नई दिल्ली: दिवंगत ऐपल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने रविवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर का दौरा किया, लेकिन उन्हें काशी विश्वनाथ शिवलिंग को छूने की अनुमति नहीं दी गई. इस बीच जॉब्स की यात्रा को लेकर आध्यात्मिक नेता स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.साथ ही उन्होंने बताया कि लॉरेन शिवलिंग टच छूने की इजाजत क्यों नहीं दी गई?
स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि कुछ प्रोटोकॉल को बनाए रखना और भारतीय परंपराओं का पालन करना उनका कर्तव्य है. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, "वह बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक हैं. वह हमारी परंपराओं के बारे में जानना चाहती हैं... वह मुझे एक पिता और गुरु के रूप में सम्मान देती हैं... हर कोई उनसे सीख सकता है. भारतीय परंपराओं को दुनिया द्वारा स्वीकार किया जा रहा है..."
मंदिर के सख्त प्रोटोकॉल
मंदिर के सख्त प्रोटोकॉल को लेकर उन्होंने कहा, "कोई विवाद नहीं है (काशी विश्वनाथ मंदिर में उनके दौरे को लेकर). मैं यह बात बहुत स्पष्ट कर देना चाहता हूं. मैं एक आचार्य हूं और परंपराओं और मौलिक सिद्धांतों का पालन करना और आचरण बनाए रखना मेरा काम है. हमारे पूरे परिवार ने अभिषेक किया और पूजा की... उन्हें प्रसाद और माला दी गई, लेकिन एक परंपरा है कि हिंदू के अलावा कोई भी व्यक्ति काशी विश्वनाथ को नहीं छू सकता. अगर मैं इस परंपरा को नहीं निभाऊंगा, तो यह टूट जाएगी..."
लॉरेन जॉब्स को शिवलिंग को छूने की अनुमति क्यों नहीं दी गई?
लॉरेन पॉवेल जॉब्स को काशी विश्वनाथ शिवलिंग को छूने की अनुमति क्यों नहीं दी गई, इस बारे में बात करते हुए आध्यात्मिक नेता स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा, "काशी विश्वनाथ में हमारी भारतीय परंपरा के अनुसार कोई भी अन्य हिंदू शिवलिंग को नहीं छू सकता है. इसलिए उन्हें बाहर से शिवलिंग के दर्शन कराए गए... वह कुंभ में भी रहेंगी और गंगा में डुबकी भी लगाएंगी."
इससे पहले निरंजनी अखाड़े के स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने ऐपल के लॉरेन पॉवेल जॉब्स के साथ शनिवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए. मंदिर के बाहर उन्होंने मीडिया से कहा, "आज हम महादेव से प्रार्थना करने काशी आए हैं कि कुंभ बिना किसी बाधा के संपन्न हो... मैं यहां महादेव को आमंत्रित करने आया हूं." महाराज ने आगे बताया कि लॉरेन पॉवेल जॉब्स मंदिर की परंपराओं का सम्मान करती हैं और गंगा में डुबकी लगाने की योजना बना रही हैं.
12 साल बाद मनाया जा रहा कुंभ
इस बीच, स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज की मौजूदगी में निरंजनी अखाड़े में व्यासानंद गिरि महाराज का पट्टाभिषेक किया गया, जिसमें लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी अनुष्ठान में शामिल हुईं. बता दें कि 12 साल बाद मनाए जा रहे महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. आयोजन के दौरान श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने के लिए गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर एकत्रित होंगे. महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को होगा.
यह भी पढ़ें- महाकुंभ 2025 के लिए भारत आईं स्टीव जॉब्स की पत्नी, संत ने दिया हिंदू नाम