भरतपुर: कुम्हेर क्षेत्र के एक शिक्षक को तीन दशक पूर्व फर्जी डिग्री का आरोप लगाते हुए बीडीओ ने बर्खास्त कर दिया था. शिक्षक ने कोर्ट की शरण ली और जीत गया. अब कोर्ट ने परिलाभ नहीं देने के चलते जिला परिषद कार्यालय भवन, डीएम की गाड़ी, बीडीओ कुम्हेर का कार्यालय भवन और गाड़ी कुर्क करने के आदेश दिए हैं.
दरअसल, दो साल पहले न्यायालय ने जिला कलेक्टर, जिला परिषद सीईओ और बीडीओ कुम्हेर को आदेश दिए थे कि शिक्षक को तमाम लाभ परिलाभ के 86 लाख रुपये दिए जाएं. लेकिन आदेश की पालना नहीं की गई. इस पर शुक्रवार को न्यायालय ने जिला परिषद कार्यालय भवन, जिला कलेक्टर की गाड़ी और बीडीओ कुम्हेर कार्यालय भवन व उनकी गाड़ी को कुर्क करने के आदेश जारी कर दिए. कोर्ट अमीन व अधिवक्ता ने पीड़ित के साथ पहुंच कर कुर्की के आदेश चस्पा कर दिए.
ऐसे समझें पूरी घटना :
- 1990 में कुम्हेर निवासी महेश चंद शर्मा ने किशनपुरा में शिक्षक के रूप में अपनी ड्यूटी ज्वाइन की.
- 1992 में बीडीओ कुम्हेर ने उन्हें बर्खास्त कर दिया, यह आरोप लगाते हुए कि उनकी बीएड की डिग्री फर्जी है.
- 1994 में शिक्षक महेश चंद शर्मा ने केस जीतकर बर्खास्तगी को चुनौती दी और न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया.
- 2018 में भरतपुर एडीजे प्रथम ने आदेश दिया कि महेश को 1.76 करोड़ रुपए के तमाम बकाया वेतन और परिलाभ दिए जाएं. यह आदेश कलेक्टर, जिला परिषद सीईओ और बीडीओ कुम्हेर को दिया गया.
- जिला प्रशासन/राज्य सरकार ने इन आदेशों को वर्ष 2018 में हाई कोर्ट और 2022 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन दोनों अदालतों में हार गया.
- मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम रूप से आदेश दिया कि महेश चंद शर्मा को तीन महीने के भीतर 86 लाख रुपए दिए जाएं.
अधिवक्ता मनीष ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जब राज्य सरकार व जिला प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो पीड़ित महेश चंद शर्मा ने एसीजेएम प्रथम में इजराय की कार्रवाई की. जिस पर एसीजेएम प्रथम के न्यायाधीश अंशुमन सिंह ने भरतपुर जिला परिषद का भवन, बीडीओ कुम्हेर की गाड़ी व भवन और जिला कलेक्टर की गाड़ी को कुर्क करने के आदेश दिए हैं. शुक्रवार को अधिवक्ता और कोर्ट अमीन ने पीड़ित शिक्षक की मौजूदगी में जिला परिषद कार्यालय भवन व अन्य संबंधित भवन व गाडियों पर कुर्की के आदेश/नोटिस चस्पा कर दिए हैं.