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अनिल विज को क्यों नहीं मिला पावरफुल विभाग? जानें विभाग बंटवारे की पूरी कहानी

Haryana ministers Portfolio: स्वास्थ्य और गृहमंत्री रहे अनिल विज को इस बार पावरफुल विभाग नहीं मिला है. जानें इसके पीछे क्या कारण रहे.

Haryana ministers Portfolio
Haryana ministers Portfolio (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 22, 2024, 6:59 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के विभागों का आवंटन कर दिया है. गृह, वित्त और एक्साइज जैसे 13 विभाग सीएम नायब सैनी ने अपने पास रखे हैं. वो विभागों के मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनोहर लाल से पावरफुल हो गए हैं. जबकि सबसे वरिष्ठ विधायक अनिल विज को सिर्फ ट्रांसपोर्ट, एनर्जी और लेबर विभाग ही मिला है. हालांकि अन्य वरिष्ठ नेताओं के हाथ भी कोई अहम और बड़ा विभाग नहीं लगा है.

हरियाणा मंत्रियों में विभागों का बंटवारा: अनिल विज वर्तमान में बीजेपी के सभी विधायकों में सबसे सीनियर हैं. पूर्व की मनोहर सरकार में उनके पास गृह और स्वास्थ्य विभाग जैसे मंत्रालय रहे हैं. इस बार भी उम्मीद की जा रही थी कि अनिल विज को जरूर कोई बड़ा विभाग मिलेगा, लेकिन उन्हें ट्रांसपोर्ट विभाग का जिम्मा दे दिया गया है. हालांकि अन्य मंत्रियों को भी होम, वित्त और एक्साइज जैसे विभाग नहीं मिले.

आरती राव को स्वास्थ्य विभाग: नायब सरकार में स्वास्थ्य विभाग युवा मंत्री आरती राव को मिला है, जबकि वरिष्ठ मंत्री कृष्ण लाल पंवार को पंचायत और खनन विभाग का जिम्मा मिला है. जबकि पूर्व राज्य मंत्री महिपाल ढांडा को अब शिक्षा मंत्री बनाया गया है. जबकि मनोहर सरकार पार्ट वन 2014 में मंत्री रहे राव नरबीर को इंडस्ट्री एंड कॉमर्स, विपुल गोयल को अर्बन लोकल बॉडी के साथ रेवेन्यू विभाग मिला है.

अनिल विज को क्यों नहीं मिला बड़ा विभाग? इस मामले पर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि विभागों के बंटवारे में मनोहर लाल की चली है और विभागों के बंटवारे में अनिल विज पर फोकस रखा गया है. दूसरे नंबर पर शपथ लेने के बावजूद अनिल विज को इस बार पॉवरफुल नहीं बनाया गया है. शायद इसलिए ताकि अनिल विज सरकार में कोई समस्या पैदा ना कर पाएं. पिछली सरकार में विज कई बार सीएम के लिए चुनौती बने थे. बीजेपी शायद दोबारा वो स्थिति नहीं बनने देना चाहती. इसी वजह से शायद विज को कोई पॉवरफुल विभाग नहीं दिया गया है.

गुस्से से हुआ नुकसान? पहले अनिल विज के पास स्वास्थ्य और गृह विभाग रहा. गृह विभाग में सरकार की सबसे ज्यादा ताकत रहती है. इसलिए ये ध्यान इस बार खासतौर से रखा गया है कि विज को ये मंत्रालय देकर कोई परेशानी खड़ी ना हो. हालांकि पार्टी हाईकमान भी ये चाहता होगा. अनिल विज ने शपथ समारोह के मंच पर ये संदेश देने की कोशिश जरूर की थी कि उनकी पहुंच हाईकमान तक है, लेकिन उसका विभागों के बंटवारे में कोई फायदा विज को मिलता नहीं दिखा है.

संतुलन बनाने में होती परेशानी: उन्होंने कहा कि किसी और को भी वो विभाग शायद इसलिए नहीं दिया गया, क्योंकि उससे वरिष्ठता को लेकर सवाल उठते या फिर उससे मंत्रियों में संतुलन बनाना मुश्किल होता. उन्होंने कहा कि हाईकमान इसके जरिए शायद ये भी संदेश देना चाहता है कि नायब सैनी सरकार में वे ही प्रमुख हैं और शायद सैनी को पार्टी ने प्रमुखता देने का मन बना लिया है. इसलिए किसी मंत्री को शायद पॉवरफुल नहीं बनाया है.

क्या आवाज उठाएंगे अनिल विज? अनिल विज की कार्यशैली की वजह से ही उन्हें गब्बर का तमगा मिला था. वे एक दबंग मंत्री हैं. कुछ वक्त बाद शायद विज को ये एहसास हो सकता है कि उनके साथ ठीक नहीं हुआ है. वे फिर से कुछ महीने बाद भी आवाज उठा सकते हैं. कुछ महीनों बाद जब सरकार की समीक्षा की बात आती है, तो मंत्री भी अपनी बात कहने की स्थिति में होते हैं. अनिल विज ऐसे नेता हैं. जो अपनी बात कहने से गुरेज नहीं करते. हालांकि उन्होंने कहा कि अनिल विज को बुरा भी ना लगे. इसलिए किसी अन्य को पॉवरफुल विभाग नहीं दिए गए.

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