लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीते 7 साल में हुए एनकाउंटर को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. इसमें सुल्तानपुर डकैती कांड के आरोपी मंगेश यादव और माफिया विकास दुबे के एनकाउंटर सबसे चर्चित रहे. एनकाउंटर पर मचे बवाल के बाद अब यूपी पुलिस ने एनकाउंटर की नई गाइडलाइन(एसओपी) जारी कर दी है. बता दें कि यूपी में अब तक हुए एनकाउंटर में 210 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए हैं, जबकि 12 हजार से अधिक घायल हुए हैं.
नई गाइडलाइन के तहत पुलिस के साथ हुए एनकाउंटर में अपराधी की मौत या घायल होने पर घटनास्थल की वीडियोग्राफी करवाना जरूरी होगा. वीडियोग्राफी करने के अलावा मारे गए अपराधी का पैनल पोस्टमार्टम होगा, जिसमे दो डॉक्टर शामिल होंगे. पोस्टमार्टम की भी वीडियोग्राफी की जाएगी. फॉरेंनसिक टीम भी एनकाउंटर वाली जगह पर जाकर निरीक्षण करेगी.
एनकाउंटर को लेकर जारी किए गए दिशा निर्देश पर डीजीपी ने कहा कि, एनकाउंटर जिस थाना क्षेत्र में होगा, वहां की पुलिस इसकी जांच नहीं करेगी, बल्कि इसकी जांच अन्य थाने की पुलिस या फिर क्राइम ब्रांच की टीम करेगी. इसके साथ ही एनकाउंटर में मारे गए अपराधी की मौत होने पर इसकी सूचना तत्काल उसके परिजनों की दी जाए.
दरअसल, बीते कुछ वर्षों में यूपी में हुए एनकाउंटर पर कई बार विपक्षी दलों और कुछ सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं. इसमें सबसे अधिक चर्चा सुल्तानपुर लूट के आरोपी जौनपुर निवासी मंगेश यादव के एनकाउंटर की हुई थी. मंगेश यादव को यूपी एसटीएफ ने 9 सितम्बर को मुठभेड़ में मार गिराया था.
पुलिस के मुताबिक, मंगेश यादव सुल्तानपुर में भरत ज्वेलर्स के यहां हुई लूट में शामिल था. इस एनकाउंटर के बाद जारी हुई यूपी एसटीएफ की फोटो पर विपक्षी दलों द्वारा सवाल उठाए गए थे. तस्वीर में जिन डिप्टी एसपी डीके शाही के नेतृत्व में एनकाउंटर हुआ था, वो चप्पल पहने हुए थे.
इतना ही नहीं मंगेश यादव के परिजनों ने आरोप लगाया था कि मंगेश को पुलिस ने एनकाउंटर के एक दिन पहले ही उठाया था. जिसके बाद यूपी के डीजीपी को खुद सामने आकर इस एनकाउंटर पर सफाई देनी पड़ी थी. इन्हीं विवादों से बचने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग ने नए नियम(Standard Operating Procedure) तय किए हैं. ताकि अधिकारियों-कर्मचारियों की जवाबदेही फिक्स की जा सके.