जबलपुर: आंगनबाड़ी सुपरवाइजर के पदों पर भर्ती में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को योग्य माना गया लेकिन सहायिकाओं को नहीं. इस मामले को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने महिला बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव, डायरेक्टर व ज्वाइंट डायरेक्टर के साथ ही कर्मचारी चयन आयोग के संचालक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
आंगनबाड़ी सुपरवाइजर के विज्ञापन में क्या है
याचिका में कहा गया है "आंगनबाडी सुपरवाइजर के लिए जारी विज्ञापन में कार्यकर्ताओं को योग्य माना गया है, जबकि सहायिकाओं को नहीं." हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल व जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए संबंधित अफसरों को नोटिस जारी किया. मामले के अनुसार रीवा निवासी मिथिलेश सुमन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया "वह आंगनबाडी सहायिका के रूप में कार्यरत है. आंगनबाड़ी सुपरवाइजर भर्ती परीक्षा 2024 का विज्ञापन जारी किया गया है. इसमें इस पद के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आवेदन कर सकती हैं, परंतु आंगनवाडी सहायिका नहीं."
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समान शैक्षणिक योग्यता के बाद भी भेदभाव क्यों ?
याचिका में बताया गया "आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका के लिए शैक्षणिक योग्यता सहित अन्य अहर्ताएं एक समान निर्धारित हैं. सामान्य शैक्षणिक योग्यता व अहर्ताए होने के बावजूद आंगनबाडी सहायिकाओं को अयोग्य करार दिया जाना सामान्य के अधिकार का उल्लंघन है. यह निर्णय पूरी तरफ से भेदभाव पूर्ण है." युगलपीठ ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राजेश चंद्र तथा हैरी बमोरिया ने पैरवी की.