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लगातार 9वें साल दिल्ली के गणतंत्र दिवस परेड में नहीं दिखेगी बिहार की झांकी, क्या है वजह? - Republic Day 2024

Republic Day 2024: बिहार की झांकी में गंगाजल प्रदर्शित किया जाना था. लेकिन 'गंगाजल' थीम वाली झांकी को चयन समिति ने खारिज कर दिया है. क्या है 'हर घर गंगाजल' योजना?. नीतीश कुमार घरों में 'गंगाजल' पहुंचाने में कितने कामयाब हुए? विस्तार से पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

बिहार की झांकी में 'गंगाजल' की जाएगी प्रदर्शित
बिहार की झांकी में 'गंगाजल' की जाएगी प्रदर्शित
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 24, 2024, 7:24 PM IST

Updated : Jan 25, 2024, 11:40 AM IST

पटना: लगातार आठ बार रिजेक्ट होने के बाद इस साल उम्मीद थी कि बिहार की झांकी गणतंत्र दिवस के दिन कर्तव्य पथ पर अपना जलवा बिखेरेगी. लेकिन दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर निकाले जाने वाली झांकियों में इस बार बिहार की गंगाजल योजना को शामिल नहीं किया गया है.

नहीं दिखेगी बिहार की झांकी, क्या है वजह? : उममीद थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को देश के लोग झांकी में देखते. बिहार में राजगीर, गया, बोधगया और नवादा के लोगों को पटना से गंगाजल की आपूर्ति की जा रही है. गंगा जल आपूर्ति की महत्वाकांक्षी योजना पर 4000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हुई है.

क्या है 'हर घर गंगाजल' योजना? : हर घर गंगाजल योजना के तहत नीतीश सरकार गंगा का जल नलों के जरिए लोगों के घरों तक पहुंचा रही है. इस योजना के तहत लोगों को स्वच्छ पानी मिल रहा है. 4 जिलों के लोगों को हर दिन 1. 89 करोड़ लीटर गंगा जल आपूर्ति की जा रही है. इन चार जिलों में बारिश का पानी नहीं रुकता और गर्मी में भूजल स्तर काफी नीचे चला जाता है.

ईटीवी भारत GFX
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दूसरा फेज भी शुरू: पटना के मोकामा स्थित मरांची से 190 किलोमीटर पाइप के सहारे गंगाजल को राजगीर गया बोधगया और नवादा ले जाया गया है. प्रत्येक व्यक्ति को 135 लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है. 2022 में पहले फेज का उद्घाटन हुआ था तो वहीं दूसरे फेज का 2023 में उद्घाटन हुआ है.

सीएम नीतीश का ड्रीम प्रोजेक्ट: जल संसाधन विभाग ने नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा जलापूर्ति योजना पर 2019 में काम करना शुरू किया था. नवंबर के महीने में 2019 में कैबिनेट की बैठक हुई थी और उसी में इस योजना पर मुहर लगी थी. 3 साल में पहले चरण की योजना बनकर तैयार हुई .

3 जलाशयों के माध्यम से पानी की आपूर्ति: ऐसे तो 2021 में ही इसे शुरू करने की तैयारी थी लेकिन कोरोना के कारण इसमें विलंब हुआ है. देश में अपनी तरह की यह पहली योजना है जिसमें मानसून के समय गंगा के जल को 4 महीने स्टोर कर 12 महीने आपूर्ति की जाएगी. राजगीर , बोधगया, गया और नवादा में 3 जलाशयों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाएगी.

कहां स्थित हैं जलाशय?: गया तेतर और अबगिलल्ला पहाड़तल्ली और राजगीर के घोड़ा कटोरा में जलाशय का निर्माण किया गया है. तेतर में 18.53 एमसीए यानी मिलियन क्यूबिक मीटर और अबगिलल्ला पहाड़तल्ली में 1.29 मिलियन क्यूबिक मीटर और राजगीर में घोड़ा कटोरा क्षेत्र में 9.81 मिलियन क्यूबिक मीटर की क्षमता का जलाशाय बनाया गया है.

ट्रीटमेंट के बाद पानी को स्टोर किया जाता है: मोकामा के मरांची के नजदीक से गंगाजल 190 किलोमीटर पाइप के सहारे ले जाया जाएगा और जलाशयों में ट्रीटमेंट के बाद पानी को जमा किया जाता है. राजगीर शहर के जल शोधन संयंत्र के लिए तीन राजगीर जलाशय के लिए तीन और गया के तेतर जलाशय के लिए तीन पंप लगाए गए हैं.

प्रति व्यक्ति बत्तीस हजार खर्च: साथ ही नवादा के संयंत्र के लिए दो पंप लगाए गए हैं. एक-एक पंप रिज़र्व में रखा गया है. चारों जिलों के 15 लाख लोगों को हर दिन 1. 89 करोड़ लीटर गंगाजल देने की योजना है. प्रत्येक व्यक्ति पर 32000 की राशि सरकार खर्च हो रही है.

मंत्री संजय झा का बयान: जल संसाधन मंत्री संजय झा के अनुसार "राजगीर शहर में 8031, बोधगया में 6000 और गया शहर में 75000 घरों में शुद्ध पेयजल के रूप में हर घर गंगाजल की निर्बाध आपूर्ति की जा रही है. राजगीर मलमास मेला में पहुंचे करीब दो करोड़ और गयाजी धाम में पितृपक्ष मेला महासंगम के दौरान पहुंचे 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने शोधित गंगाजल का उपयोग किया है."

"जल संसाधन विभाग द्वारा कार्यान्वित गंगाजल आपूर्ति योजना से इन शहरों में भूजल पर निर्भरता समाप्त हुई है, जिससे क्षेत्र में भूजल स्तर में सुधार हुआ है. योजना में जल प्रबंधन की नई एवं आधुनिकतम तकनीकों का सफलतापूर्वक सदुपयोग किया गया है."- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार

सीबीआईपी अवार्ड 2022: इस योजना को मार्च 2023 में केंद्र सरकार की संस्था द्वारा 'जल संसाधन के सर्वोत्तम कार्यान्वयन' श्रेणी में प्रतिष्ठित 'सीबीआईपी अवार्ड 2022' दिया गया है. मंत्री संजय झा के अनुसार शहर के वर्तमान एवं निर्माणाधीन शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, होटलों, सरकारी कार्यालयों आदि को भी शुद्ध गंगाजल की आपूर्ति की जायेगी.

मिल चुका है राष्ट्रीय पुरस्कार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा जलापूर्ति योजना और गयाजी रबड़ डैम योजना के लिए बिहार को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है. अब इस योजना को देशवासी गणतंत्र दिवस पर निकाले जाने वाली झांकी में भी देखेंगे.

क्या है धरातल पर योजना की हकीकत: बिहार के गया में हर घर गंगाजल की योजना पूरे तौर से धरातल पर नहीं उतरी है. यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है.'हर घर गंगा जल' से गया शहरी के 70 हजार और बोधगया के 5 से 6 हजार घरों में जलापूर्ति की योजना थी. ईटीवी की टीम ने जब इस योजना से संबंधित टोह लेनी शुरू की, तो सामने आया कि शहर की बड़ी आबादी अभी हर घर गंगा जल की योजना से वंंचित है.

पानी की समस्या कितनी बड़ी: सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के कई पहाड़ी इलाकों (राजगीर, गया, बोध गया और नवादा) में बारिश का पानी नहीं ठहरता है. इसलिए गर्मियों में यहां की नदियां, तालाब, और बोरवेल तक सूख जाते हैं. ऐसे में हर घर गंगाजल योजना इन जिलों के लिए वरदान है.

भूजल स्तर में गिरावट: साल 2019-2020 से (सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड) सीजीडब्ल्यूबी के आंकड़ों के मुताबिक राजगीर में गर्मियों में भूजल स्तर 10.93 मीटर तक पहुंच जाता है, जबकि यह बारिश के बाद नवंबर के महीने में 5.02 मीटर नीचे तक होता है. गर्मियों के दौरान बाकी तीनों शहरों में भी भूजल स्तर स्वाभाविक तौर पर नीचे चला जाता है.

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पटना: लगातार आठ बार रिजेक्ट होने के बाद इस साल उम्मीद थी कि बिहार की झांकी गणतंत्र दिवस के दिन कर्तव्य पथ पर अपना जलवा बिखेरेगी. लेकिन दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर निकाले जाने वाली झांकियों में इस बार बिहार की गंगाजल योजना को शामिल नहीं किया गया है.

नहीं दिखेगी बिहार की झांकी, क्या है वजह? : उममीद थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को देश के लोग झांकी में देखते. बिहार में राजगीर, गया, बोधगया और नवादा के लोगों को पटना से गंगाजल की आपूर्ति की जा रही है. गंगा जल आपूर्ति की महत्वाकांक्षी योजना पर 4000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हुई है.

क्या है 'हर घर गंगाजल' योजना? : हर घर गंगाजल योजना के तहत नीतीश सरकार गंगा का जल नलों के जरिए लोगों के घरों तक पहुंचा रही है. इस योजना के तहत लोगों को स्वच्छ पानी मिल रहा है. 4 जिलों के लोगों को हर दिन 1. 89 करोड़ लीटर गंगा जल आपूर्ति की जा रही है. इन चार जिलों में बारिश का पानी नहीं रुकता और गर्मी में भूजल स्तर काफी नीचे चला जाता है.

ईटीवी भारत GFX
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दूसरा फेज भी शुरू: पटना के मोकामा स्थित मरांची से 190 किलोमीटर पाइप के सहारे गंगाजल को राजगीर गया बोधगया और नवादा ले जाया गया है. प्रत्येक व्यक्ति को 135 लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है. 2022 में पहले फेज का उद्घाटन हुआ था तो वहीं दूसरे फेज का 2023 में उद्घाटन हुआ है.

सीएम नीतीश का ड्रीम प्रोजेक्ट: जल संसाधन विभाग ने नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा जलापूर्ति योजना पर 2019 में काम करना शुरू किया था. नवंबर के महीने में 2019 में कैबिनेट की बैठक हुई थी और उसी में इस योजना पर मुहर लगी थी. 3 साल में पहले चरण की योजना बनकर तैयार हुई .

3 जलाशयों के माध्यम से पानी की आपूर्ति: ऐसे तो 2021 में ही इसे शुरू करने की तैयारी थी लेकिन कोरोना के कारण इसमें विलंब हुआ है. देश में अपनी तरह की यह पहली योजना है जिसमें मानसून के समय गंगा के जल को 4 महीने स्टोर कर 12 महीने आपूर्ति की जाएगी. राजगीर , बोधगया, गया और नवादा में 3 जलाशयों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाएगी.

कहां स्थित हैं जलाशय?: गया तेतर और अबगिलल्ला पहाड़तल्ली और राजगीर के घोड़ा कटोरा में जलाशय का निर्माण किया गया है. तेतर में 18.53 एमसीए यानी मिलियन क्यूबिक मीटर और अबगिलल्ला पहाड़तल्ली में 1.29 मिलियन क्यूबिक मीटर और राजगीर में घोड़ा कटोरा क्षेत्र में 9.81 मिलियन क्यूबिक मीटर की क्षमता का जलाशाय बनाया गया है.

ट्रीटमेंट के बाद पानी को स्टोर किया जाता है: मोकामा के मरांची के नजदीक से गंगाजल 190 किलोमीटर पाइप के सहारे ले जाया जाएगा और जलाशयों में ट्रीटमेंट के बाद पानी को जमा किया जाता है. राजगीर शहर के जल शोधन संयंत्र के लिए तीन राजगीर जलाशय के लिए तीन और गया के तेतर जलाशय के लिए तीन पंप लगाए गए हैं.

प्रति व्यक्ति बत्तीस हजार खर्च: साथ ही नवादा के संयंत्र के लिए दो पंप लगाए गए हैं. एक-एक पंप रिज़र्व में रखा गया है. चारों जिलों के 15 लाख लोगों को हर दिन 1. 89 करोड़ लीटर गंगाजल देने की योजना है. प्रत्येक व्यक्ति पर 32000 की राशि सरकार खर्च हो रही है.

मंत्री संजय झा का बयान: जल संसाधन मंत्री संजय झा के अनुसार "राजगीर शहर में 8031, बोधगया में 6000 और गया शहर में 75000 घरों में शुद्ध पेयजल के रूप में हर घर गंगाजल की निर्बाध आपूर्ति की जा रही है. राजगीर मलमास मेला में पहुंचे करीब दो करोड़ और गयाजी धाम में पितृपक्ष मेला महासंगम के दौरान पहुंचे 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने शोधित गंगाजल का उपयोग किया है."

"जल संसाधन विभाग द्वारा कार्यान्वित गंगाजल आपूर्ति योजना से इन शहरों में भूजल पर निर्भरता समाप्त हुई है, जिससे क्षेत्र में भूजल स्तर में सुधार हुआ है. योजना में जल प्रबंधन की नई एवं आधुनिकतम तकनीकों का सफलतापूर्वक सदुपयोग किया गया है."- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार

सीबीआईपी अवार्ड 2022: इस योजना को मार्च 2023 में केंद्र सरकार की संस्था द्वारा 'जल संसाधन के सर्वोत्तम कार्यान्वयन' श्रेणी में प्रतिष्ठित 'सीबीआईपी अवार्ड 2022' दिया गया है. मंत्री संजय झा के अनुसार शहर के वर्तमान एवं निर्माणाधीन शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, होटलों, सरकारी कार्यालयों आदि को भी शुद्ध गंगाजल की आपूर्ति की जायेगी.

मिल चुका है राष्ट्रीय पुरस्कार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा जलापूर्ति योजना और गयाजी रबड़ डैम योजना के लिए बिहार को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है. अब इस योजना को देशवासी गणतंत्र दिवस पर निकाले जाने वाली झांकी में भी देखेंगे.

क्या है धरातल पर योजना की हकीकत: बिहार के गया में हर घर गंगाजल की योजना पूरे तौर से धरातल पर नहीं उतरी है. यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है.'हर घर गंगा जल' से गया शहरी के 70 हजार और बोधगया के 5 से 6 हजार घरों में जलापूर्ति की योजना थी. ईटीवी की टीम ने जब इस योजना से संबंधित टोह लेनी शुरू की, तो सामने आया कि शहर की बड़ी आबादी अभी हर घर गंगा जल की योजना से वंंचित है.

पानी की समस्या कितनी बड़ी: सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के कई पहाड़ी इलाकों (राजगीर, गया, बोध गया और नवादा) में बारिश का पानी नहीं ठहरता है. इसलिए गर्मियों में यहां की नदियां, तालाब, और बोरवेल तक सूख जाते हैं. ऐसे में हर घर गंगाजल योजना इन जिलों के लिए वरदान है.

भूजल स्तर में गिरावट: साल 2019-2020 से (सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड) सीजीडब्ल्यूबी के आंकड़ों के मुताबिक राजगीर में गर्मियों में भूजल स्तर 10.93 मीटर तक पहुंच जाता है, जबकि यह बारिश के बाद नवंबर के महीने में 5.02 मीटर नीचे तक होता है. गर्मियों के दौरान बाकी तीनों शहरों में भी भूजल स्तर स्वाभाविक तौर पर नीचे चला जाता है.

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Last Updated : Jan 25, 2024, 11:40 AM IST
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