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बचपन में छिन गया पिता का साया, मां की छांव में पला बेटा करेगा देश सेवा तो बेटी करेगी ऑर्डर-ऑर्डर - SUCCESS STORY

Success Story Two Brother Sister: पिता की मौत के बाद मां की छांव में पले बढ़े शिवांगी और शिवम किसी पहचान के मोहताज नहीं है.

Success Story Of Shivani And Shivam
नाना, मां और बहन के साथ लेफ्टिनेंट शिवम (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 16 hours ago

गया: मेहनत रंग लाती है..इसका उदाहरण बिहार के गया के दो भाई-बहन हैं. बचपन में सिर से पिता साया छिन गया. मां ससुराल छोड़ मायके में रही. पहले खुद पढ़कर मानदेय पर नौकरी की और फिर बेटा-बेटी को पढ़ाया. आज मां की तपस्या और दोनों भाई-बहन की मेहनत की चर्चा खूब हो रही है. शिवांगी और शिवम किसी पहचान के मोहतास नहीं हैं.

मां, बेटा-बेटी की सक्सेस: आज सक्सेस स्टोरी में हम एक मां और भाई बहन के बारे में बात करेंगे जो विपरित परिस्थिति में हार नहीं माने. दोनों भाई बहन में एक देश की सेवा करेगा तो बहन ऊंची कुर्सी पर बैठकर फैसला सुनाएगी. जी हां. शिवांगी का चयन बिहार न्यायिक सेवा और शिवम का चयन आर्मी में लेफ्टिनेंट के लिए हुआ. आज मां का सपना पूरा हो गया.

शिवांगी शिवम के परिजन से बातचीत (ETV Bharat)

2009 में पिता का निधन कहानी की शुरुआत 2009 से करते हैं. इसी साल जिले के परैया थाना क्षेत्र के राजाहरि गांव निवासी मनोज कुमार, पेशे से वकील का निधन कैंसर के कारण हो गया. उस वक्त शिवांगी 10 साल और शिवम मात्र 6 साल के थे. दोनों के सिर से पिता का साया उठ गया. पत्नी स्वेता चौधरी के ऊपर खुद की और दोनों बेटे-बेटी की जिम्मेदारी आ गयी थी.

"साल 2009 में पति का निधन कैंसर के कारण हुआ था. तब से दोनों बेटे-बेटी का लालन पालन किया. इसमें पिता का काफी योगदान रहा. उन्होंने अपने यहां रखा."-स्वेता चौधरी, शिवांगी और शिवम की मां

विपरित समय में पिता का साथ गया जिले में ही मानपुर के लक्खीबाग में स्वेता चौझरी का मायका है. पति के निधन के बाद स्वेता काफी टूट चुकी थी. तीनों के रहन सहन में काफी परेशानी होती थी. दोनों की पढ़ाई लिखाई का भी जिम्मा स्वेता चौधरी के ऊपर थी. एक पिता से ये सब नहीं देखा गया और वे अपनी बेटी (स्वेता चौधरी) और नाती-नतिनी को अपने घर ले गए और परवरिश दी.

पढ़ाई को नहीं मिली तवज्जो स्वेता चौधरी बताती हैं कि जिस वक्त उनकी शादी हुई थी वे ग्रेजुएट पास थी. लेकिन शादी के बाद हाउस वाइफ बन गयी. ससुराल में पढ़ाई को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली. शादी के बाद बेटी शिवांगी और फिर बेटा शिवम हुआ. दोनों की परवरिश कर रही थी. इसी बीच दुखद घटना हुई. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि भगवान उनके साथ क्या कर रहे हैं?

पासिंग आउट परेड में पहुंचे शिवम के घर वाले. (ETV Bharat)

शिक्षक बनने में कामयाब नहीं हुई स्वेता बताती हैं कि पति के निधन के कुछ दिनों के बाद पिता के कहने पर अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की. मगध विश्विद्यालय से एमए और बीएड की पढ़ाई की. मन में शिक्षक बनने की इच्छा थी लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद कृषि विभाग में मानदेय पर काम की. वर्तमान में कृषि विभाग में सामाजिक उत्प्रेरक के पद पर हैं.

"शादी के बाद ससुराल में पढ़ाई को उतना महत्व नहीं मिली. मैं घर संभालने लगी लेकिन पति के निधन के बाद एहसास हुआ कि पढ़ाई कर नौकरी करूंगी और बच्चों को पढ़ाऊंगी. शिक्षक बनने का सपना था लेकिन कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद कृषि विभाग में काम की." ."-स्वेता चौधरी, शिवांगी और शिवम की मां

एक समय भगवान से उठा विश्वास: स्वेता बताती हैं कि उनकी नौकरी मेडिकल कॉलेज में काउंसलर के तौर पर हुई थी. मुंबई में कैंसर अस्पताल में काम करती थी, लेकिन वहां का हालात देखकर मन काफी खराब हो गया था. भगवान पर से विश्वास उठ गया था. पूरे अस्पताल में कैंसर मरीज को देखकर घबराहट होती थी. उसके बाद वहां की नौकरी छोड़ दी और कृषि विभाग में कांट्रैक्ट पर काम शुरू किया. इसी के बदौलत बेटा-बेटी की परवरिश की.

शिवांगी और शिवम के बचपन की तस्वीर (ETV Bharat)

बेटा-बेटी को इंजीनियर बनाना था विपरित परिस्थिति को हथियार बनाने वाली खुद ही नहीं बल्कि अपने दोनों बेटे-बेटी को भी कुछ बनाना चाहती थी. स्वेता चौधरी की इच्छा थी कि दोनों भाई बहन शिवांगी और शिवम इंजनीयिर बने लेकिन दोनों भाई बहन को पता था कि वे लोग नाना नानी के यहां रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. मां की आर्थिक स्थिति उतनी बेहतर नहीं थी कि इंजनीयिर बन पाते. इसलिए दोनों ने अलग-अलग रास्ता चलना शुरू किए.

शिवांगी बनीं जज: शिवांगी इंटरमीडिएट करने के बाद हिंदू यूनिवर्सिटी से 5 वर्षीय बीए एलएलबी, 2 वर्षीय एलएलएम की पढ़ाई पूरी कर ज्यूडिशल सर्विस की तैयारी की. इसी साल 2024 में 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में 11वीं रैंक हासिल की. अब जज बनकर अपना फैसला सुनाएगी.

शिवम बना लेफ्टिनेंट शिवम आनंद इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई गया शहर के नजरत स्कूल से की. 2020 में 12वीं की परीक्षा पास करने के साथ साथ एनडीए में चयन हो गया. 3 साल तक खड़कवासला पुणे में रहकर पास आउट किया फिर आईएम देहरादून में 1 साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद 14 दिसंबर को पास आउट होकर लेफ्टिनेंट बने.

माता-पिता के साथ स्वेता चौधरी (ETV Bharat)

गौरव महसूस कर रहे नाना: भाई बहन ही नहीं बल्कि मां-बेटा-बेटी तीनों की सफलता है. तीनों की मेहनत को याद कर स्वेता चौधरी के पिता महेश चौधरी भावुक हो जाते हैं. कहते हैं कि बेटी नौकरी करते हुए दोनों भाई-बहन की पढ़ाई में पूरी ताकत लगा दी. दोनों बचपन में पढ़ने में काफी अच्छे थे. हमलोग चाहते थे कि दोनों इंजीनियर बने लेकिन दोनों अलग-अलग रास्ता चलकर कामयाबी हासिल की. आज नाना काफी गौरवांवित महसूस कर रहे हैं. शिवम की नानी कहती हैं कि अब वे जज और सेना अधिकारी की नानी कहलाएंगी.

"दोनों भाई बहन बचपन से पढ़ने में अच्छे थे. हमलोगों की इच्छा थी कि इंजनीयिर बने लेकिन शिवांगी और शिवम जानते थे कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए वे लोग अलग रास्ता चुने. शिवम का बचपन से देश सेवा करने का जज्बा था. आज एक जज को दूसरा लेफ्टिनेंट है."-शिवांगी-शिवम के नाना

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