पटना: बिहार की इस बेटी की उपलब्धि पर बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश को गर्व है. पटना के अंबेडकर पथ इलाके की रहने वाली 25 वर्षीय चेतना प्रिया ने अमेरिका के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पीएचडी करने का मौका हासिल किया है. यह उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि पीएचडी एंट्रेंस में कई चरण की लिखित और इंटरव्यू राउंड पार करने के बाद फुल स्कॉलरशिप से पीएचडी करने का उन्होंने मौका हासिल किया है.
पिता एडवोकेट और माता शिक्षिका: चेतना प्रिया यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया में एजुकेशन एंड ह्यूमन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में दाखिला लेने वाली इकलौती भारतीय छात्रा हैं. चेतना प्रिया ने बताया कि वह मूल रूप से मधुबनी जिले की रहने वाली है लेकिन बचपन से उनकी पढ़ाई पटना में हुई है. उनके पिता आलोक कुमार इनकम टैक्स में एडवोकेट हैं और उनकी माता पुष्पा रॉय पटना के नेट्रोडम स्कूल में शिक्षिका हैं. उन्होंने बताया कि उनकी उपलब्धि का पूरा श्रेय उनकी मां और परिवार को जाता है.
मां ने किया पढ़ाई के लिए प्रेरित:चेतनाकी मां ने उन्हें हमेशा उस समाज में उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया जहां लोगों में शिक्षा का मतलब सरकारी नौकरी ही मुख्य लक्ष्य माना जाता है. पढ़ाई में अच्छे होने के बावजूद उनकी मां अक्सर उन्हें डांटती रहती है, ताकि वह सही रास्ते पर ही चलें. पढ़ाई को लेकर अक्सर वह गाइड करती हैं.
बचपन से रही है मेधावी: चेतना ने बताया कि उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा पटना से ही पूरी की है और 10वीं-12वीं में 95% से ऊपर अंक हासिल किए हैं. इन अंकों के वजह से दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलने में आसानी रही. यहां उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से मास्टर्स की और फिर एनसीईआरटी कैंपस के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लैनिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन यानी एनआईईपीए से उन्होंने एमफिल की.
पटना यूनिवर्सिटी पर पहला प्रोजेक्ट: कई बार उन्होंने इंटर्नशिप के दौरान यह ऑब्जर्व किया की पॉलिटिक्स और एजुकेशन सिस्टम काफी जुड़े हुए हैं. यह जाना की कई बार पॉलिटिक्स के बदलने से एजुकेशन भी बदलता है. चेतना प्रिया ने बताया कि एमफिल में उन्होंने जो अपने बिब्लियो का पहला प्रेजेंटेशन लिखा वह उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी पर लिखा. इसके लिए उन्होंने रिसर्च वर्क किया और पटना विश्वविद्यालय के प्रशासकीय लोगों से बातें की. यह रिसर्च अभी पब्लिश नहीं हुआ है लेकिन उन्होंने विश्वविद्यालय के अतीत और वर्तमान को प्रोफेसर्स से समझा.