लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुभाष चंद्र यादव ने शनिवार को पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पार्टी के प्राथमिक सदस्य से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश को भेज दिया. उन्होंने इस्तीफा देने के बाद पार्टी के नेतृत्व पर सवालिया निशान खड़े किए हैं.
Subhashpa national spokesperson Subhash Chandra Yadav resigned from his post IN UP (Subhashpa national spokesperson Subhash Chandra Yadav resigned from his post IN UP) सुभाष चंद्र यादव ने कहा कि राष्ट्रीय प्रवक्ता पद पर रहते हुए उन्होंने पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से पूरे देश के सामने रखा, लेकिन पिछले कुछ समय से पार्टी के स्टैंड से वो असहज महसूस कर रहे थे. पार्टी मुझे समाजवादी पार्टी के बहाने सिर्फ और सिर्फ यादवों को निशाना बनाने का काम करती है. पहले उन्होंने यादव समाज पर कई बार अपमानजनक टिप्पणी की, परंतु वह उस समय केवल अपमान का घूट पीकर पार्टी में बना रहा. पार्टी का विभिन्न जगहों पर मजबूती से बचाव भी किया.उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता अरुण राजभर ने मुझे फोन करके घोसी लोकसभा क्षेत्र में जाकर पार्टी का प्रचार करने को कहा था. घोसी लोकसभा में मैं प्रचार करने के लिए पहुंचा और मऊ जिला मऊ सदर विधानसभा अध्यक्ष से संपर्क किया, परंतु इन लोगों ने मुझसे बहुत गलत व्यवहार किया. मैं तब भी पार्टी के हित में यहां अपमानित होने के बावजूद भी रुक रहा, जिसकी जानकारी मैं अरुण राजभर और उनके साथ रहने वाले हीरा पासवान को भी दी थी, लेकिन अरुण राजभर ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया.
मैंने धैर्य रखते हुए अपमान का घूंट पी लिया. पार्टी के समर्पित होकर एक आम कार्यकर्ता की तरह मऊ में प्रचार करता रहा. मेरे पास साधन न होने के बावजूद पैदल चलकर पोस्टर और हैंडबिल बांट रहा था. कई बार मैंने अरुण राजभर को और प्रदेश अध्यक्ष को इस बारे में जानकारी दी, लेकिन उन्होंने कोई महत्व नहीं दिया, क्योंकि मैं राजभर जाति से नहीं बल्कि यादव जाति से हूं.
उन्होंने कहा कि सबसे अधिक पीड़ा मुझे, उसे वक्त हुई, जब मेरे 19 वर्षीय भतीजे का सड़क हादसे में मौत हो गई थी, जिसकी जानकारी मैंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को देते हुए कहा कि जब स्थिति सामान्य हो जाएगी, तो मैं वापस आ जाऊंगा, लेकिन इस दुख की घड़ी में पार्टी ने फोन करके मुझे सांत्वना देना भी जरूरी नहीं समझा. इसी सब से आहत होकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से मैं अपना इस्तीफा दिया हूं.