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"पैसेंजर और मेमू ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के रूप में क्यों चलाया जा रहा ? यात्रियों को असुविधा पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सख्त - Chhattisgarh High Court

Chhattisgarh High Court कोरोना काल में पैसेंजर और मेमू ट्रेनों को स्पेशल बनाकर चलाया गया. बाद में रेलवे बोर्ड की तरफ से इन ट्रेनों को नियमित करने का आदेश जारी किया लेकिन बिलासपुर रेल डिवीजन में कई पैसेंजर और मेमू ट्रेनें अब भी स्पेशल ही चलाई जा रही है. इससे यात्रियों को ना सिर्फ ज्यादा किराया देना पड़ रहा है बल्कि कई बार इन ट्रेनों को रद्द भी कर दिया जा रहा है. इस मामले में जनहित याचिका लगाई गई, जिस पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है.

Chhattisgarh High Court
ट्रेनों में यात्रियों को असुविधा पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सख्त (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 21, 2024, 2:22 PM IST

बिलासपुर: रेलवे बोर्ड के निर्देशों की अनदेखी और यात्रियों को हो रही असुविधा को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने डीआरएम से स्पष्टीकरण मांगा है. कोर्ट ने पूछा है, कि पैसेंजर और मेमू ट्रेनों को क्यों अब भी स्पेशल ट्रेन के रूप में चलाया जा रहा है, जबकि रेलवे बोर्ड ने इन्हें नियमित करने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बैंच में हुई.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पैसेंजर और मेमू को स्पेशल चलाने पर जनहित याचिका: बिलासपुर के वकील सुदीप श्रीवास्तव ने जनहित याचिका लगाई है. जिसमें कहा गया है, "रेलवे बोर्ड के 21 फरवरी 2024 के आदेश के बावजूद बिलासपुर जोन में लोकल पैसेंजर और मेमू ट्रेनों को अब भी स्पेशल ट्रेन के रूप में ही चलाया जा रहा है, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं. 2021 से सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें नियमित रूप से चलने लगी हैं, लेकिन लोकल पैसेंजर और मेमू ट्रेनें, जो मुख्य रूप से गरीब और छोटी दूरी के यात्रियों के लिए अहम हैं, अब भी स्पेशल ट्रेन के रूप में चलाई जा रही हैं. जिसकी वजह से यात्रियों को मनमाना किराया, ट्रेन की अनियमितता, और अचानक रद्द होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

रेलवे की ओर से उपस्थित डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि "रेलवे बोर्ड ने सभी पैसेंजर, लोकल और मेमू ट्रेनों को नियमित करने का आदेश जारी किया है. यह आदेश बिलासपुर जोन पर भी लागू है."

कोर्ट ने बिलासपुर डीआरएम से मांगा जवाब: मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने बताया कि स्पेशल ट्रेन होने के कारण रेलवे अधिकारियों को इन्हें किसी भी समय रद्द करने या उनके शेड्यूल में बदलाव करने का अधिकार मिल जाता है, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. कोर्ट ने डीआरएम बिलासपुर को एक सप्ताह के भीतर शपथ पत्र दाखिल करने कहा है.

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