दतिया :जिले के ये तीन शिक्षक अपनी निशुल्क सेवा के लिए मशहूर हैं. इसके लिए वे सरकार या अपने विभाग से अलग से कोई पैसा भी नहीं लेते, बल्कि निशुल्क रूप से नियमित बच्चों की कक्षाएं लेते हैं और स्कूल में अपनी नियमित सेवाएं भी देते हैं. शिक्षक दिवस के अवसर पर हम आपको ऐसे ही शिक्षकों की कहानी बताने जा रहे हैं, जो सेवानिवृति के बाद स्कूलों में पढ़ाने के लिए पहुंच रहे हैं.
13 किमी दूर बच्चों को पढ़ाने जाते हैं रिटायर्ड डीईओ
सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी अनिल तिवारी ऐसे ही आदर्श शिक्षक हैं जो सेवानिवृत होने के बाद भी ग्राम पंचायत परासरी स्थित आदिवासी पुरा के बच्चों को शिक्षित का बीड़ा उठाए हुए हैं. यहां शासन ने प्राइमरी स्कूल बनवाया है और शिक्षक पदस्थ किए हैं लेकिन तिवारी सेवानिवृत्ति के बाद अधिकांश समय बच्चों को शिक्षा देने में गुजारते हैं, उन्हें शिक्षित करते हैं. वैसे उनका विषय अर्थशास्त्र व हिंदी रहा है लेकिन छोटी कक्षा के छात्रों को वे सभी विषय पढ़ाते हैं. वह बच्चों के बीच व गांव में अनिल सर के नाम से फेमस हैं.
सेवानिवृति के 2 साल बाद पढ़ाने जाते हैं परिहार
शिक्षक राघवेंद्र सिंह परिहार बताते हैं कि उन्हें सेवानिवृत हुए दो साल से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन उनका स्कूल के बच्चों से मोह अब तक नहीं छूटा है. वे शासकीय माध्यमिक विद्यालय हाथीखाना में पदस्थ रहे और यहीं से उनकी सेवानिवृति हुई. उनका बच्चों से ऐसा मोह है कि वह प्रतिदिन स्कूल जाते हैं. स्कूल में जिस विषय की भी कक्षा खाली मिलती है वह उसी में जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर देते हैं. फिलहाल इन दिनों वह कक्षा 6वीं में छात्राओं की गणित की कक्षा में पढ़ा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने स्कूल से अलग से कोई भी मानदेय नहीं लिया.