जबलपुर: अक्सर बड़े होटल में शादी और पार्टियों के बाद बड़े पैमाने पर खाना बच जाता है, फिर इसे फेंक दिया जाता है. जबलपुर जिला प्रशासन ने इस भोजन को बर्बाद होने से बचाने के लिए एक मुहिम चलाने का निर्णय लिया है. इसके लिए जिला प्रशासन होटल और लोन संचालकों से चर्चा करने की तैयारी में है. वहीं दूसरी तरफ जबलपुर में युवाओं का एक संगठन ह्यूमैनिटी ऑर्गेनाइजेशन बीते 10 सालों से शादी-पार्टियों से बचा हुआ खाना इकट्ठा करके गरीबों को खिलाने का काम कर रहा है.
शादियों पार्टियों और होटल में रोज बड़े पैमाने पर खाना बनाया जाता है. कुछ होटल और कुछ पार्टियों में यह तय होता है कि कितने लोग खाना खाने के लिए आ रहे हैं और खाना बचता नहीं है, लेकिन शादी पार्टी में यदि खाना खत्म हो जाए तो इसे बुरा माना जाता है, इसलिए लोग जरूरत से ज्यादा खाना बनवा लेते हैं. पार्टी खत्म होने के बाद यह खाना बर्बाद हो जाता है. कई बार इसे आवारा पशुओं को खिला दिया जाता है. कई बार इस खाने को कचरे में फेंक दिया जाता है.
युवाओं की मुहिम 'अक्षय पात्र'
जबलपुर में युवाओं का एक स्वयं सेवी संगठन है. इसका नाम ह्यूमैनिटी ऑर्गेनाइजेशन है. इसी ऑर्गेनाइजेशन के एक सदस्य आशीष जैन ने ईटीवी भारत को बताया कि "खाने की बर्बादी के विषय में उनके संगठन ने भी विचार किया था. संगठन के लोगों का मानना था कि एक तरफ गरीब भूखा है. दूसरी तरफ खाना फेंका जा रहा है. इसलिए खाने को गरीबों तक पहुंचाने का काम ह्यूमैनिटी आर्गेनाइजेशन के सदस्यों ने अपने हाथ में लिया और 'अक्षय पात्र' नाम से एक मुहिम शुरू की.
ह्यूमैनिटी ऑर्गेनाइजेशन को दें जानकारी
इसके बारे में अपने सोशल मीडिया पेज और व्यक्तिगत रूप से लोगों को जानकारी दी कि यदि उनकी जानकारी में किसी विवाह समारोह या किसी दूसरे आयोजन में भोजन बच रहा है, तो भी उसे फेंके ना बल्कि ह्यूमैनिटी ऑर्गेनाइजेशन तक इस बात की जानकारी पहुंचा दें, तो वे इस भोजन को उन लोगों तक पहुंचा देंगे. जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत है. बीते कई सालों से ह्यूमैनिटी ऑर्गेनाइजेशन इस काम को बखूबी अंजाम दे रहा है. संगठन के 50 से ज्यादा कार्यकर्ता हमेशा तैयार रहते हैं. जैसे ही उन्हें जानकारी मिलती है, उनमें से कुछ लोग तैयार होकर पार्टियों में पहुंचते हैं, खाने के पैकेट बनाते हैं और उन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचा देते हैं."
अब सरकार भी रोकेगी भोजन की बर्बादी
जबलपुर के कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने बताया की "जबलपुर के लोग अन्न को प्रसाद मानते हैं. इसलिए बीते दिनों नर्मदा जयंती पर जबलपुर में 50 लाख से ज्यादा दोने उन्होंने भंडारों के आसपास से इकट्ठे किए, लेकिन किसी भी दोने में एक दाना भी भोजन का नहीं था. इससे यह तो स्पष्ट है कि जबलपुर का आम आदमी भोजन की बर्बादी नहीं करता और वह खाद्य संरक्षण समझता है. यही आदमी जब किसी शादी या विवाह पार्टी में जाता है, तो भोजन की बर्बादी करता है. इसके लिए सरकार के साथ ही समाज को अपने स्तर पर भी प्रयास करने चाहिए. लोगों को केवल उतना ही भोजन अपनी प्लेटों में लेना चाहिए, जितना भी खा सके. वहीं बड़े होटलों में विवाह पार्टी करने वाले लोग से भी प्रशासन बातचीत शुरू करने की तैयारी कर रहा है. जिसमें सभी को यह समझाइश दी जाएगी कि भोजन की बर्बादी ना करें."
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किसी भी भोजन के एक दाने को तैयार होने में किसान की लंबी मेहनत जुड़ी हुई होती है. इसलिए भारत में भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता था. लोग प्रसाद का सम्मान करते हैं, क्योंकि इसमें कई लोगों का खून पसीना जुड़ा रहता था, लेकिन जब से भोजन की अधिकता हुई है, तब से भोजन एक वस्तु बन गया है और लोग इसे बर्बाद करते हैं और फेंकते हैं.