गिरिडीह: चिराग तले अंधेरा ही होता है. वर्तमान में यह उक्ति समाहरणालय के ठीक पीछे महेशलुंडी पथ निर्माण के दौरान चरितार्थ हो रही है. इस पंचायत में सड़क बन रही है लेकिन सड़क की गुणवत्ता सवालों के घेरे में आ गई है. यहां के लोगों ने अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की है.
पीसीसी की मोटाई से लेकर मटेरियल पर सवाल
यहां के ग्रामीणों ने डीसी को दिए शिकायत में कहा है कि संवेदक जैसे-तैसे काम करने पर तुला हुआ है और काफी काम कर चुका है. संवेदक द्वारा सड़क पर पहले से जमा मिट्टी को हटाए बगैर पीसीसी ढाल दिया गया है. पीसीसी की मोटाई भी कई स्थानों पर कम है. इतना ही नहीं ढलाई के पश्चात पीसीसी पर पानी भी नहीं दिया जा रहा है. जिस सड़क की तीन-चार दिन पहले ढलाई हुई है उसकी कंक्रीट बाहर उभर आया है. कई स्थानों पर किनारा भी टूट गया है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
महेशलुंडी के ग्रामीणों में सड़क की गुणवत्ता को लेकर नाराजगी देखी जा रही है. यहां के रहनेवाले अधिवक्ता विशाल राय का कहना है कि सड़क निर्माण में सीधी गड़बड़ी तब की जा रही है जब चंद मीटर की दूरी पर विभाग के अधिकारी बैठ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पपरवाटांड से खरियोडीह डैम तक बन रही इस सड़क की गुणवत्ता से जिस तरह समझौता किया गया है, उससे लगता है कि चंद माह में ही सड़क टूट जाएगी. उन्होंने कहा कि इससे बढ़िया था कि इस सड़क को बनाया ही नहीं जाता. यहां के लखन साव का कहना है कि सड़क की मोटाई कम है, अभी बनते ही सड़क टूटने लगी है. पीसीसी पर पानी नहीं दिया गया है और जब ठेकेदार से सवाल करते हैं तो कहा जाता है कि ऊपर से नीचे तक मैनेज किए हैं सड़क ऐसी ही बनेगी.
क्या अधूरा होगा निर्माण