बगहा: महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में थरुहट की राजधानी कहे जाने वाले हरनाटांड़ में चार दिवसीय थारू महोत्सवका आयोजन किया गया है. हरनाटांड़ स्थित प्लस टू उच्च विद्यालय के खेल मैदान में लगने वाले थारू जनजाति मेले का उद्घाटन धूमधाम से आदिवासी संस्कृति और लोक परंपराओं के साथ किया गया. जिसमें झुमटा और झूमर लोकनृत्य का प्रदर्शन कर आदिवासी महिलाओं ने सबको मोह लिया.
बगहा में थारू महोत्सव:सदियों से थारू समाज के लोग महाशिवरात्रि पर्व के दिन मेला का आयोजन हो रहा है. आयोजन समिति की सदस्य मीता देवी ने बताया कि उनकी मान्यता है कि इस मेले के आयोजन से नाते-रिश्तेदारों से मिलने के परम्परा का निर्वाह होता है. आज के समय में हमारे संस्कृति में दिन-प्रतिदिन बदलाव हो रहा है. लेकिन थारू समुदाय इसे संजोए रखा है. वह निश्चित ही प्रशंसनीय और सराहनीय है.
'रिश्तेदारों से करते हैं मेल-मिलाप: उन्होंंने कहा कि, ''हरनाटांड़ में पहले इसको भुजहवा मेला के नाम से जाना जाता था.जहां आदिवासी समाज के लोग अनंदी का भुजा और आलू या बैगन का चोखा लेकर आते थे और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के बाद इसी को खाते थे और आदिवासी समाज के लोग नाते-रिश्तेदारों से मुलाकात करते हैं.''
1996 में मेला लगने की हुई थी शुरुआत :उन्होंने कहा कि यह मेला थारू समाज के नाते-रिश्तेदारों से मिलने मिलाने का एक बहाना भी होता है. पहले यह मेला 10 दिनों तक लगता था, लेकिन 1996 के बाद इस मेला का नाम भुजहवा मेला से बदलकर थारू महोत्सव मेला कर दिया गया और लॉ एंड आर्डर को देखते हुए धीरे-धीरे सात दिनों का लगने लगा. अब कुछ सालों से इस मेला का आयोजन चार दिवसीय होता है.