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सोने सा चमक उठेगा गेहूं, किसानों को बस करना होगा ये काम, भर जाएंगे अनाज के भंडार - WHEAT IRRIGATION TECHNIQUES

इस आर्टिकल में जानें गेहूं की फसल में पानी देने का बेस्ट तरीका, किस अवस्था में पानी देना जरूरी और इससे जुड़ी जरूरी बातें.

GEHU KI FASAL K TIPS
गेंहू की फसल में कब पानी दें, जानें यहां (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 6 hours ago

Updated : 5 hours ago

शहडोल : मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में मुख्य रूप से गेहूं की खेती होती है. प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्र में अलग-अलग किस्म का गेहूं पैदा होता है. कई बार यह मिट्टी की प्रकृति के साथ-साथ सिंचाई की गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है. ऐसे में गेहूं की फसल को और अच्छा बनाने के लिए आपको यह जानना बेहद जरूरी है कि किन-किन स्टेज पर गेहूं को पानी देना चाहिए और कब नहीं देना चाहिए.

गेंहू की फसल में कब पानी दें?

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति बताते हैं, '' गेहूं की फसल में पानी की जो आवश्यकता होती है, आपके खेत की मिट्टी किस प्रकार की है, उस पर निर्भर करती है. हल्की मिट्टी है कि भारी मिट्टी है, आपने गेहूं की कौन सी किस्म को आपने अपने खेतों में लगाया है? सिंचित है या असिंचित है? गेहूं की किन किस्मों का आपने चयन किया है, उस आधार पर गेहूं में पानी की आवश्यकता पड़ती है.

शुरुआती दिनों में गेहूं की सिंचाई का रखें ध्यान (Etv Bharat)

देखा जाए तो गेहूं सिंचित हो या असिंचित, हमारे क्षेत्र में ज्यादातर किसान पलेवा करके गेहूं की बुवाई करते हैं. मतलब पहले खेत की सिंचाई कर लेते हैं और फिर उसकी बुवाई करते हैं, जिससे नमी बनी रहती है.और बीज में अंकुरण हो जाता है लेकिन अगर आप सूखे में बुवाई करते हैं, और फिर बाद में पानी देते हैं, सूखे बुवाई करते हैं तो उसके तुरंत बाद पानी देना जरूरी होता है जिससे बीजों का अंकुरण सही तरीके से और सही समय पर हो जाए.

शुरुआती दिनों में गेहूं की सिंचाई का रखें ध्यान

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बीके प्रजापति कहते हैं, ''बीजों के अंकुरण के लिए तो पानी देते ही हैं लेकिन उसके बाद बीज बोने से 21 से 25 दिन की अवस्था में जब फसल आती है, तो पहला पानी देना बहुत जरूरी होता है. किसान पलेवा करके बुवाई करते हैं या फिर सूखे में बुवाई करते हों, अंकुरण के लिए दोनों ही अवस्था में पानी देना जरूरी होता है, क्योंकि शीर्ष जड़ निकलने का समय होता है, जिसे CRI यानी क्राउन रूट इनिशिएशन स्टेज बोला जाता है.

पानी की उपलब्धता और गेहूं की सिंचाई का तरीका

  • किसान के पास अगर पूरे सीजन में दो ही पानी की उपलब्धता है तो पहला 25 दिन की अवस्था में और दूसरा पानी बालियां निकलते समय 80 से 50 दिन की अवस्था में देना जरूरी होता है.
  • अगर किसान के पास तीन पानी की उपलब्धता है तो पहला पानी 21 से 25 दिन की अवस्था में जड़ निकलते समय देना होता है, दूसरा पानी तने में गांठ बनते समय यानी 60 से 65 दिन के बीच. तीसरा पानी तब दें जब दानों में दूध भरने का समय होता है. ये अवस्था 100 से 110 दिन के बीच होती है.
  • अगर किसान के पास चार पानी की उपलब्धता है, तो पहले 21 से 25 दिन के बाद पहला पानी, दूसरा 40 से 45 दिन की अवस्था में, तीसरा बालियां निकलते समय 80 से 85 दिन की अवस्था में और चौथा पानी दानों में दूध भरते समय के बीच में देना होता है.
  • अगर किसान के पास पांच पानी की उपलब्धता है, तो पहला पानी 21 से 25 दिन की अवस्था में, दूसरा पानी 40 से 45 दिन की अवस्था में, तीसरा पानी 60 से 65 दिन की अवस्था में, चौथा पानी 80 से 85 दिन की अवस्था में, और पांचवा पानी 100 से 110 दिन की अवस्था में देना चाहिए.
  • अगर किसान के पास 6 पानी की उपलब्धता है तो पहला पानी 20 से 25 दिन की अवस्था में, दूसरा पानी 40 से 45 दिन की अवस्था में, तीसरा पानी 60 से 65 दिन की अवस्था में, चौथा पानी 80 से 85 दिन की अवस्था में, पांचवा पानी दानों में दूध भरते समय 100 से 110 दिन की अवस्था में और छठा पानी दाना सख्त होने पर यानी 120 से 135 दिन की अवस्था में देना होता है.

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