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यूपी में एनकाउंटर के नए नियम; मुठभेड़ और जांच अब अलग-अलग थानों की पुलिस करेगी, पढ़िए-SOP में क्या क्या?

UP POLICE ENCOUNTER GUIDELINE: एनकाउंटर पर सवाल और राजनीति के बीच पुलिस की कार्यप्रणाली में बड़ा बदलाव किया गया है. फॉरेंसिक टीम मौके से एक-एक सबूत करेगी इकट्ठा, मारे गए अपराधी के परिजनों को सबसे पहले सूचना दी जाएगी

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

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यूपी में पुलिस एनकाउंटर की नई गाइडलाइन जारी. (Photo Credit; ETV Bharat)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बीते 7 साल में हुए एनकाउंटर को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. इसमें सुल्तानपुर डकैती कांड के आरोपी मंगेश यादव और माफिया विकास दुबे के एनकाउंटर सबसे चर्चित रहे. एनकाउंटर पर मचे बवाल के बाद अब यूपी पुलिस ने एनकाउंटर की नई गाइडलाइन(एसओपी) जारी कर दी है. बता दें कि यूपी में अब तक हुए एनकाउंटर में 210 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए हैं, जबकि 12 हजार से अधिक घायल हुए हैं.

नई गाइडलाइन के तहत पुलिस के साथ हुए एनकाउंटर में अपराधी की मौत या घायल होने पर घटनास्थल की वीडियोग्राफी करवाना जरूरी होगा. वीडियोग्राफी करने के अलावा मारे गए अपराधी का पैनल पोस्टमार्टम होगा, जिसमे दो डॉक्टर शामिल होंगे. पोस्टमार्टम की भी वीडियोग्राफी की जाएगी. फॉरेंनसिक टीम भी एनकाउंटर वाली जगह पर जाकर निरीक्षण करेगी.

एनकाउंटर को लेकर जारी किए गए दिशा निर्देश पर डीजीपी ने कहा कि, एनकाउंटर जिस थाना क्षेत्र में होगा, वहां की पुलिस इसकी जांच नहीं करेगी, बल्कि इसकी जांच अन्य थाने की पुलिस या फिर क्राइम ब्रांच की टीम करेगी. इसके साथ ही एनकाउंटर में मारे गए अपराधी की मौत होने पर इसकी सूचना तत्काल उसके परिजनों की दी जाए.

दरअसल, बीते कुछ वर्षों में यूपी में हुए एनकाउंटर पर कई बार विपक्षी दलों और कुछ सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं. इसमें सबसे अधिक चर्चा सुल्तानपुर लूट के आरोपी जौनपुर निवासी मंगेश यादव के एनकाउंटर की हुई थी. मंगेश यादव को यूपी एसटीएफ ने 9 सितम्बर को मुठभेड़ में मार गिराया था.

पुलिस के मुताबिक, मंगेश यादव सुल्तानपुर में भरत ज्वेलर्स के यहां हुई लूट में शामिल था. इस एनकाउंटर के बाद जारी हुई यूपी एसटीएफ की फोटो पर विपक्षी दलों द्वारा सवाल उठाए गए थे. तस्वीर में जिन डिप्टी एसपी डीके शाही के नेतृत्व में एनकाउंटर हुआ था, वो चप्पल पहने हुए थे.

इतना ही नहीं मंगेश यादव के परिजनों ने आरोप लगाया था कि मंगेश को पुलिस ने एनकाउंटर के एक दिन पहले ही उठाया था. जिसके बाद यूपी के डीजीपी को खुद सामने आकर इस एनकाउंटर पर सफाई देनी पड़ी थी. इन्हीं विवादों से बचने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग ने नए नियम(Standard Operating Procedure) तय किए हैं. ताकि अधिकारियों-कर्मचारियों की जवाबदेही फिक्स की जा सके.

यूपी के चर्चित एनकाउंटर

विकास दुबे: योगी सरकार के साढ़े सात साल में सबसे अधिक चर्चा में विकास दुबे का एनकाउंटर रहा. 3 जुलाई 2020 को कानपुर के बिकरू गांव में रेड मारने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे ने अपने गैंग के साथ पुलिस पर फायरिंग की थी जिसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. 9 जुलाई को उज्जैन में विकास दुबे को पकड़ा गया और फिर कानपुर ले जाते समय पुलिस की गाड़ी पलट गई. इसी का फायदा उठाते हुए विकास दुबे भागने लगा. जिस पर वह एनकाउंटर में मारा गया.

असद अहमद: माफिया अतीक अहमद केवजेयर असद का एनकाउंटर भी काफी चर्चा में रहा. प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड में असद फरार था. जिसकी तलाश यूपी एसटीएफ कर रही थी. 13 अप्रैल 2023 को झांसी में स्पेशल टास्क फोर्स ने असद को शूटर गुलाम के साथ एनकाउंटर में ढेर कर दिया था.

गौरी यादव: मध्य प्रदेश और यूपी के लिए सिरदर्द बना गौरी यादव डकैत का भी एनकाउंटर योगी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि थी. 30 अक्टूबर 2021 को यूपी STF ने गौरी को मुठभेड़ में मार गिराया था. उस पर दोनों राज्यों ने साढ़े पांच लाख का इनाम घोषित कर रखा था.

मंगेश यादव:यूपी के सुल्तानपुर में हुई साढ़े तीन करोड़ की डकैती के आरोपी मंगेश यादव को एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया था. विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया की STF ने जाति विशेष को टारगेट करने के लिए मंगेश का एनकाउंटर किया. तब ये बहस भी छिड़ी कि योगीराज में किस जाति के अपराधियों के सबसे अधिक एनकाउंटर हुए.

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