पटनाःएक बार फिर बिहार में एनडीए की सरकार बन गई है. सीएम नीतीश कुमार सहित 8 मंत्रियों का शपथ ग्रहण हुए चार दिन बीत चुके हैं. अब तक ना तो मंत्रियों के विभाग का बंटवारा हो पाया है और ना ही दूसरे चरण के मंत्रिमंडल का विस्तार हो सका है. मंत्रिमंडल विस्तार नीतीश कुमार के लिए चुटकी का काम माना जाता रहा है लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनौती है.
मंत्रिमंडल का विस्तार आसान नहींः 28 जनवरी को नीतीश कुमार अपने आठ सहयोगी डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और मंत्री प्रेम कुमार, विजय चौधरी, श्रवण कुमार, बिजेंद्र यादव, संतोष मांझी और सुमित सिंह ने शपथ ली. नीतीश कुमार ने कहा था कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. जानकार की माने तो इस बार मंत्रिमंडल का विस्तार आसान नहीं है. भाजपा और जदयू लोकसभा चुनाव को देखते हुए सावधानी से कदम बढ़ाना चाहती हैं.
लव-कुश समीकरण सबसे ऊपरः राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि लव-कुश समीकरण को एनडीए ने सबसे ऊपर रखा है. उसके अगड़ी जाति को तवज्जो दी गई है. दोनों दल जातिगत समीकरण को लेकर मंथन कर रहे हैं. साल 2020 में एनडीए की सरकार ने शपथ ग्रहण के अगले दिन 14 मंत्रियों में विभाग बांट दिया था. 2022 में महागठबंधन सरकार में भी 31 मंत्रियों ने शपथ लिया, जिसमें राजद के 16 जदयू के 11, कांग्रेस के दो और हम के एक मंत्री थे.
"लोकसभा चुनाव को साधने के लिए एनडीए नेता मंथन कर रहे हैं. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट मुश्किल बढ़ा दी है. सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देना और सामंजस्य बिठाना एक चुनौतीपूर्ण काम है. एनडीए नेता किसी वर्ग को नाराज करना नहीं चाहेंगे. शायद इस वजह से मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है."-डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
27 मंत्री और बनाए जाएंगेः डॉक्टर संजय कुमार बताते हैं कि संविधान के मुताबिक मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या राज्य विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं हो सकती है. इस हिसाब से बिहार में कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. 9 मंत्रियों का शपथ ग्रहण हो चुका है. अधिकतम 27 मंत्री और बन सकते हैं. सामान्य तौर पर 30 से 32 मंत्री ही कैबिनेट में शामिल होते हैं.
लव कुश समीकरण लगभग पूराः अब तक जिन जाति के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिली है, उसमें कुर्मी जाति से दो नेताओं को जगह मिली है. बिहार में कुर्मी जाति की आबादी 2.87% है. सीएम नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं. 4.21% कोईरी वोटरों को खुश करने के लिए भाजपा कोटे से सम्राट चौधरी डिप्टी सीएम बन गए हैं. लव कुश समीकरण 7.08% वोट बैंक साधा जा चुका है.
भूमिहार से जीवेश मिश्रा दावेदारः नीतीश कैबिनेट में दो कद्दावर मंत्री भूमिहार जाति से शामिल किए गए हैं. जदयू नेता विजय चौधरी और भाजपा कोटे के उपमुख्यमंत्री विजय सिंह इसी जाति से आते हैं. बिहार में भूमिहार जाति की आबादी 2.86% है. थोड़ा और असर के लिए भाजपा नेता जीवेश मिश्रा को मंत्री मंडल में जगह दी जा सकती है. यानि भूमिहार वोटरों के लिए इतना काफी माना जा सकता है.
राजपूत में कई नेता कर रहे इंतजारः बिहार में राजपूत जाति की आबादी 3.45% है. इसके लिए निर्दलीय विधायक सुमित सिंह मंत्री बनाए गए हैं. राजपूत जाति में कई नेता कतार में हैं, इसमें सबसे ऊपर जदयू नेता लेसी सिंह, जदयू नेता संजय सिंह, भाजपा विधायक नीरज बबलू प्रमुख दावेदार हैं. पिछली सरकार में भी नीरज बबलू मंत्री थे. इसके अलावा भाजपा ने श्रेयशी सिंह को लेकर भी आगे करने की तैयारी में है.