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Valentines week 2024: प्यार किसी बंदिश को नहीं मानता..., कहानी फिल्मी नहीं हकीकत है

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 12, 2024, 2:38 PM IST

Updated : Feb 12, 2024, 3:39 PM IST

Valentines week 2024: दृष्टिहीन लोगों के प्रति समाज आज वैसा नहीं है, जैसा हमें बड़े पर्दे पर दिखाया जाता है. ऐसे में हम सोच सकते हैं कि किसी दृष्टिहीन से प्रेम विवाह करना कितना मुश्किल हो सकता है. कहा जाता है न, जहां चाह-वहां राह. इसी बात को चरितार्थ करते हुए नजर आते हैं डॉ. पूजा और डॉ. अमित, जो न सिर्फ अपने पैरों पर खड़े हुए, बल्कि सामाजिक संघर्षों को पार कर एक दूसरे को अपने जीवनसाथी चुना.

valentines week 2024
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डॉ. पूजा शर्मा. और डॉ. अमित शर्मा से खास बातचीत

नई दिल्ली:फरवरी का महीना चल रहा है और इस दौरान मनाए जाने वाले वैलेंटाइन वीक में कई ऐसी कहानियां सामने आती हैं, जिससे यह एहसास होता है कि सच्चा प्यार आज भी जिंदा है. ऐसे ही एक कपल हैं डॉ. अमित शर्मा और डॉ. पूजा शर्मा. अमित दिल्ली विश्विद्यालय के श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज में संस्कृत के एसोसिएट प्रोफेसर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट हैं, जबकि पूजा भी इसी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, जिन्होंने 2012 में अपनी पीएचडी पूरी की थी. अमित भले ही दृष्टिहीन हैं, लेकिन उन्होंने कभी इसे अपने प्यार के बीच नहीं आने दिया. दरअसल दोनों की मुलाकात 18 वर्ष पहले एमए की पढ़ाई के दौरान हुई थी. दो साल तक वे सामान्य दोस्त की तरह मिलते और बातें करते थे, लेकिन इसके एक वर्ष बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ा और आपसी सहमति के बाद शादी कर ली. इसके बाद से वे 15 से साल हैं. उनका 13 साल का बेटा भी है, जो पूरी तरह से स्वस्थ है.

कॉम्पिटिटर से बने दोस्त: इस बारे में डॉ. अमित ने बताया कि वह सेंट स्टीफन कॉलेज में पढ़ते थे और पूजा मिरांडा हाउस कॉलेज से आर्ट्स फैकल्टी, दिल्ली यूनिवर्सिटी में एमए की क्लासेज के लिए आती थी. शुरुआती दौर में हम दोनों कॉम्पिटिटर थे. हम दोनों अलग-अलग कम्पीटिशन में भाग लेने जाते थे. तब मुझे लगता था कि इस लड़की को हराना है, लेकिन धीरे धीरे दोस्ती बढ़ी और हम फ्रेंड बन गए. ऐसा दो वर्षों तक चला. एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे पीएचडी में एडमिशन मिल गया, लेकिन पूजा का पीएचडी में एडमिशन नहीं मिल पाया. इससे पूजा को निराशा हुई लेकिन दोस्ती चलती रही.

इजहार के बाद बात हुई बंद:उन्होंने बताया कि पूजा हॉस्टल में मेरे लिए किताबें रिकॉर्ड करने के लिए आती थीं. एक वर्ष बाद जब उन्हें कर्नाटक के श्रृंगेरी में बीएड में एडमिशन मिल गया, तब मुझे एहसास हुए कि वो मेरे लिए बहुत खास हैं. इसके बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पूजा से अपने प्यार का इजहार कर दिया, लेकिन जिस बात का डर था वही हुआ. तीन महीने तक हमारे बीच बात ही नहीं हुई. फिर अचानक एक दिन फोन आया और पूजा ने मेरा प्यार स्वीकार कर लिया. हम दोनों ने एक दूसरे से वादा किया कि जब हम अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे तभी शादी करेंगे. एक वर्ष बाद जब पूजा वापस दिल्ली आई, तब तक मेरी नौकरी लग चुकी थी और मैंने अपने घर में पूजा से शादी की बात भी कर ली थी. अब पूजा की बारी थी अपने घर पर शादी की बात करने की.

12 सालों तक पिता ने नहीं की बात: डॉ. पूजा ने बताया, उन्हें डर था कि परिवार वाले अमित को स्वीकार नहीं करेंगे और ऐसा ही हुआ. मेरे पिता ने अमित के दृष्टिहीन होने के कारण शादी करवाने से इनकार कर दिया और बात करनी भी बंद कर दी. मैंने भी उन्हें मनाना जारी रखा और कह दिया कि अगर अमित से मेरी शादी नहीं हुई, तो कभी शादी नहीं करूंगी. आखिरकार वे मान ही गए. हम दोनों की शादी परिवार की सहमति से और बिलकुल सामान्य शादी की तरह हुई. पापा ने मेरी शादी मेरे पसंद के लड़के से तो कर दी, लेकिन 12 वर्षों तक मुझसे बात नहीं की, लेकिन मैंने हार न मानते हुए उन्हें मनाना जारी रखा. शादी के बाद जब मैंने मां को बताया कि हम दोनों घर आ रहे हैं तो पापा ने कहा कि आना है तो अकेले आना. इसपर मैंने भी कह दिया कि अकेले तो नहीं आऊंगी, क्योंकि मेरे पति का स्वाभिमान ही मेरा स्वाभिमान है. उन्होंने आगे बताया, 2021 में जब कोरोना की दूसरी लहर आई, तब अमित को भी कोरोना हुआ था. इस घटना के बाद पापा पहली बार घर आए थे.

अब भी है मलाल:डॉ. अमित ने यह भी बताया कि जब हम दोनों अच्छे दोस्त थे, मैं अक्सर पूजा के घर जाया करता था. उस समय मुझे लगता था कि पूजा के पिता मेरे मित्र हैं. हम एक दोस्त की तरह बात किया करते थे. उनको भजन लिखने का शौक था और मुझे गाने का. अब जब उनसे दोबारा बात शुरू हुई तो भी वह बहुत अच्छे से बात करते हैं, लेकिन इस बात का दुख है कि उन्होंने कभी घर आने के लिए नहीं कहा. मैं मानता हुई उस समय उनका सोचना ठीक था. हर पिता अपनी बेटी का भविष्य उज्जवल देखना चाहता है.

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इसलिए आज भी वैसा ही है प्यार:उनकी पत्नी डॉ. पूजा ने बताया कि कई लोग ऐसे सवाल करते हैं कि, जिन्हें सुनकर हैरानी होती है. जिन सवालों को कम पढ़े लिखे लोग करते हैं, वे सवाल एजुकेटेड लोग करते हैं तो हंसी भी आती है. यह उनकी अज्ञानता को दर्शाता है. कई लोगों को लगता है कि मैंने परिवार के दबाव में शादी की है. ऐसे लोगों को मैं संदेश देना चाहती हूं कि प्यार में इंसान दिखता कैसा है, यह मायने नहीं रखता, बल्कि उस इंसान का व्यवहार और उससे अंडरस्टैंडिंग मायने रखती है. यह असली प्यार है.

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Last Updated : Feb 12, 2024, 3:39 PM IST

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