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एमपी की फॉरेस्ट टीम को बड़ा टास्क, जंगल नहीं पाताल से खोजकर लाना है गिद्ध - PATALKOT VULTURES COUNTING

छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट में वन विभाग गिद्धों की गणना करेगा. पातालकोट और तामिया के जंगलों में भारी मात्रा में गिद्ध पाए जाते हैं.

PATALKOT VULTURES COUNTING
पाताल से गिद्ध खोजने की तैयारी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 6, 2025, 6:28 PM IST

Updated : Feb 6, 2025, 7:47 PM IST

छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले का पातालकोट अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता को लेकर जाना जाता है. यहां की वादियां, जंगल, पहाड़ और टूरिज्म डिपार्टमेंट के बने होम स्टे सब कुछ प्रकृति से जोड़ देने वाला है. पातालकोट में कई अद्भुत तितलियां पाई जाती है. मध्य प्रदेश वन विभाग तितलियों के बाद अब पातालकोट में गिद्धों को तलाशने की तैयारी में है. जिसके लिए बाकायदा वन विभाग के कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी गई है.

पातालकोट में गिद्धों को खोजने की तैयारी

छिंदवाड़ा जिले में कितने गिद्धों की संख्या है. इसकी गणना वन विभाग कराने जा रहा है. छिंदवाड़ा वनवृत्त के तीनों वनमंडल में एक साथ 17 से 19 फरवरी को यह गणना होगी. इसके लिए वन कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. दो चरणों में होने वाली गिद्ध गणना के पहले चरण में उन स्थानों का चयन किया जाएगा, जहां गिद्धों का निवास होता है. उल्लेखनीय है कि दो साल में एक बार होने वाली गिद्धों की गणना होती है.

Patalkot Vultures Counting
पातालकोट में गिद्धों की होगी गणना (ETV Bharat)

इस बार यह गणना फरवरी माह में हो रही है. पिछले बार की गणना में कुल 89 गिद्ध जिले में पाए गए थे. पूर्व वनमंडल में 47 गिद्ध और दो अव्यस्क हैं, जबकि पश्चिम वनमंडल में कुल 40 गिद्ध मिले हैं. जिनमें 39 व्यस्क और दो अव्यस्क हैं.

पातालकोट में कई ऐसी प्रजाति जो भारत में नहीं

वनवृत्त छिंदवाड़ा के पूर्व और पश्चिम वनमंडल में गिद्ध हैं, जबकि दक्षिण वनमंडल में गिद्ध नहीं है. छिंदवाड़ा वनवृत्त के जिन हिस्सों में गिद्ध पाए गए हैं. उनमें पातालकोट के तामिया, घटलिंगा, प्रतापगढ़‌बादला, छिंदी, चिमटीपुर शामिल है. जिले में गिद्धों को बचाने के लिए और उनकी तादाद बढ़ाने के लिए वन विभाग कार्ययोजना बनाकर काम कर रहा है. इसी के अंतर्गत गिद्धों की भी गणना की जा रही है. इसी के तहत 17 से 19 फरवरी तक गिद्धों की गणना होगी.

vultures Many Species in Patalkot
पातालकोट में गिद्धों की कई प्रजातियां मौजूद (ETV Bharat)

भारत में 9 प्रकार के गिद्ध, गिनती के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग

मध्य प्रदेश गिद्ध गणना वर्ष 2025 के लिए एक दिवसीय वनवृत्त स्तरीय गिद्ध गणना प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन पश्चिम छिंदवाड़ा के परासिया वन परिक्षेत्र अंतर्गत वनभोज रसोई सोनापीपरी में आयोजित की गई. जिसमें वनवृत के तीनों वनमंडल के सभी वन परिक्षेत्र अधिकारी व संबंधित रेंज के अधिकारी-कर्मचारियों को दिलशेर खान (गिद्ध विशेषज्ञ) एवं विनीत अग्रवाल द्वारा गिद्ध गणना किए जाने के लिए पावर पांइट प्रस्तुति द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. प्रस्तुति में भारत में मौजूद 9 प्रकार के गिद्धों की जानकारी उनसे संबंधित जानकारी दी गई. उनके द्वारा विश्व में उपस्थित गिद्धों की भी जानकारी दी गई.

Forest Team Searching Vulture Species
पातालकोट में खोजे जाएंगे गिद्ध (ETV Bharat)

इस वजह से कम हो रही गिद्धों की संख्या

विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि गिद्ध गणना वर्ष 2016 से प्रारंभ हुई है. जिसका कारण गिद्धों की कमी होना बताया गया. हर तीन वर्ष में गिद्ध गणना की जाती है, जो कि माह फरवरी 2025 व अप्रैल 2025 में की जाना है. विशेषज्ञों द्वारा गिद्धों की कमी होने का मुख्य कारण पशुओं को दी जाने वाली बुखार एवं दर्द निवारक दवाई डाइक्लोपनक को बताया गया. पशुओं के मरने के उपरांत गिद्धों द्वारा इन्हें खाने से उनकी मृत्यु होना बताया गया है. वहीं पश्चिम वन मंडल के एसडीओ
एचसी बघेल ने बताया कि "गिद्धों की गणना फरवरी माह में 17 से 19 तक होना है. इसके लिए विशेषज्ञों द्वारा ट्रेनिंग दी गई है. इसके बाद दो चरणों में गिद्धों की गणना की जाएगी."

छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले का पातालकोट अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता को लेकर जाना जाता है. यहां की वादियां, जंगल, पहाड़ और टूरिज्म डिपार्टमेंट के बने होम स्टे सब कुछ प्रकृति से जोड़ देने वाला है. पातालकोट में कई अद्भुत तितलियां पाई जाती है. मध्य प्रदेश वन विभाग तितलियों के बाद अब पातालकोट में गिद्धों को तलाशने की तैयारी में है. जिसके लिए बाकायदा वन विभाग के कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी गई है.

पातालकोट में गिद्धों को खोजने की तैयारी

छिंदवाड़ा जिले में कितने गिद्धों की संख्या है. इसकी गणना वन विभाग कराने जा रहा है. छिंदवाड़ा वनवृत्त के तीनों वनमंडल में एक साथ 17 से 19 फरवरी को यह गणना होगी. इसके लिए वन कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. दो चरणों में होने वाली गिद्ध गणना के पहले चरण में उन स्थानों का चयन किया जाएगा, जहां गिद्धों का निवास होता है. उल्लेखनीय है कि दो साल में एक बार होने वाली गिद्धों की गणना होती है.

Patalkot Vultures Counting
पातालकोट में गिद्धों की होगी गणना (ETV Bharat)

इस बार यह गणना फरवरी माह में हो रही है. पिछले बार की गणना में कुल 89 गिद्ध जिले में पाए गए थे. पूर्व वनमंडल में 47 गिद्ध और दो अव्यस्क हैं, जबकि पश्चिम वनमंडल में कुल 40 गिद्ध मिले हैं. जिनमें 39 व्यस्क और दो अव्यस्क हैं.

पातालकोट में कई ऐसी प्रजाति जो भारत में नहीं

वनवृत्त छिंदवाड़ा के पूर्व और पश्चिम वनमंडल में गिद्ध हैं, जबकि दक्षिण वनमंडल में गिद्ध नहीं है. छिंदवाड़ा वनवृत्त के जिन हिस्सों में गिद्ध पाए गए हैं. उनमें पातालकोट के तामिया, घटलिंगा, प्रतापगढ़‌बादला, छिंदी, चिमटीपुर शामिल है. जिले में गिद्धों को बचाने के लिए और उनकी तादाद बढ़ाने के लिए वन विभाग कार्ययोजना बनाकर काम कर रहा है. इसी के अंतर्गत गिद्धों की भी गणना की जा रही है. इसी के तहत 17 से 19 फरवरी तक गिद्धों की गणना होगी.

vultures Many Species in Patalkot
पातालकोट में गिद्धों की कई प्रजातियां मौजूद (ETV Bharat)

भारत में 9 प्रकार के गिद्ध, गिनती के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग

मध्य प्रदेश गिद्ध गणना वर्ष 2025 के लिए एक दिवसीय वनवृत्त स्तरीय गिद्ध गणना प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन पश्चिम छिंदवाड़ा के परासिया वन परिक्षेत्र अंतर्गत वनभोज रसोई सोनापीपरी में आयोजित की गई. जिसमें वनवृत के तीनों वनमंडल के सभी वन परिक्षेत्र अधिकारी व संबंधित रेंज के अधिकारी-कर्मचारियों को दिलशेर खान (गिद्ध विशेषज्ञ) एवं विनीत अग्रवाल द्वारा गिद्ध गणना किए जाने के लिए पावर पांइट प्रस्तुति द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. प्रस्तुति में भारत में मौजूद 9 प्रकार के गिद्धों की जानकारी उनसे संबंधित जानकारी दी गई. उनके द्वारा विश्व में उपस्थित गिद्धों की भी जानकारी दी गई.

Forest Team Searching Vulture Species
पातालकोट में खोजे जाएंगे गिद्ध (ETV Bharat)

इस वजह से कम हो रही गिद्धों की संख्या

विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि गिद्ध गणना वर्ष 2016 से प्रारंभ हुई है. जिसका कारण गिद्धों की कमी होना बताया गया. हर तीन वर्ष में गिद्ध गणना की जाती है, जो कि माह फरवरी 2025 व अप्रैल 2025 में की जाना है. विशेषज्ञों द्वारा गिद्धों की कमी होने का मुख्य कारण पशुओं को दी जाने वाली बुखार एवं दर्द निवारक दवाई डाइक्लोपनक को बताया गया. पशुओं के मरने के उपरांत गिद्धों द्वारा इन्हें खाने से उनकी मृत्यु होना बताया गया है. वहीं पश्चिम वन मंडल के एसडीओ
एचसी बघेल ने बताया कि "गिद्धों की गणना फरवरी माह में 17 से 19 तक होना है. इसके लिए विशेषज्ञों द्वारा ट्रेनिंग दी गई है. इसके बाद दो चरणों में गिद्धों की गणना की जाएगी."

Last Updated : Feb 6, 2025, 7:47 PM IST
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