ETV Bharat / bharat

दिल्ली चुनाव में AAP की हार के प्रमुख कारण, जिससे BJP के सामने टिक नहीं पाए केजरीवाल - DELHI ELECTIONS RESULTS

दिल्ली चुनाव में भाजपा 48 सीट जीतने में सफल रही जबकि AAP 22 सीट पर सिमट गई. आइए जानते हैं AAP की हार के कारण...

Delhi Elections 2025 reasons of AAP and Arvind kejriwal defeat and BJP victory after 27 years
दिल्ली चुनाव में AAP की हार के प्रमुख कारण, जिससे BJP के सामने टिक नहीं पाए केजरीवाल (ANI)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 8, 2025, 5:51 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के साथ भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है. वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) 12 साल के शासन के बाद दिल्ली की सत्ता से बाहर हो गई. अरविंद केजरीवाल समेत AAP के कई दिग्गज नेता हार गए. इनमें मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज शामिल हैं.

आम आदमी पार्टी की करारी हार के पीछे की वजह प्रमुख भ्रष्टाचार के आरोप और लोगों से किए गए वादों को पूरा करने में विफलता बताया जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की हार के पीछे के कई अन्य कारण भी बताए हैं.

AAP-कांग्रेस में गठबंधन न होना
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने दिल्ली में लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ा था. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी. इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने का ऐलान किया. विश्लेषकों का मनना है कि 'आप' और कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव लड़ने के कारण नतीजों पर इसका असर पड़ा. हालांकि, 65 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, लेकिन फिर भी इससे आप को नुकसान पहुंचा.

भ्रष्टाचार के आरोप
जानकारों का मनना है कि कथित शराब घोटाला और 'शीशमहल' के आरोपों से लोगों के बीच अरविंद केजरीवाल की छवि खराब हुई. केजरीवाल और उनकी पार्टी के अन्य प्रमुख नेता जेल भी गए. केजरीवाल इन आरोपों का मजबूती के साथ बचाव नहीं कर पाए. वहीं, भाजपा इसका फायदा उठाने में कामयाब रही.

विकास का मुद्दा
दिल्ली में सरकार बनाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने जनता के लिए मुफ्त योजनाओं की झड़ी लगा दी. मुफ्त बिजली, महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा और अन्य पहलों से AAP को शुरुआत में जनता का समर्थन मिला. हालांकि, पार्टी पिछले 12 वर्षों में बुनियादी ढांचे के विकास और सड़कों की मरम्मत पर उचित ध्यान देने में नाकाम रही. जानकारों का मानना है कि पूरे दिल्ली में सड़कों और सीवरों की खराब स्थिति के कारण मतदाताओं में नाराजगी थी. हालांकि, लोगों को उम्मीद थी कि दिल्ली नगर निगम (MCD) पर AAP का कब्जा होने के बाद वह इन मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देगी.

AAP नेताओं का पार्टी से मोहभंग
पिछले कुछ महीनों में AAP के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी का साथ दूसरे दलों में चले गए. जानकारों का कहना है कि इससे पार्टी की संगठनात्मक संरचना और लोगों के बीच अरविंद केजरीवा और AAP दोनों की छवि कमजोर हुई, क्योंकि इन नेताओं केजरीवाल पर 'निरंकुश' शैली का आरोप लगाया. चुनाव से पहले दिल्ली के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत जैसे वरिष्ठ नेताओं के इस्तीफे से भी पार्टी को नुकसान पहुंचा, क्योंकि इससे पार्टी के भीतर आंतरिक कलह भी उजागर हो गई थी.

भाजपा ने केजरीवाल को बनाया निशाना
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने प्रचार अभियान के दौरान भाजपा ने अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार पर सीधा हमला बोला. भगवा पार्टी ने इस बार हिंदुत्व के मुद्दे पर जोर नहीं दिया, जैसा कि वह अन्य राज्यों में अपने प्रचार अभियान में इस मुद्दे को शामिल करती आई है.

यह भी पढ़ें- BJP की जीत के बाद क्या AAP की मुफ्त योजनाएं वापस ली जाएंगी ? जानिए नेताओं और एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के साथ भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है. वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) 12 साल के शासन के बाद दिल्ली की सत्ता से बाहर हो गई. अरविंद केजरीवाल समेत AAP के कई दिग्गज नेता हार गए. इनमें मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज शामिल हैं.

आम आदमी पार्टी की करारी हार के पीछे की वजह प्रमुख भ्रष्टाचार के आरोप और लोगों से किए गए वादों को पूरा करने में विफलता बताया जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की हार के पीछे के कई अन्य कारण भी बताए हैं.

AAP-कांग्रेस में गठबंधन न होना
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने दिल्ली में लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ा था. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी. इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने का ऐलान किया. विश्लेषकों का मनना है कि 'आप' और कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव लड़ने के कारण नतीजों पर इसका असर पड़ा. हालांकि, 65 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, लेकिन फिर भी इससे आप को नुकसान पहुंचा.

भ्रष्टाचार के आरोप
जानकारों का मनना है कि कथित शराब घोटाला और 'शीशमहल' के आरोपों से लोगों के बीच अरविंद केजरीवाल की छवि खराब हुई. केजरीवाल और उनकी पार्टी के अन्य प्रमुख नेता जेल भी गए. केजरीवाल इन आरोपों का मजबूती के साथ बचाव नहीं कर पाए. वहीं, भाजपा इसका फायदा उठाने में कामयाब रही.

विकास का मुद्दा
दिल्ली में सरकार बनाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने जनता के लिए मुफ्त योजनाओं की झड़ी लगा दी. मुफ्त बिजली, महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा और अन्य पहलों से AAP को शुरुआत में जनता का समर्थन मिला. हालांकि, पार्टी पिछले 12 वर्षों में बुनियादी ढांचे के विकास और सड़कों की मरम्मत पर उचित ध्यान देने में नाकाम रही. जानकारों का मानना है कि पूरे दिल्ली में सड़कों और सीवरों की खराब स्थिति के कारण मतदाताओं में नाराजगी थी. हालांकि, लोगों को उम्मीद थी कि दिल्ली नगर निगम (MCD) पर AAP का कब्जा होने के बाद वह इन मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देगी.

AAP नेताओं का पार्टी से मोहभंग
पिछले कुछ महीनों में AAP के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी का साथ दूसरे दलों में चले गए. जानकारों का कहना है कि इससे पार्टी की संगठनात्मक संरचना और लोगों के बीच अरविंद केजरीवा और AAP दोनों की छवि कमजोर हुई, क्योंकि इन नेताओं केजरीवाल पर 'निरंकुश' शैली का आरोप लगाया. चुनाव से पहले दिल्ली के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत जैसे वरिष्ठ नेताओं के इस्तीफे से भी पार्टी को नुकसान पहुंचा, क्योंकि इससे पार्टी के भीतर आंतरिक कलह भी उजागर हो गई थी.

भाजपा ने केजरीवाल को बनाया निशाना
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने प्रचार अभियान के दौरान भाजपा ने अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार पर सीधा हमला बोला. भगवा पार्टी ने इस बार हिंदुत्व के मुद्दे पर जोर नहीं दिया, जैसा कि वह अन्य राज्यों में अपने प्रचार अभियान में इस मुद्दे को शामिल करती आई है.

यह भी पढ़ें- BJP की जीत के बाद क्या AAP की मुफ्त योजनाएं वापस ली जाएंगी ? जानिए नेताओं और एक्सपर्ट की राय

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.