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Rajasthan: जोधपुर की पहचान चांदी के त्रिमूर्ति सिक्कों की देश भर में मांग, धनतेरस पर खरीदारी की है पुरानी परंपरा

समृद्धि की प्रतीक जोधपुरी चांदी के त्रिमूर्ति सिक्कों की देश भर में मांग. धनतेरस पर खरीदारी की है पुरानी परंपरा.

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त्रिमूर्ति सिक्के बने जोधपुर की पहचान (ETV BHARAT JODHPUR)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 5 hours ago

जोधपुर :चांदी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. यही वजह है कि धनतेरस पर हर घर में छोटे बड़े चांदी के सिक्के या फिर चांदी के अन्य आभूषण व सामान खरीदने की परंपरा है. साथ ही उसका मां लक्ष्मी की पूजा में उपयोग किया जाता है. जोधपुर शहर में भी यह परंपरा बहुत पुरानी है. सबसे खास बात यह है कि यहां के बाशिंदें सालों से शहर के टकसाल में बनने वाले सिक्कों को ही खरीदते हैं. यहां के बने सिक्कों में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की तस्वीर के साथ ही ज्ञान की देवी मां सरस्वती भी होती हैं. यही कारण है कि जोधपुर के सिक्कों को त्रिमूर्ति सिक्का भी कहा जाता है.

जोधपुर सर्राफा बाजार इस सिक्के की 99 फीसदी शुद्धता की गारंटी देता है और इसकी मुहर भी सिक्के पर लगी होती है. जोधपुर के अलावा देश भर में जहां भी मारवाड़ी रहते हैं, वहां इन सिक्कों की भारी मांग रहती है और दीपावली व धनतेरस के मौके पर त्रिमूर्ति सिक्कों की खरीदारी की पुरानी परंपरा है. वहीं, इन सिक्कों के निर्माण से जुड़े कमल सोनी बताते हैं कि उनकी टकसाल में सर्राफा बाजार से प्रमाणित मुहर के साथ त्रिमूर्ति सिक्के बनते हैं.

जानें क्यों खास है जोधपुरी त्रिमूर्ति सिक्के (ETV BHARAT JODHPUR)

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बाजार में तेजी, खरीदारी भी बढ़ी :कमल सोनी ने बताया कि इस बार 700 से 750 किलो चांदी के सिक्के बनाए गए हैं. चांदी के भाव बढ़ने के बावजूद बाजार में तेजी है और सिक्कों की अच्छी खरीदारी हो रही है. इस व्यवसाय से जुड़े लोग सिक्के ले जा चुके हैं. मंगलवार को धनतेरस पर बाजार में चांदी का बूम रहेगा. उन्होंने बताया कि तीन सालों में इस बार बाजार में उछाल होने से व्यापार अच्छा होगा.

सौ ग्राम तक के सिक्के और नोट :टकसाल में 2, 5, 10, 20, 50 व 100 ग्राम वजन तक के सिक्का ढाले जाते हैं. इसके अलावा 500 ग्राम और एक किलो के सिक्के के भी ऑर्डर पर बनते हैं. इसी क्रम में नोट आकार में चांदी ढाली जाती है और ये काम नवरात्रि के आगाज के साथ ही शुरू हो जाता है.

मार्का से असली-नकली का फर्क :बाजार में दिवाली पर चांदी के सिक्कों के साथ-साथ चांदी जैसे दिखने वाले मेटल के नकली सिक्के भी धड़ल्ले से बिकते हैं, लेकिन जोधपुर में सर्राफा एसोसिएशन का मार्का ही असली सिक्के की पहचान होता है. इसके चलते लोगों को सही वजन व खरी चांदी के सिक्के मिल पाते हैं.

जानें कैसे बनाते हैं त्रिमूर्ति सिक्के : चांदी का सिक्का बनाने के लिए सबसे पहले चांदी को उच्च ताप पर गलाया जाता है. उसके बाद उन्हें छड़ का रूप देकर मशीन से पतला किया जाता है. फिर सिक्के के वजन के आधार पर कटिंग की जाती है. आखिरकार सिक्के पर अंकित होने वाली त्रिमूर्ति और एसोसिएशन के मार्के को प्रेशर मशीन से लगता है. इसके लिए खास तरह की डाई का इस्तेमाल किया जाता है.

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