लखनऊ: पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में निजीकरण की चर्चा के बीच बिजली विभाग के कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करने उतर पड़े हैं. हालांकि उन्होंने बिजली आपूर्ति बाधित नहीं की है, लेकिन सांकेतिक रूप से कार्यालय में काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जता रहे हैं. प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा पूर्वांचल और दक्षिणांचल में जहां निजीकरण की आहट है, वहां पर अभियंता संघ के आह्वान पर काली पट्टी बांधकर कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं.
बिजलीकर्मी बोले- निजीकरण स्वीकार नहीं:बिजलीकर्मियों का कहना है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में निजीकरण की मांग उन्हें स्वीकार नहीं है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर यह सांकेतिक विरोध किया जा रहा है. इसमें 33 हजार सरकारी कर्मचारी और 50 हजार संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मी शामिल हैं. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि निजीकरण का लगातार विरोध हो रहा है. इसके चलते 77 हजार नौकरियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आगरा और ग्रेटर नोएडा के निजीकरण के प्रयोग की समीक्षा किए बिना उत्तर प्रदेश में निजीकरण का कोई अन्य प्रयोग न थोपा जाए. मुख्यमंत्री से अपील की गई है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में किए गए निजीकरण के विफल प्रयोगों की समीक्षा किए बिना प्रदेश में निजीकरण का कोई और प्रयोग न किया जाए.
पहले कर्मचारियों की सलाह ली जाए:अभियंता संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि बिजली के क्षेत्र में सबसे बड़े स्टेक होल्डर उपभोक्ता और कर्मचारी हैं. आम उपभोक्ताओं और कर्मचारियों की सलाह लिए बिना निजीकरण की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं होनी चाहिए. अरबों-खरबों रुपए की बिजली की संपत्तियों को एक कमेटी बनाकर मूल्यांकन करना चाहिए. कमेटी में कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के प्रतिनिधि भी शामिल रहें. निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने प्रांतव्यापी सभाएं कर प्रस्ताव वापस लेने की मांग की है. आज काली पट्टी बांधकर विरोध जताया जा रहा है.