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ट्रांसफर पॉलिसी पर शिक्षक संघ को आपत्ति, दोहरी नीति अपनाने का लगाया आरोप

शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी पर बिहार सरकार ने मुहर लगा दी है. हालांकि इसको लेकर अब विवाद भी शुरू हो गया है. जानें क्या है मामला.

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 4 hours ago

अमित विक्रम
अमित विक्रम (Etv Bharat)

पटना :शिक्षा विभाग ने आज नई शिक्षक स्थानांतरण एवं पदस्थापना नीति लागू कर दिया है. शिक्षकों की ओर से स्थानांतरण नीति की लंबे समय से मांग की जा रही थी. लेकिन स्थानांतरण नीति लागू होने के बावजूद इस नीति पर शिक्षक संगठनों ने आपत्ति दर्ज करानी शुरू कर दी है. बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ ने ट्रांसफर पॉलिसी लाने के लिए सरकार के पहल का स्वागत किया है, लेकिन ट्रांसफर पॉलिसी के प्रावधानों पर आपत्ति भी दर्ज कराई है. उन्होंने सरकार से इन आपत्तियों को जल्द दूर करने की मांग की है.

''सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि ट्रांसफर नियमावली के अनुसार पुरुष शिक्षकों की गृह अनुमंडल में पोस्टिंग नहीं होगी. कई जिलों में एक ही अनुमंडल है. ऐसे में वहां क्या होगा और यह बाध्यता पुरुष शिक्षकों के साथ ही क्यों? शिक्षिकाओं के लिए गृह पंचायत में पोस्टिंग नहीं होने की बाध्यता है और यही नियम पुरुषों के लिए भी होना चाहिए. यहां नियमावली में शिक्षकों के प्रति सरकार का दोहरा रवैया दिख रहा है.''- अमित विक्रम, अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ

अमित विक्रम (Etv Bharat)

'महिला शिक्षकों को होगी परेशानी' :अमित विक्रम ने कहा कि नियमावली के अनुसार किसी भी शिक्षिका की पोस्टिंग उसके गृह नगर निकाय या वर्तमान नगर निकाय में भी नहीं होगी. यह शहरी क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं पर बहुत बड़ा जुल्म है. उन्होंने कहा कि आखिर शहरी क्षेत्र के महिलाओं की पोस्टिंग सुदूर गांव में क्यों होगी. अपने गृह नगर निकाय में उनकी पोस्टिंग से आखिर दिक्कत क्या है, यह सरकार को बतानी चाहिए.

''नियमावली के अनुसार असाध्य रोगों से ग्रसित एवं दिव्यांग शिक्षकों को भी अपने गृह पंचायत या नगर निकाय में नहीं पोस्टिंग मिलेगी. ऐसे में ये कैसा नियम है. इन दोनों समूह वर्गों के शिक्षकों को तो अपने घर के सबसे नजदीक विद्यालय में पोस्टिंग मिलनी चाहिए चाहे वो उनका गृह पंचायत हो या नगर निकाय.''- अमित विक्रम, अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ

5 साल में जबरन ट्रांसफर का है विरोध :अमित विक्रम ने कहा कि इस नियमावली में सबसे खराब प्रावधान है हर 5 साल में जबरन ट्रांसफर. यह समझ में नहीं आ रहा है. आज तक पूरे इतिहास में कभी शिक्षकों के लिए जबरन ट्रांसफर का प्रावधान नहीं रहा है. फिर इस बार ऐसा क्यों? उन्होंने कहा कि क्या हर 5 साल में सरकार ट्रांसफर के माध्यम से अवैध कमाई करना चाहती है.

''इस नियमावली से सबसे ज्यादा फायदा यूपी/झारखंड वाले शिक्षकों को है. उन पर गृह नगर निकाय या अनुमंडल वाला नियम लागू ही नहीं होगा और उन्हें आराम से शहरी क्षेत्रों में पोस्टिंग मिल जाएगी. बिहार की महिलाएं गांवों में और बाहर की महिलाएं शहरों में. ये दोहरी नीति शिक्षकों को स्वीकार नहीं है.''- अमित विक्रम, अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ

'जरूरत पड़ने पर नियमावली के खिलाफ जाएंगे हाईकोर्ट' :अमित विक्रम का कहना है कि सरकार ने बिना शिक्षक संघों से सुझाव लिए या उनसे बिना वार्ता किए जो नई स्थानांतरण एवं प्रतिस्थापन नीति तैयार की है, जिसमें व्यापक अनियमितताएं एवं भेदभावपूर्ण प्रावधान हैं. सरकार द्वारा जारी की गई उक्त नीति पर अभी भी शिक्षक संघों के साथ बैठक करने की जरूरत है ताकि आवश्यक बदलाव किए जा सकें. अन्यथा की स्थिति में मामला हाईकोर्ट जाएगा और ट्रांसफर पॉलिसी लागू नहीं हो पाएगी.

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