नई दिल्ली : झारखंड और मध्य प्रदेश इकाइयों में हो रही बगावत को मैनेज करने को लेकर कांग्रेस ने रविवार को प्रयास तेज कर दिए. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश सीएलपी नेता उमंग सिंघार जो आदिवासी नेता हैं, उनको झारखंड के एक दर्जन बागी विधायकों के साथ बातचीत करने के लिए दिल्ली बुलाया गया है. कुछ विधायक मुख्यमंत्री चंपई सोरेम के नेतृत्व वाली झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन सरकार में मंत्री पद की नियुक्तियों से नाखुश हैं.
सिंघार झारखंड के प्रभारी एआईसीसी सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं और बागी विधायकों को अच्छी तरह से जानते हैं. नई चंपई सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे से सभी चार मंत्रियों को दोबारा मंत्री बनाए जाने से बागी नाखुश हैं.
मुख्यमंत्री ने दिल्ली में गठबंधन के मुद्दों को सुलझाने के लिए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मुलाकात की. कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद भाजपा द्वारा उनके कुछ विधायकों को तोड़ने के प्रयासों के बावजूद झामुमो-कांग्रेस ने राज्य विधानसभा में विश्वास मत जीता था, जिसके कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम सामने आया है.
मध्य प्रदेश में पार्टी प्रबंधक उस झटके के लिए तैयार हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के आसन्न बाहर निकलने से होगा जो भाजपा में जा रहे हैं. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'कमलनाथ को शामिल करने से बीजेपी को राज्य में ज्यादा फायदा नहीं होगा. लेकिन कमलनाथ अकेले मूव नहीं करेंगे, वह अपने साथ कई विधायकों और नेताओं को भी ले जाएंगे. इसे कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जाएगा और सबसे पुरानी पार्टी के बारे में नकारात्मक धारणा बनेगी. इससे बीजेपी को लोकसभा चुनाव से पहले अन्य राज्यों में मदद मिलेगी.'
पिछले दो दिनों से, जब कमलनाथ के बाहर निकलने की अटकलें तेज थीं, एआईसीसी प्रबंधकों ने पूर्व मुख्यमंत्री से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. हालांकि, कमलनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से बात की और दोहराया कि वह अभी भी कांग्रेस में हैं, लेकिन पर्दे के पीछे के घटनाक्रम ने एआईसीसी प्रबंधकों को संकेत दिया कि उनकी सबसे बुरी आशंका जल्द ही सच हो सकती है.
यह तब था जब राज्य इकाई के प्रमुख जीतू पटवारी को सार्वजनिक रूप से कमलनाथ के छोड़ने की रिपोर्टों का खंडन करने और गांधी परिवार के साथ उनके दशकों पुराने संबंधों को उजागर करने के लिए कहा गया था. पार्टी के राज्य चुनाव हारने के बाद पटवारी ने राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में कमलनाथ की जगह ली.
एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'यह कमलनाथ के भविष्य को लेकर पार्टी में एक तरह का अनुमान लगाने का खेल है लेकिन मुझे लगता है कि उनका भाजपा में शामिल होना बस समय की बात है. बीजेपी के साथ बातचीत पूरी होने के बाद रविवार या सोमवार को औपचारिक घोषणा हो सकती है. चीजें किस दिशा में जा रही हैं इसका एक संकेत यह है कि कमलनाथ ने अटकलों से स्पष्ट रूप से इनकार नहीं किया है. साथ ही, यह कुछ समय तक हवा में रहा लेकिन संकट आने तक कुछ नहीं किया गया.'
मध्य प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी सचिव शिव भाटिया ने ईटीवी भारत को बताया कि 'जब तक कुछ नहीं होता तब तक ये सभी खबरें अफवाह हैं. उन पर प्रतिक्रिया देने का कोई मतलब नहीं है.'
एमपी कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शोभा ओझा ने बताया, 'मुझे लगता है कि जो लोग पार्टी की विचारधारा से निर्देशित हैं, वे यहीं रहेंगे.' इस बीच, एआईसीसी प्रबंधकों ने राज्य के नेताओं से मध्य प्रदेश के पार्टी विधायकों और कमलनाथ के करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ नेताओं से संपर्क करने को कहा है ताकि संभावित नुकसान की सीमा सुनिश्चित की जा सके.
एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'कमलनाथ के साथ कई विधायकों, चुनाव लड़ चुके लोगों, स्थानीय निकायों में महापौर, पार्षदों सहित निर्वाचित प्रतिनिधियों के कांग्रेस छोड़ने की संभावना है. यह एक झटका होने वाला है लेकिन राज्य में कांग्रेस पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि पार्टी ने 2019 में राज्य में केवल 1/29 लोकसभा सीटें जीतीं. वह एकमात्र सीट छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र थी जहां से उनके बेटे नकुल नाथ चुने गए थे. जाहिर है नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से बीजेपी का टिकट मिल सकता है.'