छिंदवाड़ा: बांग्लादेश में आए राजनीतिक भूचाल का असर किसानों पर भी नजर आने लगा है. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, पांढुर्णा और महाराष्ट्र के विदर्भ के किसान अपना संतरा बांग्लादेश निर्यात करते थे. इस पर अब संशय है कि संतरा बांग्लादेश में मिठास बिखेरेगा का या फिर अपने ही देश में निचोड़ा जाएगा.
एक तिहाई संतरा बांग्लादेश में होता था निर्यात
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, पांढुर्णा और विदर्भ के 7 से 8 जिलों में संतरे का भरपूर उत्पादन होता है. इन जिलों से संतरा उत्पादन का करीब एक तिहाई बांग्लादेश में निर्यात किया जाता था. इंडो-बांग्ला ऑरेंज संगठन के अध्यक्ष सोनू खान ने ईटीवी भारत को फोन पर चर्चा में बताया कि "बांग्लादेश में आई राजनीतिक स्थिरता के बाद अब संतरा उत्पादक किसानों में निराशा है क्योंकि 2016 के बाद इस साल अंबिया बहार के संतरों का रिकॉर्ड उत्पादन होने की संभावना है और ऐसे दौर में बांग्लादेश में अभी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. अगर बांग्लादेश में संतरे का निर्यात नहीं हो पाया तो मजबूरी में भारतीय बाजारों में ही संतरे को कम दामों में बेचा जाएगा क्योंकि उत्पादन की अपेक्षा मांग भारत में कम रहती है, जिसका सीधा नुकसान संतरा उत्पादक किसानों को झेलना पड़ेगा."
बांग्लादेश ने बढ़ाई थी इंपोर्ट ड्यूटी
इंडो बांग्ला ऑरेंज एसोसिएशन के अध्यक्ष सोनू खान ने बताया कि "कोविड संक्रमण काल के पहले तक बांग्लादेश में फलों की इंपोर्ट ड्यूटी 29 टका(बांग्लादेशी मुद्रा) प्रति किलो थी लेकिन उसके बाद शेख हसीना सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 101 टका प्रति किलो तक कर दी थी. जिसकी वजह से भारत का फल बांग्लादेश में कम निर्यात किया जाने लगा था. पिछले साल तो मात्र 5 फीसदी ही निर्यात किया गया था लेकिन इस मुद्दे को लेकर करीब एक महीने पहले ही इंडो-बांग्ला ऑरेंज एसोसियशन ने पीयूष गोयल से मुलाकात की थी. पीयूष गोयल की पहल पर बांग्लादेश के मंत्री भारत में आकर इस मुद्दे पर बातचीत करने वाले थे लेकिन अचानक बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता आ गई इस वजह से अभी मुद्दा टल चुका है."
नेपाल में भी एक्सपोर्ट होता है भारत का संतरा
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में होने वाला संतरा सबसे ज्यादा बांग्लादेश और फिर नेपाल में निर्यात किया जाता है लेकिन बांग्लादेश के हालात के बाद अब एकमात्र देश नेपाल बचता है. यहां पर संतरे का निर्यात किया जाएगा लेकिन नेपाल छोटा देश होने की वजह से यहां पर खपत कम होती है.
आजादपुर मंडी में संतरों की बिक्री 16 सितंबर से होगी
समय से पहले कच्चे संतरों की खरीदी को रोकने के लिए नई दिल्ली की आजादपुर मंडी में डेट लिमिट तय कर दी गई है. ऑरेंज मर्चेंट एसोसिएशन ने बताया कि "नई दिल्ली की आजादपुर मंडी में 16 सितंबर से ही संतरों की बिक्री शुरू होगी. इसके पहले यदि कोई एजेंट संतरा बुलाकर मंडी में बेचने का प्रयास करेगा तो उसे 1 लाख रुपए तक जुर्माना देना होगा. इसके साथ ही संतरा फड़ से उसका आवंटन भी रद्द हो सकता है. आजादपुर मंडी में भी रोजाना 20 से 40 ट्रक संतरों की बिक्री होती है.
1 महीने बाद शुरू हो जाएगी संतरे की आवक
ठंड के दिनों में आने वाले अंबिया बहार के संतरों का उत्पादन 1 महीने बाद शुरू हो जाएगा. 3 साल पहले तक इस क्षेत्र से रोजाना 800 से 1000 टन संतरों को बांग्लादेश भेजा जाता था. पिछले 3 सालों से लगातार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने के कारण संतरों का निर्यात कम होता गया. इस साल सीजन शुरू होने के पहले ही बांग्लादेश में अस्थिरता के चलते निर्यात की मुश्किल बढ़ गई है.
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निर्यात की गई सब्जियों का पेमेंट भी नहीं हुआ रिलीज
भारत से संतरे के अलावा बांग्लादेश में प्याज और मिर्च का भी निर्यात किया जाता है. अचानक बांग्लादेश में आए राजनीतिक संकट के चलते दो हफ्तों से मिर्च और प्याज के अलावा कई और खाद्य पदार्थों को एक्सपोर्ट किया गया था. उसका पेमेंट भी रिलीज नहीं हुआ है. इसको लेकर इंडो बांग्ला ऑरेंज संगठन ने सावधानी के साथ संतरों के निर्यात करने की सलाह जारी की है.