पटना: आखिरी चरण में जिन 8 सीटों पर लोकसभा का चुनाव होना है, उसमें नालंदा की सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बेहद खास है. इस जगह से नीतीश कुमार के कभी सबसे भरोसेमंद रहे, आरसीपी सिंह यानी रामचंद्र प्रसाद सिंह का भी नाता है, जो 2024 लोकसभा चुनाव में कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं. बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से 32 सीटों पर चुनाव हो चुका है, अब 8 सीटें बची है, उसमें नालंदा भी शामिल है.
चुनाव प्रचार में भी नहीं दिखे आरसीपी: नालंदा सीट पर आरसीपी सिंह के लड़ाने की चर्चा हो रही थी लेकिन टिकट बंटवारे में नालंदा का सीट जेडीयू के पास ही रह गया. वहीं बीजेपी ने कोई दूसरा सीट आरसीपी सिंह को नहीं दिया. 6 चरण के चुनाव प्रचार में भी आरपी सिंह कहीं नहीं दिखाई दिए. अब अंतिम चरण का चुनाव नालंदा में भी होना है लेकिन आरसीपी सिंह वहां भी नजर नहीं आ रहे हैं.
दो दशक से बिहार की पॉलिटिक्स में हैं एक्टिव: नौकरशाह से राजनीति की पारी नीतीश कुमार की उंगली पड़कर शुरू करने वाले आरसीपी सिंह पिछले दो दशक से बिहार की पॉलिटिक्स में सक्रिय थे. 2005 में जब नीतीश कुमार ने बिहार की कुर्सी संभाली तो आरसीपी सिंह को उन्होंने प्रधान सचिव बनाया हालांकि 2010 में आरसीपी सिंह ने नौकरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गए. नीतीश कुमार ने पहले पार्टी में महासचिव बनाया फिर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बने. 2010, 2014, 2015, 2019, 2020, के चुनाव में आरसीपी सिंह की जेडीयू में बड़ी भूमिका रही.
नीतीश से बिगड़े संबंध: उम्मीदवार के चयन से लेकर बिहार में मंत्रिमंडल के गठन तक में आरसीपी सिंह की तूती बोलती थी. यही वजह रही कि राज्यसभा के सांसद भी बने और केंद्र में ललन सिंह के विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल में शामिल हुए. यही फैसला उन्हें राजनीतिक हास्यीय पर पहुंचाने के लिए एक बड़ा कारण माना जाता है. नीतीश कुमार के साथ संबंध बिगड़ने के बाद आरसीपी सिंह को जेडीयू छोड़ना पड़ा.
कहां हैं आरसीपी सिंह?: जेडीयू छोड़ने के बाद बीजेपी में 11 मई 2023 को जब आरसीपी सिंह शामिल हुए तो उनके नालंदा से चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही थी. हालांकि नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के बाद आरसीपी सिंह पूरे सीन से गायब हो गए. उनके नजदीकियों का कहना है कि बीजेपी ने दिल्ली में ही आरसीपी सिंह को रहने के लिए कहा है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ही आगे की राजनीति को लेकर फैसला लेंगे.
क्या हुआ आरसीपी सिंह के साथ: राजनीति विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि आरसीपी सिंह की भूमिका तभी तक थी जब नीतीश कुमार एनडीए में नहीं आए थे. वहीं वरिष्ठ पत्रकार परवीन बागी का कहना है कि "आरपीसी सिंह की तभी भूमिका बीजेपी में महत्वपूर्ण हो सकती थी जब नीतीश कुमार नहीं आते. आरसीपी सिंह ने नेतृत्व क्षमता भी नहीं दिखाई, यही कारण है कि बीजेपी ने उन्हें बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दिया. जिस प्रकार से सम्राट चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उपेंद्र कुशवाहा की उपयोगिता बीजेपी के लिए नहीं रह गई, वही हाल नीतीश कुमार के आने से आरसीपी की हो गई है."