देहरादून: रायपुर क्षेत्र में विधानसभा सचिवालय और विभिन्न विभागों के मुख्यालय को स्थापित करना अभी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है. दरअसल नई विधानसभा प्रोजेक्ट के लिए शासन को दोबारा आवेदन करने में ही एक साल का वक्त लग गया है. उधर पूर्व में मिली सैद्धांतिक सहमति को केंद्र ने यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि सरकार इस मामले में काम गंभीर नजर आ रही है. बहरहाल अब एक बार फिर परिवेश पोर्टल के माध्यम से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी लेने के प्रयास शुरू किए गए हैं.
उत्तराखंड सरकार ने रायपुर में नए विधानसभा भवन प्रोजेक्ट पर पहला मौका खोने के बाद अब फिर से प्रयास शुरू कर दिए हैं. हालांकि साल 2013 में नए विधानसभा भवन समेत अन्य महत्वपूर्ण कार्यालय को स्थापित करने के लिए शासन में फाइल बनना शुरू हो गया था. जिसके बाद साल 2016 में तमाम औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी. यानी करीब 3 साल का लंबा वक्त राज्य को इस मंजूरी को पाने में लगा था.
लेकिन तब सरकार के यह सभी प्रयास धराशायी हो गए थे, जब साल 2023 दिसंबर में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पूर्व में मिली सैद्धांतिक मंजूरी को रद्द कर दिया था. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वन भूमि पर मंजूरी दिए जाने की आपत्ति के अलावा राज्य सरकार द्वारा करीब 6 से 7 साल तक इस पर कोई भी कदम आगे नहीं बढ़ाने की बात कही थी. इतना ही नहीं केंद्र ने राज्य सरकार के इस प्रोजेक्ट पर गंभीर नहीं होने की बात भी कही थी.
हाल ही में ईटीवी भारत ने इस प्रोजेक्ट के कारण रायपुर के आसपास के क्षेत्र में जमीनों के खरीद फरोख्त पर सरकार द्वारा रोक लगाई जाने के कारण लोगों को खासी दिक्कत आने की बात भी प्रकाशित की थी. इसके बाद अब शासन ने इस मामले में परिवेश पोर्टल के माध्यम से एक बार फिर मंजूरी के लिए आवेदन कर दिया है. हालांकि यह आसान प्रक्रिया नहीं है और इसमें मंजूरी मिलने में लंबा वक्त लग सकता है.
राज्य सरकार ने नई विधानसभा प्रोजेक्ट के लिए पूर्व में करीब 59 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की थी जबकि अब नए प्रोजेक्ट में शमशान घाट के क्षेत्र को हटाकर करीब 58 हेक्टेयर भूमि के लिए मंजूरी मांगी है. हालांकि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में सैद्धांतिक सहमति मिलने के बाद एलिफेंट कॉरिडोर और दूसरी औपचारिकताओं के लिए केंद्र को 23.55 करोड़ रुपए भी दे दिए थे.
इस प्रोजेक्ट पर आगे बात न बढ़ने के कारण केंद्र ने दिसंबर 2023 में इस प्रोजेक्ट पर दी गई सैद्धांतिक सहमति को वापस लेते हुए रद्द कर दिया था. इसमें तमाम विभागों को जिम्मेदारी दी गई थी, जिसमें राज्य संपत्ति विभाग को नोडल विभाग बनाते हुए काम को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी. उधर इस मामले में मंजूरी रद्द होने के करीब 1 साल बाद जनवरी 2025 में अब फिर से परिवेश पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया गया है. जिस पर अभी जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद कम है. इस मामले में सचिव राज्य संपत्ति विनोद सुमन मंजूरी के रद्द होने के लिए विभिन्न तकनीकी कारण बताते रहे हैं और मामले में सकारात्मक प्रयास किए जाने की भी बात उन्होंने कही है.
पढ़ें-सरकारी विभागों की लापरवाही से नए विधानसभा भवन प्रोजेक्ट को झटका, केंद्र ने निरस्त किया प्रस्ताव, जानें वजह