मुंबई: एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा Starlink को सुरक्षा नियमों का पालन करने के बाद भारत में परिचालन की अनुमति दी जाएगी. दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में Starlink के संभावित लॉन्च के साथ-साथ नीतिगत बहस और कथित राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएं भी सामने आई हैं. स्टारलिंक के अपने लो-अर्थ ऑर्बिट सेटेलाइट के नेटवर्क के साथ दूरस्थ और डिस्कनेक्टेड स्थानों पर इंटरनेट प्रदान करने में सक्षम होने की संभावना है.
लेकिन मंगलवार को संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए बताया कि "भारत में कंपनी को तब तक काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक वे सुरक्षा के दृष्टिकोण से सभी शर्तों का अनुपालन नहीं करते हैं." बिजनेस अखबार मिंट ने मंगलवार को सिंधिया के हवाले से कहा कि "उन्हें सभी शर्तों को पूरा करना होगा."
वैसे तो मंत्री ने आगे कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी, लेकिन स्थानीय मीडिया ने इस महीने की शुरुआत में बताया कि सरकार और स्टारलिंक डेटा के भंडारण सहित कई सुरक्षा-संबंधी मुद्दों पर बातचीत कर रहे थे. यह निर्णय डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के एक सप्ताह से भी कम समय बाद आया है, जिसमें मस्क उनके सबसे उत्साही समर्थकों में से एक के रूप में उभरे और सरकार की भूमिका के लिए उन्हें पीछे छोड़ दिया गया.
आपको बता दें कि Starlink तब वैश्विक सुर्खियों में आया जब रूस के 2022 के आक्रमण के बाद युद्ध के मैदान में संचार में मदद के लिए इसके टर्मिनल यूक्रेन भेजे गए. मस्क ने हाल के महीनों में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटित करने के तरीके को लेकर एशिया के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी के साथ भी बहस की है.