देहरादून (किरणकांत शर्मा):हरिद्वार में हुई एक फेयरवेल पार्टी छात्रों की भीड़, उत्साह, इमोशन और स्कूल छोड़ने की यादों की वजह से चर्चा में नहीं है, बल्कि इस फेयरवेल पार्टी के बहाने जिस तरह से सड़कों पर आतंक मचाया गया उससे लोग सहम गए. छोटे-छोटे बच्चों ने हथियार लहराए और सड़क जाम की. उसके बाद यह पार्टी अब पूरे उत्तराखंड में हर किसी की जुबान पर है. लोग हैरान हैं कि भला स्कूली बच्चे फेयरवेल के नाम पर ये क्या कर रहे हैं.
हु़ड़दंग ने किया हैरान:हरिद्वार के नामी स्कूल के 12वीं के छात्रों ने स्कूल में नहीं, बल्कि फाइव स्टार होटल में अपनी फेयरवेल पार्टी रखी. अभी तक 12वीं के छात्रों की यह पार्टी शायद स्कूल के कैंपस में ही होती आई है. लेकिन स्कूल से अलग होटल में न केवल पार्टी हुई, बल्कि 200 से ज्यादा छात्र इस पार्टी में पहुंचे. वहां पर छात्रों ने अपनी उम्र की सीमा को लांघते हुए वह हर काम किया जो शायद अब तक ना किसी ने देखा और ना किसी ने सुना. छात्रों ने होटल में खाना पीना खाया. फिर एक दो नहीं बल्कि 50 से ज्यादा गाड़ियों का काफिला होटल से लेकर शहर के मुख्य मार्ग तक निकला.
काफिला लग्जरी गाड़ियों का इस कदर था कि उस काफिले को देखने वाले लोग भी हैरान थे कि भला कैसे छोटे-छोटे छात्र गाड़ियों के ऊपर खड़े होकर अपनी जान को जोखिम में क्यों डाल रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि ये छात्र यह सब उस जगह पर कर रहे थे जो हरिद्वार की सबसे ज्यादा सुरक्षित जगह मानी जाती है. भेल और पुलिस मुख्यालय के नजदीक सड़कों पर यह पूरा का पूरा काफिला निकला.
आचार संहिता में खुलकर हथियार कैसे लहरा रहे थे छात्र: हैरानी की बात तो तब होती है जब यह छात्र BHEL के स्टेडियम के सामने अपनी गाड़ियों को लगाते हैं और एक 12वीं में पढ़ने वाला छात्र रिवॉल्वर निकाल कर फायरिंग करता है. जबकि हरिद्वार सहित पूरे उत्तराखंड में आचार संहिता लगी हुई है. सवाल ये है कि ये कौन से परिवारों के बच्चे हैं, जिन्होंने अपने हथियारों को चुनाव के दौरान जमा नहीं करवाया और छात्र घर से इन हथियारों को फेयरवेल पार्टी तक लेकर आ गए. ऐसे में इस बात की गंभीरता को भी समझा जा सकता है कि इस तरह की पार्टी में अगर कुछ भी हालत बिगड़ते तो यह हथियार किस तरह से इस्तेमाल किये जा सकते थे.
स्कूल प्रशासन की प्रतिक्रिया:इस मामले में जब स्कूल प्रशासन से जब बात की गई तो उनकी ओर से कहा गया कि, 'हम छात्रों के परिजनों को एक महीने से लगातार ये बात कह रहे थे कि वो अपने बच्चों से कहें कि बाहर किसी भी तरह की फेयरवेल पार्टी में शामिल न हों. ऐसी पार्टी में बच्चे हुड़दंग कर सकते हैं और कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. इससे स्कूल का नाम भी खराब होगा और छात्र के ऊपर भी बात आएगी. हमने सभी बच्चों और परिजनों से ये भी कहा था कि जिस तरह छात्रों का एक तबका कुछ गलत प्रवृत्ति के बच्चों को फॉलो कर रहा है वो बिल्कुल सही नहीं है. हमारे स्कूल में कई तरह की अच्छी परंपराएं भी निभाई जा रही हैं.'
क्या कहते हैं पूर्व छात्र:इस विषय पर ईटीवी भारत की टीम ने कुछ लोगों से बात की, जो हरिद्वार के ही हैं. इनमें 1988 बैच के पास आउट स्टूडेंट रहे विकास गोयल कहते हैं, 'मैंने जब इन तस्वीरों को देखा कि किस तरह से बच्चे हुड़दंग कर रहे हैं. मुझे बड़ा दुख हुआ क्योंकि जब हमारी फेयरवेल पार्टी हुई थी, तब माहौल क्या था हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते. हम बाकायदा एक बेहतर ड्रेस में आए थे. लड़कियां और लड़के इस बात को समझ रहे थे कि अब हम दोबारा जल्द नहीं मिलेंगे. हमारे शिक्षक हमसे जाते हुए यही कह रहे थे कि हम आपके साथ हमेशा रहेंगे. आप भले ही जीवन में कहीं भी रहें. लेकिन कल मैंने देखा कि छात्रों में समाज का डर, परिवार का डर बिल्कुल नहीं दिखा. जो हमारे पुराने साथी थे आज वो देश-विदेश में हैं, उनके मैसेज और कई कॉल आए. वीडियो देखकर हम यह सोच रहे थे कि हम कैसे जमाने से पास आउट होकर आए हैं.'
सोशल मीडिया ने बिगाड़ दिया माहौल:2006 बैच के पास आउट रचित कुमार जो हरिद्वार के ही रहने वाले हैं, कहते हैं, 'इसमें गलती परिवार की भी है और कुछ शिक्षकों को भी ध्यान रखना होगा कि ऐसा कैसा हुआ कि छोटे-छोटे बच्चे घर से हथियार लेकर पहुंच गए और परिवार को पता नहीं लगा. ऐसा हो ही नहीं सकता. इन हथियारों का इस्तेमाल कुछ गलत गतिविधि में भी कल के दिन बच्चे कर सकते हैं. यह दिन बेहद इमोशनल होता है लेकिन आजकल के छात्र सोशल मीडिया के जमाने में जी रहे हैं. इसलिए यह सब हरकत उन्होंने शायद कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर डालने के लिए की हो. हम अपने समाज को अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं. हर माता-पिता को यह सोचना होगा.'