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NTA अध्यक्ष डॉ प्रदीप जोशी का विवादों से पुराना नाता, जबलपुर में नियमों को दरकिनार कर बने थे HOD? - NTA Chairman Dr Pradeep Joshi

नीट यूजी पेपर लीक से चर्चा में आए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के अध्यक्ष डॉ प्रदीप जोशी का विवादों से पुराना नाता रहा है. तरक्की की राह में उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बरेली से जबलपुर पहुंचे डॉ प्रदीप जोशी को नियमों को ताक पर रखकर एमबीए का विभागाध्यक्ष बनाया गया था.

NTA CHAIRMAN DR PRADEEP JOSHI
विवादों में रहे डॉ प्रदीप जोशी हैं एनटीए अध्यक्ष (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 25, 2024, 4:53 PM IST

Updated : Jun 25, 2024, 5:55 PM IST

जबलपुर। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के वर्तमान अध्यक्ष डॉ प्रदीप जोशी 1997 में जबलपुर में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के मुखिया बने थे जबकि उनकी पढ़ाई कॉमर्स विषय से हुई थी. उस समय भी जबलपुर में डॉ प्रदीप जोशी की पोस्टिंग का विरोध हुआ था. डॉ प्रदीप जोशी का एमपीपीएससी का कार्यकाल भी सवालों के घेरे में रहा है, इसलिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी में हो रही गड़बड़ियों को यदि इन कड़ियों से जोड़कर देखा जाए तो डॉ प्रदीप जोशी का विवादों से पुराना नाता रहा है.

विवादों में रहे डॉ प्रदीप जोशी हैं एनटीए अध्यक्ष

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी इन दिनों चर्चा में है क्योंकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की कई परीक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के वर्तमान अध्यक्ष डॉ प्रदीप जोशी हैं. इनमें पहला प्रश्न चिन्ह नीट एग्जाम पर लगा जिसके जरिए देश भर में मेडिकल कॉलेज में एडमिशन होने थे. इसके बाद नेट की परीक्षा भी रद्द करनी पड़ी. इन दोनों परीक्षाओं पर सवाल खड़े होने के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के अध्यक्ष डॉ प्रदीप जोशी पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं. बताया जाता है कि एनटीए के वर्तमान अध्यक्ष एबीवीपी से जुड़े रहे हैं और इसके पहले वह एमपीपीएससी, छत्तीसगढ़ पीएससी समेत यूपीएससी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. बताया जाता है कि हर जगह वह विवादों में रहे हैं.

जबलपुर में MBA विभाग का HOD बनने पर हुआ था विरोध

डॉ प्रदीप जोशी बरेली से 1997 में जबलपुर आए थे और इन्हें जबलपुर में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में मास्टर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट विभाग का हेड ऑफ डिपार्टमेंट बना दिया गया था. जब उनकी यह पोस्टिंग हुई तो जबलपुर में इस पोस्टिंग का जमकर विरोध हुआ था. तत्कालीन छात्र संगठनों ने इस पोस्टिंग का विरोध किया था. इन लोगों का आरोप था कि डॉ प्रदीप जोशी कॉमर्स के टीचर हैं और उन्हें मैनेजमेंट का हेड ऑफ डिपार्टमेंट कैसे बना दिया गया. उनकी इस पोस्टिंग का विरोध हुआ था. डॉ प्रदीप जोशी को मुरली मनोहर जोशी का करीबी माना जाता है.

एमपीपीएससी के कार्यकाल पर भी सवाल

डॉ प्रदीप जोशी इसके बाद 2002 में एमपीपीएससी के मेंबर बने और कुछ दिनों में ही डॉ प्रदीप जोशी को एमपीपीएससी का अध्यक्ष बना दिया गया. इस दौरान भी कई राजनीतिक और भारतीय जनता पार्टी के करीबी लोगों के परिवार के सदस्य राज्य सेवा परीक्षा में चुने गए. डॉ प्रदीप जोशी के ही कार्यकाल के दौरान एमपीपीएससी ने हायर एजुकेशन में बहुत सारी पोस्टिंग्स की. नाम न छापने की शर्त पर कुछ कर्मचारी नेताओं ने हमें बताया कि डॉ प्रदीप जोशी के समय कई लोगों की नियम विरुद्ध तरीके से पोस्टिंग की गई थी. ऐसे में बताया जाता है कि उनका यह कार्यकाल भी लंबे समय तक सवालों के घेरे में रहा था और उनको अध्यक्ष बनवाने को लेकर भी एक आरएसएस प्रचारक ने लिखित सिफारिश की थी. इसके बाद ही उन्हें अध्यक्ष बनाया गया था.

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सवालों के घेरे में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी

डॉ प्रदीप जोशी वर्तमान में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के अध्यक्ष हैं और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर कई सवाल उठ रहे हैं. नीट की परीक्षा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कुछ जगहों पर दोबारा करवानी पड़ी. कई छात्रों को नियम वृद्धि तरीके से ग्रेस मार्क दिए गए. सवाल यह खड़ा होता है कि जिस एजेंसी पर पूरे देश के छात्रों का भविष्य जुड़ा हुआ है ऐसी एजेंसियों में राजनीतिक नियुक्तियां क्यों की जाती है, अपने छोटे से फायदे के लिए नेता पूरी देश की व्यवस्था को दांव पर लगा रहे हैं.

जबलपुर। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के वर्तमान अध्यक्ष डॉ प्रदीप जोशी 1997 में जबलपुर में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के मुखिया बने थे जबकि उनकी पढ़ाई कॉमर्स विषय से हुई थी. उस समय भी जबलपुर में डॉ प्रदीप जोशी की पोस्टिंग का विरोध हुआ था. डॉ प्रदीप जोशी का एमपीपीएससी का कार्यकाल भी सवालों के घेरे में रहा है, इसलिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी में हो रही गड़बड़ियों को यदि इन कड़ियों से जोड़कर देखा जाए तो डॉ प्रदीप जोशी का विवादों से पुराना नाता रहा है.

विवादों में रहे डॉ प्रदीप जोशी हैं एनटीए अध्यक्ष

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी इन दिनों चर्चा में है क्योंकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की कई परीक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के वर्तमान अध्यक्ष डॉ प्रदीप जोशी हैं. इनमें पहला प्रश्न चिन्ह नीट एग्जाम पर लगा जिसके जरिए देश भर में मेडिकल कॉलेज में एडमिशन होने थे. इसके बाद नेट की परीक्षा भी रद्द करनी पड़ी. इन दोनों परीक्षाओं पर सवाल खड़े होने के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के अध्यक्ष डॉ प्रदीप जोशी पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं. बताया जाता है कि एनटीए के वर्तमान अध्यक्ष एबीवीपी से जुड़े रहे हैं और इसके पहले वह एमपीपीएससी, छत्तीसगढ़ पीएससी समेत यूपीएससी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. बताया जाता है कि हर जगह वह विवादों में रहे हैं.

जबलपुर में MBA विभाग का HOD बनने पर हुआ था विरोध

डॉ प्रदीप जोशी बरेली से 1997 में जबलपुर आए थे और इन्हें जबलपुर में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में मास्टर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट विभाग का हेड ऑफ डिपार्टमेंट बना दिया गया था. जब उनकी यह पोस्टिंग हुई तो जबलपुर में इस पोस्टिंग का जमकर विरोध हुआ था. तत्कालीन छात्र संगठनों ने इस पोस्टिंग का विरोध किया था. इन लोगों का आरोप था कि डॉ प्रदीप जोशी कॉमर्स के टीचर हैं और उन्हें मैनेजमेंट का हेड ऑफ डिपार्टमेंट कैसे बना दिया गया. उनकी इस पोस्टिंग का विरोध हुआ था. डॉ प्रदीप जोशी को मुरली मनोहर जोशी का करीबी माना जाता है.

एमपीपीएससी के कार्यकाल पर भी सवाल

डॉ प्रदीप जोशी इसके बाद 2002 में एमपीपीएससी के मेंबर बने और कुछ दिनों में ही डॉ प्रदीप जोशी को एमपीपीएससी का अध्यक्ष बना दिया गया. इस दौरान भी कई राजनीतिक और भारतीय जनता पार्टी के करीबी लोगों के परिवार के सदस्य राज्य सेवा परीक्षा में चुने गए. डॉ प्रदीप जोशी के ही कार्यकाल के दौरान एमपीपीएससी ने हायर एजुकेशन में बहुत सारी पोस्टिंग्स की. नाम न छापने की शर्त पर कुछ कर्मचारी नेताओं ने हमें बताया कि डॉ प्रदीप जोशी के समय कई लोगों की नियम विरुद्ध तरीके से पोस्टिंग की गई थी. ऐसे में बताया जाता है कि उनका यह कार्यकाल भी लंबे समय तक सवालों के घेरे में रहा था और उनको अध्यक्ष बनवाने को लेकर भी एक आरएसएस प्रचारक ने लिखित सिफारिश की थी. इसके बाद ही उन्हें अध्यक्ष बनाया गया था.

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सवालों के घेरे में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी

डॉ प्रदीप जोशी वर्तमान में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के अध्यक्ष हैं और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर कई सवाल उठ रहे हैं. नीट की परीक्षा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कुछ जगहों पर दोबारा करवानी पड़ी. कई छात्रों को नियम वृद्धि तरीके से ग्रेस मार्क दिए गए. सवाल यह खड़ा होता है कि जिस एजेंसी पर पूरे देश के छात्रों का भविष्य जुड़ा हुआ है ऐसी एजेंसियों में राजनीतिक नियुक्तियां क्यों की जाती है, अपने छोटे से फायदे के लिए नेता पूरी देश की व्यवस्था को दांव पर लगा रहे हैं.

Last Updated : Jun 25, 2024, 5:55 PM IST
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