जींद:इसे श्रद्धा कहें या भगवान गणपति की विशेष कृपा, चाहे जो भी हो. एक बार गांधी नगर में दंत चिकित्सालय चलाने वाले डॉ. विवेक सिंगला मुंबई गए और वहां गणपति से इस तरह प्रेम हुआ कि उन्होंने गणपति के स्वरूपों का अनोखा संग्रह करना शुरू कर दिया. इसके बाद तो जहां भी गए, गणेश की मूर्तियां ही ढूंढते रहे. उनके पास अष्टधातु से लेकर, मार्बल पत्थर, लकड़ी, मिट्टी, पीओपी से लेकर हर तरह की मूर्तियां हैं. इन मूर्तियों को अपने क्लीनिक में अलग कमरे में सजा कर रखा है. कोई मूर्ति मात्र दो इंच की है, तो कोई दो फीट की भी है.
ऐसे बन गया वर्ल्ड रिकॉर्ड: डॉ. सिंगला की सालों साल गणपति के प्रति आस्था बढ़ती गई. उनकी भक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास गणपति के 3106 विभिन्न स्वरूपों का संग्रहालय है. 1988 से लगातार डॉ. विवेक सिंगला गणपति के अलग-अलग स्वरूपों का संग्रह कर रहे हैं. वर्ष 2006 में गणपति के अलग-अलग स्वरूप रखने के दम पर उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया.
3106 गणपति का संग्रह:गणेश जी को आपने कितने स्वरूपों में देखा होगा. शिव-पार्वती के साथ या चूहे पर बैठे हुए. डॉ. विवेक सिंगला के पास 3106 गणपति का संग्रह है. सबसे बड़ी बात यह है कि कोई भी गणपति एक-दूसरे से मेल नहीं खाता है. गणेश के इतने रूप एकत्रित करने पर डॉ. विवेक का नाम 2006 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है. गणपति की मूर्तियों को संग्रह करने का किस्सा भी बड़ा रोचक है. वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ. विवेक सिंगला 1988 में मुंबई गए थे. वहां गणेश विसर्जन के दौरान गणपति के कई रूप देखे थे. गणेश पर दिल आ गया और वहीं से मूर्तियां एकत्रित करनी शुरू कर दी.
खाट पर आराम करते हुए गणेश जी:कोई भी व्यक्ति पहली बार अलग-अलग तरह की इतनी मूर्तियों को एक साथ देखता है, तो दांतों तले उंगली दबा लेता है. देश के हर कोने से मूर्तियां लाई गई हैं. डॉ. विवेक सिंगला कहते हैं कि उनकी कोई भी यात्रा ऐसी नहीं रही, जब वह गणेश जी को लेकर नहीं आए हों. करीब 400 गणेश तो उन्होंने खुद भी बनाए हैं. अब गणेश के साथ उनका आंतरिक रिश्ता बन चुका है. मूर्तियां एकत्रित करने का जुनून आखिरी सांस तक चलता रहेगा. उनके पास खाट पर आराम करते गणेश जी की प्रतिमा है, जो शायद ही किसी ने देखी हो.