मुंबई: बॉलीवुड को कई हिट और यादगार फिल्में देने वाले फिल्म मेकर, राइटर और निर्देशक अनुराग कश्यप ने हाल ही में बॉलीवुड छोड़ने का एलान किया. उनके इस फैसले ने सबको चौंका दिया. इसके साथ ही उन्होंने साउथ में काम करने की इच्छा जताई जो कि कोई चौंकाने वाला फैसला नहीं था. क्योंकि पिछले कुछ सालों में साउथ ने कई ब्लॉकबस्टर और बेहतरीन फिल्में भारतीय सिनेमा को दी है. इतना ही नहीं ये फिल्में भारत के साथ-साथ दुनियाभर में पसंद की गईं. अनुराग के इस फैसले ने फिर से यह बहस छेड़ दी है कि आखिर क्यों साउथ सिनेमा बॉलीवुड को पीछे छोड़ रहा है. आज हम ऐसे 5 कारण लेकर आए हैं जो साबित करते हैं आखिर साउथ सिनेमा पैन-वर्ल्ड फिल्में देने के विजन तक कैसे पहुंचा और बॉलीवुड साल दर साल क्यों पीछे छूटता जा रहा है.
1. यूनिक स्टोरी लाइन
साउथ सिनेमा की फिल्मों में हमें बेहतरीन कहानी देखने को मिलती है जो दर्शकों को शुरू से आखिरी तक बांधे रखने का हुनर रखती हैं. बड़ी कास्टिंग या बड़े सेट हो ना हो लेकिन स्टोरी कमाल की होती है. बॉलीवुड में ऐसी फिल्मों की कमी है, हमें बार-बार वही स्टोरी देखने को मिलती हैं जिनसे दर्शक बोर हो चुके हैं. साउथ यूनिक कंटेंट के साथ लॉजिकल कहानी परोसता है. चाहे बजट छोटा या बड़ा, हर बार ऑडियंस को नया एक्सपीरियंस मिलता है इसीलिए दर्शक साउथ की फिल्में ज्यादा पसंद करने लगे हैं. दुनियाभर में चर्चा बटोरने वाली फिल्म 'बाहुबली', 'पुष्पा', 'आरआरआर' और 'केजीएफ' कुछ ऐसी ही कहानियां हैं जो बॉलीवुड में इतना बजट होने के बावजूद भी नहीं बन पाईं.
2. क्रिएटीव फ्रीडम
लोग फिल्में इसलिए देखते हैं क्योंकि उन्हें जिंदगी में नयापन पसंद है. अगर उन्हें सिनेमाघरों में हर बार वही स्टोरी, एक्शन और कमजोर कास्ट मिलेगी तो वे बोर हो जाएंगे. साउथ सिनेमा में फिल्म चाहे बड़ी हो या छोटी निर्माता नई चीज अपनाने से नहीं डरते और ना ही एक्टर्स को इससे कोई आपत्ति होती है. बजट भले ही कम हो लेकिन स्टोरी में दम होता है. ऐसा लगता है बॉलीवुड की क्रिएटीविटी इस समय फीकी पड़ चुकी है. साल में एक या दो फिल्में ऐसी आती हैं जिनका कंटेंट अलग और क्रिएटीव होता है. जैसे इस साल आई 'लापता लेडीज' ने भारत के साथ ही दुनियाभर में खूब चर्चा बटोरी. लेकिन ऐसी फिल्में साल में हम बहुत कम देख पाते हैं. जबकि खूब पैसा खर्च करके, बड़ी स्टार कास्ट रखकर वही घिसी-पिटी स्टोरी दर्शकों को परोस दी जाती है. जिनमें एक्शन तो भरपूर होता है लेकिन कहानी में कुछ दम नहीं होता.
3. कल्चरल प्रमोशन
बीते सालों में साउथ इंडिया ने कई ऐसी फिल्में दी हैं जिनमें रीजनल कल्चर को प्रमोट किया गया. 'कांतारा', 'पुष्पा', 'पुष्पा 2' जैसी फिल्मों में सांस्कृतिक झलक देखने को मिली. एक अच्छी कहानी के साथ कल्चर का मिश्रण दर्शकों को खूब पसंद आया और एक्टर्स द्वारा निभाए किरदारों ने एक अलग ही छाप छोड़ी. वहीं दूसरी और बॉलीवुड में इसकी कमी है. फिल्में समाज का आईना होती हैं लेकिन अगर फिल्मों में समाज ना दिखे तो वो असलियत से मेल नहीं खाता और ऑडियंस अपने आपको उससे जोड़ नहीं पाती.
4. कमर्शियल नहीं सिनेमैटिक विजन
साउथ सिनेमा की खास बात है फिल्म मेकर्स का विजन. बॉलीवुड में इस साल ऐसी कई फिल्में आई जिन्हें बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाउस ने बनाया और ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रहीं. साउथ सिनेमा में फिल्म मेकर्स का विजन सिनेमैटिक होता है और यही विजन इन फिल्मों को कमर्शियली भी सफल बनाता है. 'बाहुबली', 'बाहुबली 2', 'केजीएफ', 'केजीएफ चैप्टर 2', 'पुष्पा', 'पुष्पा 2', 'आरआरआर' जैसी फिल्मों के विजन काफी बड़े थे और इसी वजह से ये फिल्में वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर भारतीय सिनेमा की सबसे सफल फिल्में बनकर उभरीं. इसी तरह अब साउथ से पैन इंडिया नहीं पैन वर्ल्ड फिल्में बनाने की तैयारी की जा रही है. वहीं बॉलीवुड में कमर्शियल सिनेमा को महत्व दिया जा रहा है. जिसमें कहानी हो ना हो खूब पैसा लगाकर, एक्शन दिखाकर फिल्म को सफल बनाने की कवायद की जा रही है. जो इसे साउथ सिनेमा से पीछे कर रही है.
5. रीमेक कल्चर
बॉलीवुड में सालों से साउथ और हॉलीवुड फिल्मों के रीमेक बनाए जा रहे हैं. लेकिन साउथ सिनेमा में ऐसा बहुत कम होता है. बॉलीवुड आज भी साउथ की रीमेक बनाकर पैसा कमाने की टेक्निक अपना रहा है लेकिन साउथ सिनेमा प्योर कंटेंट परोसता है जिसकी स्टोरी यूनिक, क्रिएटीव और विजनरी होती है. इस साल भी बॉलीवुड में 'सरफिरा' और 'बेबी जॉन' जैसी रीमेक बनीं. जिनमें 'सरफिरा' फ्लॉप रही और 'बेबी जॉन' भी बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पा रही है.
बॉलीवुड में एक अरसे तक बेहतरीन फिल्में बनती रही हैं लेकिन इस समय निर्माता केवल कमर्शियल प्रॉफिट को देख रहे हैं और एक जैसा कंटेंट दर्शकों को परोस रहे हैं. वहीं दूसरी ओर दर्शकों के पास अब कई मनोरंजन के विकल्प हैं जिनमें सबसे ऊपर है ओटीटी. ओटीटी पर कई बेहतरीन कलाकार जो कमर्शियल फिल्मों का हिस्सा नहीं होते अपनी परफॉर्मेंस से दर्शकों का दिल जीत रहे हैं. ओटीटी पर कई फिल्में और शो यूनिक कंटेंट के साथ परोसे जाते हैं जिन्हें दर्शक ज्यादा पसंद करते हैं. अगर इसी तरह बॉलीवुड कमर्शियल प्रॉफिट के पीछे पड़ा रहा तो जल्द ही इस इंडस्ट्री को डाउनफॉल का सामना करना पड़ेगा क्योंकि साउथ इंडस्ट्री अब पैन वर्ल्ड फिल्में देने की राह पर है और उसके पास बहुत कुछ है दर्शकों के मनोरंजन के लिए, वहीं दर्शकों को अब भी बॉलीवुड से बेहतरी की उम्मीद है.