लखनऊ: सुपर कम्प्यूटर का आविष्कार करने वाले देश के वैज्ञानिक पद्मभूषण डॉ. विजय पी. पांडुरंग ने कहा, कि हम क्वांटम कम्प्यूटर पर काम कर रहे हैं. क्वांटम कम्प्यूटर के जरिए हम किसी भी कम्प्यूटर की गति को कई गुना बढ़ा सकते हैं. उन्होंने बताया, कि हमने पांच साल का रोड मैप तैयार किया है. क्वांटम कम्प्यूटर का प्रोटोटाइप तैयार है. तीन साल के अंदर भारत के पास अपना क्वांटम कम्प्यूटर होगा. डॉ. पांडुरंग सोमवार को प्रस्तावित लखनऊ विश्वविद्यालय के 67वें दीक्षान्त समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने रविवार को लखनऊ पहुंचे थे.
अमेरिका के राष्ट्रपति ने रखी थी कुछ शर्ते:भारत में सुपर कम्प्यूटर की यात्रा को लेकर बातचीत के दौरान डॉ. पांडुरंग ने खुलासा किया, कि तत्कालीन अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन भारत को सुपर कम्प्यूटर देने के लिए तैयार थे, लेकिन उन्होंने कुछ शर्तें रखी थी. रोनाल्ड चाहते थे, कि भारत इसका प्रयोग जलवायु के संदर्भ में करे न कि अन्य के संदर्भ में. इनमें एक यह भी शर्त थी, कि भारत यदि शर्तो का उल्लंघन करेगा, तो उसके साथ किये गये सभी करार रद्द कर दिये जायेंगे.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे तैयार:अमेरिका को आशंका थी, कि सुपर कम्प्यूटर का इस्तेमाल भारत मिसाइल बनाने में कर सकता है. डॉ. पांडुरंग ने कहा, कि भारत कृषि अर्थव्यवस्था वाला प्रधान देश है. ऐसे में यहां पर किसानों की फसल को लेकर जलवायु के बारे में सटीक अनुमान लगाकर उन्हें समय से जानकारी देना जरूरी है. उन्होंने बताया कि जब अमेरिका ने सुपर कम्प्यूटर बनाया तो, उस समय भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी इसे खरीदने के लिए तैयार थे, उन्होंने अमेरिका से बात भी की. लेकिन, शर्त के चलते बातचीत विफल होने के बाद भारत लौटने पर राजीव गांधी ने उन्हें बुलाया और पूछा कि क्या हम सुपर कम्प्यूटर बना सकते हैं. तो मैने जवाब दिया क्यों नहीं बना सकते. हालांकि मैने सुपर कम्प्यूटर देखा नहीं है केवल चित्र देखा है. उन्होंने बताया कि उस समय जापान सुपर कम्प्यूटर बनाने का प्रयास कर रहा था. राजीव गांधी ने फिर पूछा कि कितने समय में बन जायेगा, तो मैंने उत्तर दिया कि 3 साल में तैयार हो जायेगा.