बेंगलुरु: भारत अगले साल गगनयान और समुद्रयान मिशन्स की तैयारी कर रहा है. उसके बाद 2027 में चंद्रयान-4 को लॉन्च किया जाएगा. इसरो अध्यक्ष वी नारायण ने ईटीवी भारत की पत्रकार अनुभा जैन को दिए एक इंटरव्यू में भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो को अगले चांद मिशन यानी चंद्रयान-4 के बारे में कई खास जानकारियां दी है. इसके अलावा उन्होंने चंद्रयान-4 और चंद्रयान-3 के बीच का अंतर भी समझाया है. आइए हम आपको इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू की बातें बताते हैं.
इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के साउथ पोल में सफलतापूर्वक लैंड करके पूरी दुनिया में एक नया कीर्तिमान रचा था, क्योंकि वह ऐसा करने वाला दुनिया की पहली स्पेस एजेंसी बनी थी. इसके बारे में इसरो के अध्यक्ष वी नारायण ने बताया कि, "चांद के साउथ पोल में सुरक्षित रूप से लैंड करने के बाद चंद्रयान-3 ने वहां की सर्फेस मिनिरल्स, थर्मल ग्रेडिएंट्स, इलेक्ट्रोन क्लाउड्स और भूकंपीय गतिविधियों पर कई खास डेटा प्रदान किए हैं, लेकिन चंद्रयान-4 उससे भी बड़ा कदम साबित होगा. यह ना सिर्फ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, बल्कि वहां के सैंपल्स को कलेक्ट करके प्रयोग भी करेगा."
चंद्रयान-4 के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए इसरो चीफ ने कहा कि, चंद्रयान-4 सैटेलाइट का वजन 9,200 किलोग्राम होगा, जो कि 4,000 किलोग्राम वाले चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) से काफी ज्यादा है.
उन्होंने कहा कि, "इसके बड़े साइज की वजह से उन्होंने बताया कि चंद्रयान-4 का वजन 9,200 किलोग्राम होगा, जो कि चंद्रयान-3 के 4,000 किलोग्राम वजन से बहुत ज्यादा है। इसके बड़े आकार की वजह से, इसे स्पेस में भेजने के लिए दो Mark III रॉकेट्स का उपयोग किया जाएगा. यह पूरा मिशन पांच मॉड्यूल्स में बंटा होगा और उन्हें दो समूहों (Stacks) में असंबेल किया जाएगा. ये मॉड्यूल्स पृथ्वी की ऑर्बिट में जाकर एक-दूसरे से जुड़ेंगे और वहां पर रॉकेट का प्रोपलशन सिस्टम अलग हो जाएगा."
नारायणन ने बताया कि, "चंद्रयान-4 मिशन के अंतर्गत चार मॉड्यूल चंद्रमा की ऑर्बिट में जाएंगे, जिनमें से दो चांद की सतह पर उतरेंगे. उनमें से सिर्फ एक सैंपल रिटर्न मॉड्यूल ही पृथ्वी पर वापस आएगा, जबकि बाकी दो मॉड्यूल चांद की ऑर्बिट में ही रह जाएंगे. इसका मतलब है कि इसरो एक मॉड्यूल को चंद्रमा की सतह पर छोड़ देगा."
इन सभी के अलावा इसरो चीफ ने इस इंटरव्यू में आगे बताया कि, "उन्हें कई मिशन्स के लिए मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें शुक्र मिशन (Venus mission) और मंगल ऑर्बिटर मिशन (Mars Orbiter Mission) शामिल हैं. हालांकि, हमारा खास ध्यान लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX) पर है, जो चंद्रयान-3 मिशन का बड़ा और एडवांस वर्ज़न है. इस मिशन में 250 किलोग्राम का एक रोवर शामिल होगा, जबकि चंद्रयान-3 के रोवर का वजन सिर्फ 25 किलोग्राम था. इस मिशन की तैयारी जापान की अंतरिक्ष एजेंसी, एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिलकर की जा रही है. यह मिशन चंद्रमा की खोज और साइंटिफिक डिसकवरी के नजरिए से एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम होगा."