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पिथौरागढ़-बागेश्वर के सीमांत गांव ढनौलासेरा के ग्रामीणों ने किया मतदान बहिष्कार, ये बताई वजह - Lok Sabha elections 2024

Pithoragarh election boycott उत्तराखंड में 19 अप्रैल को पहले चरण में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान है. राज्य की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को मताधिकार की शपथ दिलाई. जब मुख्य सचिव देहरादून सचिवालय में मताधिकार की शपथ दिला रही थीं, उसी दौरान राजधानी देहरादून से करीब 500 किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ सीमांत गांव ढनौलसेरा के ग्रामीण मतदान बहिष्कार की कसम खा रहे थे. क्या है ये पूरा मामला, इस खबर में पढ़ें.

Pithoragarh election boycott
पिथौरागढ़ समाचार

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 16, 2024, 9:17 AM IST

Updated : Apr 16, 2024, 11:26 AM IST

ढनौलासेरा के ग्रामीणों ने किया मतदान बहिष्कार

देहरादून/पिथौरागढ़:उत्तराखंड में 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों जोरों पर और अंतिम चरण में हैं. हर जिले में लोगों को मतदान करने की शपथ दिलाई जा रही है.उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भी सोमवार को सचिवालय में सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को मताधिकार की शपथ दिलायी. इसी दौरान उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के एक इलाके का नजारा इसके विपरीत था.

पिथौरागढ़ जिले के ढनौलासेरा के ग्रामीणों ने मतदान नहीं करने की कसम खाई है. अब जबकि मतदान में सिर्फ 3 दिन बचे हैं और चौथे दिन मतदान होना है, तो उनकी इस कसम ने शासन-प्रशासन की मुश्किल बढ़ा दी है. पिथौरागढ़-बागेश्वर जिले की अंतिम सीमा पर स्थित ढनौलासेरा के ग्रामीणों ने फिर लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करने की अपने गांव के मंदिर में कसम तक खा दी है. पिछले ग्रामीणों ने गांव में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित विभिन्न समस्याओं का समाधान नहीं होने पर आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करने की चेतावनी का पत्र डीएम को भेजा था. जिसके बाद तहसीलदार सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने गांव में बैठक कर समस्याओं का समाधान करने का भरोसा ग्रामीणों को दिया था. लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं होने से गुस्साए ग्रामीणों ने अब कसम खा दी है कि जब तक गांव की समस्याओं का समाधान नहीं होता है, किसी भी मतदान में भाग नहीं लिया जायेगा.

ग्रामीणों ने किया मतदान बहिष्कार

ग्रामीणों सौरभ सिंह, पुष्कर सिंह, कुशाल सिंह और मान सिंह सहित अन्य ग्रामीण ने बताया कि गांव में एक प्राथमिक विद्यालय था, उसे भी बंद कर दिया गया है. बच्चों को पढ़ने के पांच किमी दूर कांडा बागेश्वर जाना पड़ रहा है. अप्रैल में स्कूल खोलने का भरोसा दिलाया था. वह भी पूरा नहीं हुआ. गांव में अधिकांश ग्रामीणों के शौचालय और पक्के घर तक नहीं हैं. गांव में आज तक सड़क की सुविधा नही मिली है. स्वास्थ्य की कोई भी सुविधा नही है. जिले की अंतिम सीमा पर गांव होने के कारण कोई भी सुविधा गांव को नहीं मिल रही है. पूर्व में सड़क सहित अन्य मांगों को लेकर कई बार आंदोलन किया जा चुका है.

प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप

सीएम हैल्प लाइन से लेकर अधिकारियों और मंत्रियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. जब सरकार की सुविधाओं का लाभ ही नहीं मिल रहा है तब मतदान नहीं किया जायेगा. पूर्व में अधिकारियों के द्वारा आश्वासन दिया गया था कि समस्याओं का समाधान किया जायेगा. तब लोकसभा चुनाव में मतदान करने की बात ग्रामीणों ने कही थी. लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई. वर्तमान में गांव में लगभग 200 से अधिक परिवार रहते हैं. गांव की 600 के लगभग जनसंख्या है.

सामूहिक रूप से खाई कसम
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Last Updated : Apr 16, 2024, 11:26 AM IST

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