सूर्य से प्लाज्मा और चुंबकीय तत्वों के निकलने की घटना को सीएमई कहा जाता है.

अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए) नामक पेलोड एक ऊर्जा व द्रव्यमान विश्लेषक है, जिसे कम ऊर्जा सीमा में सौर पवन इलेक्ट्रॉन और आयनों के मापन के लिए तैयार किया गया है. इसमें दो सेंसर हैं: पहला सेंसर सोलर विंड इलेक्ट्रॉन एनर्जी प्रॉब (स्वीप) 10 इलेक्ट्रॉन वाल्ट से 3 किलो इलेक्ट्रॉन वॉल्ट की ऊर्जा सीमा में इलेक्ट्रॉनों को मापता है जबकि दूसरा सेंसर सोलर विंड आयन कंपोजिशन एनलाइजर (एसडब्ल्यूआईसीएआर) 10 इलेक्ट्रॉन वाल्ट से 25 किलो इलेक्ट्रॉन वाल्ट और 1-60 एएमयू द्रव्यमान ऊर्जा सीमा में आयनों को मापता है. सेंसर सौर वायु कणों के आगमन की दिशा मापने में भी सक्षम हैं.

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला एवं वैमानिकी इकाई द्वारा विकसित पीएपीए से एकत्र किए गए डेटा से विशेष रूप से 15 दिसंबर, 2023 और 10-11 फरवरी, 2024 के दौरान हुई कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) घटनाओं के बारे में पता चला है.

इसरो ने एक बयान में कहा, '15 दिसंबर, 2023 को सीएमई की एकल घटना हुई थी. इस अवधि के दौरान पीएपीए अवलोकनों ने कुल इलेक्ट्रॉन और आयन गिनती में अचानक वृद्धि देखी.' बयान में कहा गया है कि पीएपीए से मिली जानकारी अंतरिक्ष मौसम की स्थिति की निगरानी में इसकी प्रभावशीलता और सौर घटनाओं का पता लगाने व विश्लेषण करने की इसकी क्षमता को रेखांकित करती है. इसरो ने दो सितंबर को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट से आदित्य-एल1 का सफल प्रक्षेपण किया था.

ये भी पढ़ें - इसरो का सोलर मिशन: L1 प्वाइंट पर पहुंचा Aditya यान, पीएम मोदी ने दी बधाई

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 पर लगे ‘पेलोड’ के उन्नत सेंसरों ने कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के प्रभाव का सफलतापूर्वक पता लगाया है. सूर्य से प्लाज्मा और चुंबकीय तत्वों के निकलने की घटना को सीएमई कहा जाता है.

अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए) नामक पेलोड एक ऊर्जा व द्रव्यमान विश्लेषक है, जिसे कम ऊर्जा सीमा में सौर पवन इलेक्ट्रॉन और आयनों के मापन के लिए तैयार किया गया है. इसमें दो सेंसर हैं: पहला सेंसर सोलर विंड इलेक्ट्रॉन एनर्जी प्रॉब (स्वीप) 10 इलेक्ट्रॉन वाल्ट से 3 किलो इलेक्ट्रॉन वॉल्ट की ऊर्जा सीमा में इलेक्ट्रॉनों को मापता है जबकि दूसरा सेंसर सोलर विंड आयन कंपोजिशन एनलाइजर (एसडब्ल्यूआईसीएआर) 10 इलेक्ट्रॉन वाल्ट से 25 किलो इलेक्ट्रॉन वाल्ट और 1-60 एएमयू द्रव्यमान ऊर्जा सीमा में आयनों को मापता है. सेंसर सौर वायु कणों के आगमन की दिशा मापने में भी सक्षम हैं.

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला एवं वैमानिकी इकाई द्वारा विकसित पीएपीए से एकत्र किए गए डेटा से विशेष रूप से 15 दिसंबर, 2023 और 10-11 फरवरी, 2024 के दौरान हुई कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) घटनाओं के बारे में पता चला है.

इसरो ने एक बयान में कहा, '15 दिसंबर, 2023 को सीएमई की एकल घटना हुई थी. इस अवधि के दौरान पीएपीए अवलोकनों ने कुल इलेक्ट्रॉन और आयन गिनती में अचानक वृद्धि देखी.' बयान में कहा गया है कि पीएपीए से मिली जानकारी अंतरिक्ष मौसम की स्थिति की निगरानी में इसकी प्रभावशीलता और सौर घटनाओं का पता लगाने व विश्लेषण करने की इसकी क्षमता को रेखांकित करती है. इसरो ने दो सितंबर को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट से आदित्य-एल1 का सफल प्रक्षेपण किया था.

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