आगरा : प्राचीन काल से देश और दुनिया में अपनी विविधता के साथ ही वैभवशाली इतिहास के लिए आगरा प्रख्यात रहा है. आज भी आगरा में बुद्ध, जैन, सूफी, राजपूत, मुगल, ब्रिटिश की एक झलक दिखती है. शहर की विरासत और वैभवशाली इतिहास के तमाम साक्ष्यों से अब आमजन और नौनिहाल रूबरू नहीं हो सकेंगे. जी हां, हम बात रहे हैं पालीवाल पार्क स्थित ताज सिटी म्यूनिसिपल म्यूजियम की है. इस पर नगर निगम ने ताला लगा दिया है. यह चौंकाने वाला खुलासा आगरा नगर निगम की ओर से आरटीआई में जानकारी में हुआ है. जबकि, ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में 11वीं शताब्दी के देवालय द्वार के एक टुकड़े, 15वीं शताब्दी की लाल पत्थर से निर्मित देवी प्रतिमा, आजादी के आंदोलन, ब्रिटिश हुकूमत से जुड़े अनगिनत साक्ष्यों की श्रृंखला, ताजमहल को सातवें अजूबे में शुमार किए गए जाने वाला ताम्रपत्र भी म्यूजियम में रखा है. इस बारे में आगरा के वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' कहते हैं कि, नगर निगम का ये कदम सही नहीं है. इससे जनता और युवा पीढ़ी अपनी विरासत के बारे में नहीं जान सकेंगे.
बता दें कि, शहर के बीचों बीच ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम है. जिसमें न सिर्फ दशकों, बल्कि सदियों और हजार साल पुराने अवशेष और मूर्तियां रखी हैं. यहां पर आगरा प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने जिस चरखे से सूत काता था, वो भी यहां पर रखा है. आगरा की जनता की लंबे समय से चल रही म्यूजियम की मांग पर सन् 2007-2008 में इसकी स्थापना की नींव रखी गई थी. 12 मार्च 2011 में ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम का तत्कालीन नगर विकास मंत्री नकुल दुबे ने उद्घाटन किया था. तब करीब 30 लाख रुपये की लागत में ये म्यूजियम बनकर तैयार हुआ था.
आरटीआई में मिली जानकारी :आवास विकास कॉलोनी की नारायण विहार निवासी सुधारानी ने सूचना के अधिकार के ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम को लेकर नगर निगम से तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी. उन्होंने बताया कि, नगर निगम की जनसूचना अधिकारी व संयुक्त नगर आयुक्त ने जानकारी दी कि, ताज सिटी म्युनिसिपल म्यूजियम में किसी इतिहास के विशेषज्ञ की नियुक्त नहीं की गई है. इसके साथ ही अब आमजन के लिए ये म्यूजियम बंद है. ऐसे में कैसे इस म्यूजियम में मौजूद अभिलेख और पुरातत्व महत्व की देखभाल के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. इसलिए, इस सूचना को लेकर वरिष्ठ अधिकारी को अपील करूंगी.