जयपुर. राजस्थान शिक्षा महकमे ने सूर्य सप्तमी के दिन स्कूलों में 10:30 बजे से 11:00 तक एक साथ सूर्य नमस्कार करने की अपील की है, इसे लेकर शिक्षा मंत्री ने ना सिर्फ स्कूली छात्रों और स्टाफ से बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़े लोगों से भी सूर्य नमस्कार करने का आग्रह किया है. हालांकि अल्पसंख्यक संगठन जमीयत उलेमा राजस्थान ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि सूर्य नमस्कार को वो किसी भी सूरत में कबूल नहीं करेंगे. इस आदेश के खिलाफ जमीयत-ए-उलेमा राजस्थान ने हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है. साथ ही सूर्य नमस्कार के आयोजन का बहिष्कार करने का फैसला लेते हुए, मस्जिद, मदरसों में इसका बहिष्कार और मुस्लिम समुदाय से अपने बच्चों को 15 फरवरी को स्कूल नहीं भेजना की अपील की है.
जमीयत उलेमा राजस्थान के महासचिव अब्दुल वाहिद खत्री का कहना है कि बहुसंख्यक हिन्दू समाज में सूर्य की देवता के रूप में पूजा की जाती है. इस अभ्यास में बोले जाने वाले श्लोक और प्रणाम आसन, अष्टांगा नमस्कार जैसी क्रियाएं एक पूजा का रूप हैं और इस्लाम धर्म में अल्लाह के सिवाय किसी अन्य की पूजा अस्वीकार्य है, इसे किसी भी रूप या स्थिति में स्वीकार करना मुस्लिम समुदाय के लिए सम्भव नहीं है.
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हम सब भारत माता के पुत्र हैं :वहीं, सूर्य नमस्कार आयोजन को लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि सूर्य सप्तमी पर सूर्य नमस्कार करने की उनकी अपील को समाज के प्रबुद्ध लोगों ने स्वीकार किया है. स्कूली विद्यार्थियों ने भी स्वीकार किया है. विद्यालयों में बीते 10 दिन से इसका अभ्यास किया जा रहा है. आशा है कि 15 फरवरी को जब सूर्य सप्तमी मनाएंगे, यानी सूर्य भगवान की आराधना करेंगे तो राजस्थान में एक साथ करोड़ों की संख्या में सूर्य नमस्कार होंगे और इसका वर्ल्ड रिकॉर्ड बनेगा. जमीयत उलेमा राजस्थान की ओर से सूर्य नमस्कार के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर किए जाने पर मदन दिलावर ने कहा कि हम सब भारत माता के पुत्र हैं, उसमें ना कोई बहुसंख्यक है ना अल्पसंख्यक. हम सबको भारतीय मानते हैं और सब भारतीयों से आग्रह है कि हम सूर्य भगवान से प्रकाश लेते हैं, प्रकाशमान होते हैं, उनकी किरणों से हम स्वस्थ रहते हैं, तो उनकी आराधना तो करनी ही चाहिए. इसलिए यह निर्देश दिए हैं कि सब एक साथ सूर्य नमस्कार करेंगे.
मूर्ति पूजा नहीं करने वाले भी हिंदू हैं :मदन दिलावर ने कहा कि विद्यार्थी का धर्म होता है अच्छा पढ़ना, शिक्षक का धर्म होता अच्छा पढ़ाना, किसान का धर्म होता है अधिक उत्पादन करना, उद्योगपति का धर्म होता है अच्छा क्वालिटी का सामान लोगों को उपलब्ध कराना, यही धार्मिक होता है. सिर्फ पूजा पद्धति धर्म नहीं होती. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री के तौर पर तो वो कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर उनका मानना है कि वो खुद हिंदू हैं. मूर्ति पूजा करने वाले भी हिंदू हैं, मूर्ति पूजा नहीं करने वाले भी हिंदू हैं. चोटी रखने वाले भी हिंदू है, चोटी नहीं रखने वाले भी हिंदू हैं. ऐसा नहीं है कि किसी ने पूजा पाठ नहीं की तो उसको हिंदू नहीं मानते. हिंदू जीवन जीने की एक शैली है, एक पद्धति है, इसलिए यहां रहने वाले सभी लोग भारतीय हैं. जब भारत माता किसी में भेद नहीं करती तो उनके पुत्र इसमें भेद क्यों करें और यदि फिर भी किसी के मन में कोई विकार है, तो उसका उनके पास कोई इलाज नहीं है.
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सूर्य नमस्कार धार्मिक नहीं :मदन दिलावर ने कहा कि कोर्ट में क्या याचिका लगी है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है, लेकिन उनका मानना है कि सूर्य नमस्कार धार्मिक नहीं है. विश्व के कई देशों ने इसे स्वीकार किया है, और इसलिए 21 जून को योग दिवस होता है. सूर्य नमस्कार एक तरह से सर्वांग योग है, जिसमें सारे योग समा जाते हैं. इसलिए वो ये ही मानते कि कोर्ट ये नहीं कहेगा कि किसी को छूट दे रहे हैं, किसी को नहीं दे रहे. कोर्ट यही कहेगा कि जिसको करना हो करें, लेकिन विद्यालयों में आने के बाद जो शिक्षा विभाग के निर्देश हैं, उनको तो सूर्य नमस्कार करना ही पड़ेगा. यदि कोई कहे कि वो नहीं आना चाहते तो 100% छात्रों की उपस्थिति तो नियमित रहती भी नहीं है. कोई बीमार हो जाता है, किसी को आवश्यक कार्य आ जाता है. जो अस्वस्थ हैं, जिसके घर में कोई परेशानी हो गई है, कोई गमी हो गई है, किसी का एक्सीडेंट हो गया है, तो वो कैसे आएंगे. ये सामान्य बात है, लेकिन स्कूल में जो भी अध्यापक, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं हैं उनको तो योग करना ही चाहिए. ये सूर्य भगवान ही हैं जो हमें निरोगी रखते हैं. बहरहाल, राजस्थान के स्कूलों में सूर्य नमस्कार आयोजन फिलहाल कानूनी पचड़े में पड़ गया है। अब इस मामले में 14 फरवरी को सुनवाई होगी। और कोर्ट इस पर क्या फैसला लेता है ये भविष्य के गर्भ में छिपा है.