राजगढ़: देश सहित मध्य प्रदेश में सड़क पर नजर आने वाले गौवंश का संरक्षण और उनकी बढ़ती हुई संख्या इस वक्त केंद्र और प्रदेश सरकारों के लिए एक बड़ी समस्या है. इसकी वजह है कि खेती किसानी के लिए उपयोग में न आने वाले बैल और दूध न देने वाली गायों को सड़कों पर खुला छोड़ देना, जिससे किसानों को इन पशुओं के चारे-पानी की व्यवस्था न करना पड़े, लिहाजा ये गौवंश सड़कों पर अपना डेरा जमाए रखते हैं.
ऐसे में सड़को पर नजर आने वाले गौवंश या तो सड़क हादसे का शिकार होते हैं, या हादसे का कारण बनते हैं. जिन्हें सीमित गौशालाओं में संरक्षण दे पाना भी मुनासिब नहीं है. ऐसे में "सेक्स सॉर्टेड सीमेन" की प्रोसेस के माध्यम से पशुओं में पैदा होने वाले मेल काल्फ में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है. जिसमें 90 प्रतिशत फीमेल काल्फ यानी कि बछिया पैदा होने के अनुमान होते हैं.
क्या है सेक्स सॉर्टेड सीमेन
दरअसल "सेक्स सॉर्टेड सीमेन" की प्रोसेस में उन्नत किस्म के मेल पशु के वीर्य में मौजूद X और Y शुक्राणु जो कि बराबर अनुपात में होते हैं. जिसमें से y शुक्राणु नर और X शुक्राणु से मादा पैदा होती है. Y शुक्राणु को वीर्य से हटा दिया जाता है, जिससे फीमेल काल्फ पैदा होने की संभावना 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. एक तरीके से कहा जाए तो मवेशियों के वीर्य से नर शुक्राणुओं को अलग करके तैयार किया गया वीर्य होता है. इसका उपयोग कृत्रिम गर्भाधारण से मादा बछिया पैदा करना होता है.
सेक्स सॉर्टेड सीमेन को अपनाने वाला एमपी दूसरा राज्य
आपको बता दें उत्तराखंड राज्य के बाद सेक्स सॉर्टेड सीमेन की इस प्रोसेस को अपनाने वाला मध्य प्रदेश देश का दूसरा राज्य है. जो इस प्रोसेस के माध्यम से यह तय कर रहा है कि, गाय को पैदा होने वाला बच्चा बछिया ही हो, ऐसे में पशु विभाग के माध्यम से गांव-गांव में एआई की जा रही है.
6 हजार गौवंशों का AI करने का लक्ष्य
राजगढ़ जिले की यदि बात करें तो यहां 65 हजार के लगभग गौवंश रजिस्टर्ड हैं. जिनमें से 18000 के लगभग गौवंश जिले की 135 गोशालाओं में हैं और शेष गौवंश सड़क पर हैं. जो या तो हादसों का शिकार होते हैं या हादसे का कारण बनते हैं. राजगढ़ पशु विभाग के उपसंचालक महिपाल सिंह कुशवाह ने बताया कि "वर्ष 2024-25 में जिले के लिए 6 हजार AI करने का लक्ष्य दिया गया था. जिसे उन्होंने प्राप्त करके सभी विकास खंडों को भेज दिया है.
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अच्छे मिले रिजल्ट, फीमेल काल्फ हुए पैदा
फील्ड में रहने वाला अमला पशु पालकों के फीमेल पशुओं को सेक्स सॉर्टेड सीमेन की स्ट्रा लगा भी रहा है. जिसमें अधिकतर सीमेन का उपयोग में लिए जा चुके हैं. जिनसे अधिकतर फीमेल काल्फ ही पैदा हुए हैं और इसका कंसेप्शन रेट 30 से 35 प्रतिशत के लगभग है." वहीं पशु विभाग में राजगढ़ ब्लॉक संभालने वाले डॉक्टर एमएस बामनिया ने बताया कि "AI करते हुए 3 साल के लगभग हो चुके हैं. जिसमें 2 हजार के ऊपर एआई की जा चुकी है. जिसमें करीब 37 प्रतिशत का रेशो निकला है और फीमेल काल्फ ही पैदा हुए हैं. जब अच्छी नस्ल की बछिया पैदा होगी, तो कोई भी किसान उन्हें सड़क पर आवारा नहीं छोड़ेगा."
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सेक्स सॉर्टेड सीमेन के बारे में लोगों को कर रहे जागरूक
ईटीवी भारत की टीम ने जमीनी हकीकत को जानने के लिए स्थानीय किसानों और पशुपालकों से बात की. जहां पता चला कि उन्हें सामान्य सीमेन के बारे में जानकारी है, लेकिन सेक्स सॉर्टेड सीमेन की कोई जानकारी नहीं है. वहीं जानकारी के अभाव को लेकर पशु विभाग के उप संचालक महिपाल सिंह का कहना है कि, हम समय पर किसानों को जागरुक करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा सेक्स सॉर्टेड सीमेन की स्ट्रा का प्रयोग अपने पशुओं में करें, जिससे अच्छी नस्ल की मेल काल्फ पैदा होगी और किसानों को ज्यादा दूध का उत्पादन होगा और उनकी आय भी बढ़ेगी."