हैदराबाद: भारत में लंबे समय से Tesla के आगमन के कयास लगाए जा रहे हैं. एक बार फिर Tesla की भारत में एंट्री की खबरें जोर पकड़ रही हैं, तो क्या टेस्ला आखिरकार भारत आ रही है? चलिए जानते हैं इस चर्चा के पीछे क्या तथ्य हैं.
अमेरिकी ईवी दिग्गज कंपनी की भारत में एंट्री साल 2016 में ही होने वाली थी. कंपनी ने तब ही पहली बार तत्कालीन नई Tesla Model 3 के लिए ऑर्डर बुकिंग शुरू कर दी थी. हालांकि, उस दौरान कंपनी की योजनाएं पूरी तरह से विफल हो गई हैं, क्योंकि कंपनी की भारत में शुरुआत नहीं हुई.
फिर साल 2023 में, जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका का यात्रा की, तो इस दौरान Elon Musk ने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण बाजार है, लेकिन भारत में प्रवेश के लिए अनिच्छुक रहे. पूरे समय के लिए मुख्य बाधा भारत में कारों के आयात के लिए टैरिफ संरचना रही है.
कंपनी ने 2021 में एक रजिस्टर्ड कार्यालय के साथ भारत में एक सहायक कंपनी स्थापित की. अब Tesla ने भारतीय बाजार के लिए बिक्री, सेवाओं और व्यावसायिक संचालन से संबंधित जॉब्स को भरने के लिए नई नौकरियों की लिस्ट बनाई है, जिससे संकेत मिलता है कि यह भारत में आ सकती है. इन जॉब्स की लिस्ट में सेवा प्रबंधक और सलाहकार, बिक्री सलाहकार, स्टोर प्रबंधक, ग्राहक सहायता भूमिका, व्यवसाय विश्लेषक और ऑर्डर और बिक्री संचालन विशेषज्ञों के पद शामिल हैं.
टेस्ला - द एशिया ग्रुप (TAG) का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सलाहकार ने वियतनाम की EV निर्माता VinFast और Maruti Suzuki, Hyundai, Tata Motors, Mahindra, Kia, Skoda Auto Volkswagen India, Renault, Mercedes-Benz, BMW और Audi सहित भारत के सभी प्रमुख निर्माताओं के साथ नई EV नीति पर हितधारकों की बैठक में भी भाग लिया था.
एलन मस्क ने 2022 में कहा था कि टेस्ला, जो पहले भारत में अपने वाहनों को बेचने के लिए आयात शुल्क में कमी की मांग कर रही थी, तब तक अपने उत्पादों का निर्माण नहीं करेगी, जब तक कि उसे पहले देश में अपनी कारों को बेचने और उनकी सर्विस करने की अनुमति नहीं दी जाती.
अगस्त 2021 में, मस्क ने कहा था कि अगर टेस्ला को देश में आयातित वाहनों के साथ पहले सफलता मिलती है, तो वह भारत में एक मैन्युफेक्चरिंग यूनिट स्थापित कर सकती है. उन्होंने कहा था कि Tesla भारत में अपने वाहन लॉन्च करना चाहती थी 'लेकिन आयात शुल्क दुनिया में किसी भी बड़े देश की तुलना में सबसे अधिक है!'
ध्यान देने वाली बात यह है कि कंपनी ने यह कदम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के तुरंत बाद और भारत द्वारा नई ईवी नीति की घोषणा के एक साल बाद उठाया गया है. इस नीति में वैश्विक कंपनियों को अगले तीन वर्षों में भारतीय बाजार में निवेश करने पर पूरी तरह से आयातित कारों पर कम टैरिफ की पेशकश की गई है.