पटना: बिहार केपटना के 70 वर्षीय चिकित्सक डॉक्टर एजाज अली को लोग गरीबों का मसीहा कहते हैं. वजह यह है कि डॉ एजाज अली महज ₹10 की फीस पर मरीजों की इलाज करते हैं. उनके यहां इलाज करवाने के लिए बिहार के दूर से दूर इलाके से लोग पहुंचते हैं. बिहार ही नहीं बंगाल, झारखंड और नेपाल जैसी जगहों से भी लोग पहुंचते हैं.
पटना के डॉ एजाज अली बनें गरीबों के मसीहा:डॉ एजाज अली राज्यसभा के पूर्व सांसद रहे हैं, लेकिन सादगी और सहज व्यक्तित्व ऐसा है कि जो लोग एक बार मिलते हैं, वह जुड़ जाते हैं. प्रतिदिन वह 200 से 250 मरीजों को देखते हैं और दर्जनों सर्जरी करते हैं.
सरकारी अस्पतालों से भी सस्ती फीस:पटना में वर्तमान समय में पटना के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी की फीस डॉक्टर एजाज अली के फीस से अधिक है. आईजीआईएमएस में ओपीडी रजिस्ट्रेशन फीस ₹50 है जबकि एम्स में ₹30 है. वहीं प्राइवेट प्रैक्टिशनर की बात करें तो ₹700 से लेकर ₹2000 तक फीस है. लेकिन इस महंगाई के दौर में भी डॉक्टर एजाज अली महज ₹10 में मरीज को देखते हैं.
दूर-दूर से आते हैं मरीज: मरीजों का इनके इलाज पर भरोसा भी बहुत है. मरीज अगर एक बार यहां से दिखा कर जाते हैं तो अपने गांव के अन्य लोगों को भी बीमार पड़ने पर इन्हीं के पास आने की सलाह देते हैं. हालांकि काफी सस्ता इलाज करते हैं जिसके कारण उनके क्लीनिक पर गरीब और मिडिल क्लास पेशेंट की ही संख्या अधिक होती है.
मरीजों ने एजाज के इलाज की तारीफ की: बरबीघा से पहुंची हुई 56 वर्षीय महिला मुन्नी खातून ने बताया कि दो महीना पहले यही डॉक्टर एजाज की क्लीनिक पर गॉल ब्लैडर में पथरी का ऑपरेशन हुआ था. अब उनको काफी आराम रहता है और रुटीन चेकअप के लिए आई हुई हैं. डॉ एजाज अली काफी सस्ता और अच्छा इलाज करते हैं.
"यहां मेरा हर्निया का ऑपरेशन हुआ है और महज ₹10000 खर्च हुए हैं. गांव के चार लोग यहां से ठीक होकर गए थे तो मैं यहां आया हूं. काफी अच्छा इलाज हुआ है."- मुजफ्फर अंसारी ,औरंगाबाद के दाउदनगर से आए मरीज
1984 से कर रहे प्रैक्टिस:डॉ एजाज अली ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि साल 1984 से वह प्रैक्टिस कर रहे हैं. पीएमसीएच उन्होंने एमबीबीएस किया और इसके बाद यहीं से सर्जरी में मास्टर्स किया. इसके बाद उन्हें सरकारी अस्पताल में नौकरी भी लगी लेकिन उन्होंने सरकारी नौकरी ज्वाइन नहीं की.
एजाज की मां ने कही थी ये बात:इसके बाद उन्होंने पटना के भिखना पहाड़ी क्षेत्र में प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए क्लिनिक शुरू किया और ₹10 फीस रखी. उस वक्त भी ₹10 फीस कम ही होता था, लेकिन मां शहजादी बेगम ने कहा कि कभी भी जीवन में ₹10 से फीस अधिक मत रखना. लोग बहुत गरीब हैं और उनकी हालत देखकर इलाज कर देना. कुछ समय बाद मां का इंतकाल हो गया और इसके बाद उन्होंने कभी भी अपनी फीस ₹10 से अधिक करने की नहीं सोची.
"पिता मुमताज अली ब्रिटिश हुकूमत में क्लर्क थे और स्वतंत्र भारत में बाद में आगे चलकर एडीएम के पद से रिटायर किये. मेरे सात भाई और तीन बहन थे. मैथमेटिक्स के स्टूडेंट थे और फिजिक्स बहुत अच्छा लगता था. लेकिन इंटरमीडिएट में बायोलॉजी भी सब्जेक्ट के रूप में था. मैं कभी मेडिकल नहीं करना चाहता था, लेकिन बड़े भाई ने दाखिला मेडिकल में करवा दिया. इसके बाद एक सर्जन बना. हालांकि अलग बीमारी को लेकर लोग आते हैं तो फिजिशियन के तौर पर भी उनका चेकअप करता हूं."- डॉ एजाज अली
सर्जरी भी औरों से चार गुना सस्ता: डॉ एजाज अली ने बताया कि उन्होंने ओपन सर्जरी सीखा था और आज भी वह ओपन सर्जरी ही करते हैं. सर्जरी के लिए कई लेप्रोस्कोपिक मशीन आ गई हैं लेकिन वह मशीन से सर्जरी नहीं करते हैं. उन्होंने अपने बेटे को तकनीकी सर्जरी सीखने के लिए विदेश भेजा था और अब वह उन्हीं के यहां जरूरत पड़ने पर मरीज का लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करते हैं.
'गरीब मरीजों की सेवा करना उद्देश्य': उन्होंने बताया कि गॉलब्लैडर में पथरी है तो सर्जरी में महल 7 से 8 हजार खर्च होते हैं. कई सारे ऑपरेशन है जिसका प्राइवेट अस्पतालों में 40000 से ₹100000 तक फीस लिया जाता है. उसे वह महज ₹12000 तक में कर देते हैं. उन्होंने प्रैक्टिस शुरू किया था, तभी से उद्देश्य था कि गरीब मरीजों की सेवा करनी है. आज भी उनके पास जो मरीज आते हैं, बड़ी उम्मीद लेकर आते हैं और कम आय वर्ग के होते हैं.
"2 साल से पेशाब की दिक्कत है. डॉ एजाज अली के ट्रीटमेंट में है और उनकी दवा वहां नहीं मिलती इसलिए दवा लेने आए हैं. अपना रूटीन चेकअप भी करा रहे हैं. इनके इलाज से काफी फायदा हुआ है और काफी सस्ता इलाज करते हैं."- मोहम्मद शाहिद, गया जिले के चाकर से आए मरीज