बूंदी. छात्र अंकित प्रजापत को तीन वर्ष बाद न्यायालय स्थाई लोक अदालत के हस्तक्षेप से अपनी मूल जन्मतिथि वाली माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान से जारी कक्षा 10वीं की मार्कशीट मिली. अधिवक्ता अजय नवल ने बताया कि कक्षा 10वीं की मार्कशीट में गलत अंकित जन्म तिथि में संशोधन के लिए स्थानीय विद्यालय और माशिबो (माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) अजमेर के चक्कर लगा कर छात्र अंकित प्रजापत परेशान हो रहा था. न्यायालय स्थाई लोक अदालत (जिला विधिक सेवा प्राधिकरण) बूंदी के आदेश से कक्षा 10वीं की संशोधित मार्कशीट सही जन्म तिथि 5 मार्च 2006 अंकित होकर शुक्रवार को प्राप्त हो गई. संशोधित मार्कशीट मिलने पर छात्र और उसके परिजनों ने उनकी ओर से निःशुल्क पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अजय नुवाल का आभार प्रकट किया.
स्थाई लोक अदालत ने मानी बोर्ड की गलती :न्यायालय स्थाई लोक अदालत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता, सदस्या अनीता जैन, सदस्या हिमांशी शर्मा के समक्ष पीड़ित के अधिवक्ता अजय नुवाल ने पीड़ित का पक्ष रखा. इसमें बताया कि कक्षा 7 से अंकित ने विद्या विहार सीनियर सेकेंडरी स्कूल बूंदी में प्रवेश लिया तब भी उसकी जन्मतिथि 05.03.2006 ही थी, किंतु सत्र 2020-21 में कक्षा 10वीं की परीक्षा कोविड संक्रमण के दौरान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान अजमेर के माध्यम से आयोजित होनी थी. इसके लिए विद्या विहार स्कूल ने अंकित का ऑनलाइन प्रपत्र अपने स्तर पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को भरकर प्रेषित किया था. जब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी कक्षा 10वीं की मार्कशीट प्राप्त हुई तो उसमें अंकित को आयु में 6 वर्ष बड़ा कर दिया गया, यानी जन्मतिथि 5.03.2006 के स्थान पर 5.03.1999 अंकित कर दी गई, जो गलत थी. अंकित के जन्म प्रमाण पत्र एवं कक्षा 9 तक के रिकॉर्ड में जन्मतिथि 5.03 2006 ही अंकित रही है.