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उत्तराखंड कांग्रेस को एक और बड़ा झटका, प्रदेश सचिव गोपाल रावत ने छोड़ी पार्टी, हरीश रावत के हैं करीबी

Gopal Singh Rawat resigns Congress लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले कांग्रेस उत्तराखंड में बिखरती हुई नजर आ रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बड़ी संख्या में पार्टी का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामते हुए दिख रहे हैं. अब हरीश रावत के करीबी गोपाल रावत ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 14, 2024, 10:17 AM IST

देहरादून: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक तरफ जहां बीजेपी अपने कुनबे को बढ़ाने में लगी हुई है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता नाराजगी में पार्टी छोड़ रहे हैं. आज गुरुवार 14 मार्च का कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत के करीबी कहे जाने वाले पूर्व दर्जा मंत्री व उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव गोपाल सिंह रावत ने भी आज पार्टी से पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.

गोपाल सिंह रावत कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी में जाने का मन बना चुके हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विकास कार्यों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी छोड़ने का मन बनाया है. गोपाल सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश लगातार ऊंचाइयों की ओर जा रहा है. बीते काफी समय से वो कांग्रेस की नीति और रीतियों में मतभेद देख रहे हैं, जिसके चलते कांग्रेस आज हाशिए पर पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड लगातार विकास कर रहा है.

गोपाल सिंह रावत ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नीतियों से प्रभावित होकर उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला लिया और अपने पदों से इस्तीफा दिया है. गोपाल सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राम मंदिर का भव्य निर्माण हुआ है और कश्मीर से धारा 370 हटायी गयी है.

बताया जा रहा है कि गोपाल सिंह रावत जल्द ही अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. गोपाल सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी माने जाते हैं और वो कांग्रेस में कई बड़े पदों पर भी रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले जिस तरह के कांग्रेस के बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, ये कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है और बीजेपी कहीं न कहीं चुनाव में इसका फायदा उठाएगी.

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