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उत्तर भारत के किसान भी कर सकेंगे चंदन की खेती, 50 पेड़ 15 साल बाद बना देंगे करोड़पति, खास शोध जारी - SANDALWOOD CULTIVATION

केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान में खास तकनीक पर शोध किया जा रहा है.

Sandalwood cultivation
Sandalwood cultivation (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 10, 2024, 4:29 PM IST

Updated : Dec 12, 2024, 9:56 AM IST

करनाल: चंदन का एक सदियों से भारतीय संस्कृति से जुड़ाव है. चंदन का इस्तेमाल पूजन व तिलक के लिए भी किया जाता है. साथ ही सफेद व लाल चंदन के रूप में इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्ति, साज-सज्जा की चीजों व हवन करने और अगरबत्ती बनाने के अलावा, परफ्यूम बनाने के काम भी आता है. वहीं, चंदन का इस्तेमाल अरोमा थेरेपी आदि के लिए भी किया जाता है. आयुर्वेद में चंदन से कई दवाएं भी तैयार की जाती है.

चंदन की खेती में किसानों का रुझान: देश के एकमात्र केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. आर के यादव ने बताया कि दक्षिण भारत में चंदन की खेती सबसे अधिक होती है. क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा 2001 में चंदन की खेती पर प्रतिबंध हटाने के बाद किसानों का रुझान चंदन की खेती की ओर बढ़ा है. लेकिन तकनीक की भारी कमी के कारण इसकी खेती को अपेक्षित गति नहीं मिल पाई. अब हमारे संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा चंदन में क्लोन्स को अलग-अलग क्षेत्रों से इकट्ठा कर उतरी भारत के वातावरण के अनुकूल कोशिश की गई है. पिछले 3 साल से इन्हीं योजनाओं पर शोध किये गए हैं. इसमें से जो चंदन के अच्छे पौधे हमें मिले हैं. हम उसे खेतों में भी ले जा चुके हैं.

हरियाणा में चंदन की खेती (Etv Bharat)

इन राज्यों में चंदन की खेती की शुरुआत: केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) करनाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) डॉ. राज कुमार ने बताया कि दक्षिण भारत के प्राकृतिक रूप से जंगलों में पाए जाने वाले चंदन को अब गुजरात,महाराष्ट्र,कर्नाटक के किसान खेतों में उगा रहे हैं. धीरे धीरे अब हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश के किसान भी इसको उगाने लगे हैं. अब देश के कई अन्य किसानों ने भी चंदन की खेती करने की इच्छा जाहिर की है. सिर्फ सफेद किस्म के चंदन को लेकर किसानों को इसे उगाने की राय दी जा रही है. अच्छे और गुणवत्तापरक चंदन के पौधे तैयार करने पर शोध किये जा रहे हैं.

सालों बाद तैयार होता है चंदन का पेड़: चंदन के पेड़ करीब 12 से 15 साल में तैयार होते हैं. इसके तैयार होने की अवधि को कम किया जा सके इसी को लेकर भी संस्थान में एक एकड़ भूमि में इसके पौधों पर शोध चल रहा है. चंदन परजीवी पौधा है, इसलिए इस पर शोध चल रहा है कि उसके पास कौन सा मेजबान पौधा (खुराक देने वाला पौधा) हो और उसे कितना खाद पानी दिया जाना चाहिए. जिससे चंदन के पौधे को बेहतर खुराक प्राप्त हो सके.

मुनाफे की खेती: वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) डॉ. राज कुमार ने बताया कि चंदन का पेड़ जितना पुराना होगा. उतनी ही उसकी कीमत बढ़ती जाएगी. 15 साल के बाद एक पेड़ की कीमत करीब 70 हजार से दो लाख रुपये तक हो जाती है. ये बेहद लाभकारी खेती है. अगर कोई व्यक्ति 50 पेड़ ही लगाता है, तो 15 साल बाद वह एक करोड़ रुपये के हो जाएंगे. औसत आमदनी सवा आठ लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक हो जाएगी. घर में बेटी या बेटा होने पर 20 पौधे भी लगा दिए जाएं, तो उनकी शादी के खर्च की चिंता खत्म हो जाएगी.

क्यों खास है चंदन
क्यों खास है चंदन (Etv Bharat)

परजीवी पौधा है चंदन: वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) डॉ. राज कुमार ने बताया कि चंदन परजीवी पौधा है. यानी वह खुद अपनी खुराक नहीं लेता है. बल्कि दूसरे पेड़ की जड़ से अपनी खुराक लेता है. जहां चंदन का पौधा होता है. वहां पड़ोस में कोई दूसरा पौधा लगाना होता है. क्योंकि चंदन अपनी जड़ों को पड़ोसी पौधे के जड़ों की ओर बढ़ाकर उसकी जड़ों को अपने से जोड़ लेता है और उसकी खुराक में से ही अपनी खुराक लेने लगता है.

चंदन की खेती का दिया जाएगा प्रशिक्षण: चंदन के पौधे पर संस्थान में प्रोजेक्ट शुरू हुआ है. जिस पर शोध व तकनीक पर कार्य चल रहा है. इसके तहत किसानों को खास तकनीक से चंदन की खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इसमें बताया जाएगा कि पेड़ों के बीच दूरी कितनी होनी चाहिए. कितना खाद पानी देना चाहिए. चंदन के साथ दूसरी और कौन-कौन सी फसलें ली जा सकती हैं. खास कर कम पानी वाली दलहनी फसलों आदि पर कार्य किया जा रहा है.

डॉ. राज कुमार ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान भाई चंदन की खेती के प्रति जागरूक हो, चंदन की खेती के साथ वो फलदार पौधे भी लगा सकते है. क्योंकि चंदन के पेड़ को 15 साल बड़े होने में लगेंगे तो उतनी देर उनको दूसरी तरफ से लाभ मिल सके. लेकिन फलदार कौन से लगाने हैं, यह यहां के विशेषज्ञ बताएंगे.

ये भी पढ़ें: करनाल के प्रगतिशील किसान नई तकनीक से मालामाल, परंपरागत खेती से तीन गुना ज्यादा मुनाफा

ये भी पढ़ें: बागवानी और ऑर्गेनिक खेती कर प्रति एकड़ 7 लाख रुपये तक कमा रहा हरियाणा का किसान

करनाल: चंदन का एक सदियों से भारतीय संस्कृति से जुड़ाव है. चंदन का इस्तेमाल पूजन व तिलक के लिए भी किया जाता है. साथ ही सफेद व लाल चंदन के रूप में इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्ति, साज-सज्जा की चीजों व हवन करने और अगरबत्ती बनाने के अलावा, परफ्यूम बनाने के काम भी आता है. वहीं, चंदन का इस्तेमाल अरोमा थेरेपी आदि के लिए भी किया जाता है. आयुर्वेद में चंदन से कई दवाएं भी तैयार की जाती है.

चंदन की खेती में किसानों का रुझान: देश के एकमात्र केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. आर के यादव ने बताया कि दक्षिण भारत में चंदन की खेती सबसे अधिक होती है. क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा 2001 में चंदन की खेती पर प्रतिबंध हटाने के बाद किसानों का रुझान चंदन की खेती की ओर बढ़ा है. लेकिन तकनीक की भारी कमी के कारण इसकी खेती को अपेक्षित गति नहीं मिल पाई. अब हमारे संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा चंदन में क्लोन्स को अलग-अलग क्षेत्रों से इकट्ठा कर उतरी भारत के वातावरण के अनुकूल कोशिश की गई है. पिछले 3 साल से इन्हीं योजनाओं पर शोध किये गए हैं. इसमें से जो चंदन के अच्छे पौधे हमें मिले हैं. हम उसे खेतों में भी ले जा चुके हैं.

हरियाणा में चंदन की खेती (Etv Bharat)

इन राज्यों में चंदन की खेती की शुरुआत: केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) करनाल के वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) डॉ. राज कुमार ने बताया कि दक्षिण भारत के प्राकृतिक रूप से जंगलों में पाए जाने वाले चंदन को अब गुजरात,महाराष्ट्र,कर्नाटक के किसान खेतों में उगा रहे हैं. धीरे धीरे अब हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश के किसान भी इसको उगाने लगे हैं. अब देश के कई अन्य किसानों ने भी चंदन की खेती करने की इच्छा जाहिर की है. सिर्फ सफेद किस्म के चंदन को लेकर किसानों को इसे उगाने की राय दी जा रही है. अच्छे और गुणवत्तापरक चंदन के पौधे तैयार करने पर शोध किये जा रहे हैं.

सालों बाद तैयार होता है चंदन का पेड़: चंदन के पेड़ करीब 12 से 15 साल में तैयार होते हैं. इसके तैयार होने की अवधि को कम किया जा सके इसी को लेकर भी संस्थान में एक एकड़ भूमि में इसके पौधों पर शोध चल रहा है. चंदन परजीवी पौधा है, इसलिए इस पर शोध चल रहा है कि उसके पास कौन सा मेजबान पौधा (खुराक देने वाला पौधा) हो और उसे कितना खाद पानी दिया जाना चाहिए. जिससे चंदन के पौधे को बेहतर खुराक प्राप्त हो सके.

मुनाफे की खेती: वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) डॉ. राज कुमार ने बताया कि चंदन का पेड़ जितना पुराना होगा. उतनी ही उसकी कीमत बढ़ती जाएगी. 15 साल के बाद एक पेड़ की कीमत करीब 70 हजार से दो लाख रुपये तक हो जाती है. ये बेहद लाभकारी खेती है. अगर कोई व्यक्ति 50 पेड़ ही लगाता है, तो 15 साल बाद वह एक करोड़ रुपये के हो जाएंगे. औसत आमदनी सवा आठ लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक हो जाएगी. घर में बेटी या बेटा होने पर 20 पौधे भी लगा दिए जाएं, तो उनकी शादी के खर्च की चिंता खत्म हो जाएगी.

क्यों खास है चंदन
क्यों खास है चंदन (Etv Bharat)

परजीवी पौधा है चंदन: वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) डॉ. राज कुमार ने बताया कि चंदन परजीवी पौधा है. यानी वह खुद अपनी खुराक नहीं लेता है. बल्कि दूसरे पेड़ की जड़ से अपनी खुराक लेता है. जहां चंदन का पौधा होता है. वहां पड़ोस में कोई दूसरा पौधा लगाना होता है. क्योंकि चंदन अपनी जड़ों को पड़ोसी पौधे के जड़ों की ओर बढ़ाकर उसकी जड़ों को अपने से जोड़ लेता है और उसकी खुराक में से ही अपनी खुराक लेने लगता है.

चंदन की खेती का दिया जाएगा प्रशिक्षण: चंदन के पौधे पर संस्थान में प्रोजेक्ट शुरू हुआ है. जिस पर शोध व तकनीक पर कार्य चल रहा है. इसके तहत किसानों को खास तकनीक से चंदन की खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इसमें बताया जाएगा कि पेड़ों के बीच दूरी कितनी होनी चाहिए. कितना खाद पानी देना चाहिए. चंदन के साथ दूसरी और कौन-कौन सी फसलें ली जा सकती हैं. खास कर कम पानी वाली दलहनी फसलों आदि पर कार्य किया जा रहा है.

डॉ. राज कुमार ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान भाई चंदन की खेती के प्रति जागरूक हो, चंदन की खेती के साथ वो फलदार पौधे भी लगा सकते है. क्योंकि चंदन के पेड़ को 15 साल बड़े होने में लगेंगे तो उतनी देर उनको दूसरी तरफ से लाभ मिल सके. लेकिन फलदार कौन से लगाने हैं, यह यहां के विशेषज्ञ बताएंगे.

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Last Updated : Dec 12, 2024, 9:56 AM IST
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